जर्मनी: वेश्यावृत्ति कानून का विरोध कर रही हैं सेक्स वर्कर
२२ अक्टूबर २०२१ओलिविया जर्मनी की राजधानी बर्लिन में रहती हैं. वह पिछले करीब एक दशक से सेक्स वर्कर के तौर पर काम कर रही हैं. इस नए नियम को वह दखलअंदाजी के तौर पर देखती हैं. मुस्कुराते हुए कहती हैं, "यूं ही नहीं लोग कहते हैं कि यह दुनिया का सबसे पुराना पेशा है. लोग हमेशा सेक्स वर्क करने का कोई न कोई तरीका खोज ही लेंगे."
वेश्यावृत्ति को पेशे के तौर पर अपनाने की उनकी कोई योजना नहीं थी. वह तो रोमांचक जीवन की तलाश में देश के एक छोटे से शहर से बर्लिन चली आई थीं. हालांकि, बाद में दोस्त के कहने पर वह वेश्यावृत्ति के पेशे में आ गईं. अब उनकी उम्र 30 साल होने को है.
इस दौरान अब तक उन्होंने करीब हर तरह का सेक्स वर्क किया है. वह लक्जरी एस्कॉर्ट के तौर पर भी सेवा दे चुकी हैं और इरॉटिक मसाज करने वाली के तौर पर भी. उन्होंने वेश्यालय में भी काम किया है और घर पर भी ग्राहकों को सेवा दी है.
ओलिविया विस्तार से बताती हैं, "आय और सुरक्षा के लिहाज से कई तरह के लेवल हैं." उन्होंने अपने काम के दौरान ब्लैक सेक्स वर्कर्स कलेक्टिव के साथ मिलकर एक समुदाय की स्थापना की. ब्लैक सेक्स वर्कर्स अमेरिकी लोगों की एक पहल है. साथ ही, ओलिविया सेक्स वर्कर्स यूनियन की सदस्य भी हैं.
इसके बावजूद, वह जर्मनी की उन हजारों सेक्स वर्कर्स में से एक हैं जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है. पिछले पांच वर्षों से वह मुकदमा होने के खतरे के बीच अपना काम कर रही हैं.
90 प्रतिशत का नहीं है रजिस्ट्रेशन
ओलिविया ने जब सेक्स वर्कर के तौर पर काम करना शुरू किया था, तब जर्मनी में सेक्स वर्कर्स के अधिकारों को आज की अपेक्षा अच्छी तरह से संरक्षित किया गया था. 2002 के वेश्यावृत्ति अधिनियम ने औपचारिक रूप से इसे व्यवस्थित कर रखा था. इसका उद्देश्य सेक्स वर्कर्स की स्वास्थ्य देखभाल और बेरोजगारी बीमा जैसे लाभ तक पहुंच सुनिश्चित करना था.
हालांकि, कुछ सांसदों को चिंता थी कि यह कानून काफी ज्यादा नर्म है. सेंटर लेफ्ट सोशल डेमोक्रेट्स (एसपीडी) की पूर्व परिवार कल्याण मंत्री मानुएला श्वेजिग ने 2014 में जर्मन अखबार डि त्साइट को बताया था, "इस देश में स्नैक बार से ज्यादा आसान वेश्यालय खोलना है."
इसके एक साल बाद, उनकी गठबंधन की सरकार ने नए कानून का बिल पेश किया. इसके तहत सभी सेक्स वर्कर्स को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य बनाया गया. यह कानून 21 अक्टूबर 2016 को अधिनियमित किया गया और 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ.
इसका मतलब, सेक्स वर्कर्स को अपना पता, संपर्क की जानकारी, असली नाम जैसे निजी डेटा देना और नियमित तौर पर स्वास्थ्य से जुड़ा परामर्श लेना अनिवार्य हो गया. इस स्थिति में अगर कोई सेक्स वर्कर रजिस्ट्रेशन नहीं कराती है, तो वह कानून तोड़ रही है. वजह चाहे गोपनीयता से जुड़ी चिंता हो या जर्मनी में कोई स्थायी या कानूनी पता न होना, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.
इस अधिनियम के तहत, सेक्स वर्क के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करना भी जरूरी होता है. साथ ही, वेश्यालय चलाने के लिए परमिट चाहिए होता है.
2019 के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि वेश्यावृत्ति संरक्षण अधिनियम के तहत 40 हजार यौनकर्मियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है. हकीकत में यह आंकड़ा चार लाख से अधिक हो सकता है. इसका मतलब है कि जर्मनी में 90 प्रतिशत सेक्स वर्कर का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है और वे कानूनी रूप से अवैध हैं.
कानूनी तौर पर वैध सेक्स वर्कर का बड़ा हिस्सा वेश्यालयों में काम करता है. वहीं, जिन्होंने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है उनमें से ज्यादातर अपने घर या गलियों में ग्राहकों को सेवा देती हैं.
गोपनीयता से जुड़ी चिंता
कानून का उद्देश्य सेक्स वर्कर्स की स्थितियों में सुधार करना, मानव तस्करी, शोषण और गुलामी की संभावना को कम करना था. हालांकि, सेक्स वर्कर्स का कहना है कि इसने वास्तव में उनकी स्थिति को और खराब कर दिया है.
हाइड्रा संगठन की प्रवक्ता रूबी रेबेल्डे कहती हैं, "जिन लोगों को सेक्स वर्क के बारे में कोई जानकारी नहीं है, वे कहते हैं कि यह उतना बुरा नहीं है. लेकिन जर्मनी में आज भी सेक्स वर्क को बुरे नजरिए से देखा जाता है. और इसका मतलब है कि बहुत से लोग खुलकर अपनी पहचान जाहिर नहीं कर सकते हैं."
बर्लिन में 40 साल पहले सेक्स वर्कर्स के लिए वकालत और परामर्श सेवा की स्थापना की गई थी. जब से नया कानून बना है, तब से यह संस्था इस कानून का विरोध कर रही है.
जर्मनी में काम करने वाली कई सेक्स वर्कर दूसरे देशों की हैं. वे लंबी प्रक्रिया और उलझनों की वजह से रजिस्ट्रेशन नहीं कराती हैं. रजिस्ट्रेशन कराने वाली गैर-जर्मन सेक्स वर्कर्स में सबसे ज्यादा संख्या यूरोपीय संघ के सदस्य रोमानिया और बुल्गारिया की है. लेकिन रेबेल्डे का मानना है कि जर्मनों की तुलना में विदेशी सेक्स वर्कर्स के रजिस्ट्रेशन की संभावना कम होती है.
रेबेल्डे कहती हैं, "इसका मतलब है कि जो लोग जर्मनी में सेक्स वर्कर के रूप में काम करने के लिए आती हैं, उन्हें वेश्यावृत्ति संरक्षण अधिनियम के तहत ‘अवैध' बना दिया जाता है."
इन सभी बातों के अलावा, इसका यह भी मतलब हुआ कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान जब लॉकडाउन लगाया गया तो उन सेक्स वर्कर्स को सहायता नहीं मिली जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ था. इस दौरान रजिस्टर्ड सेक्स वर्कर्स की संख्या में भी काफी कमी देखी गई.
साथ मिलकर काम करना ज्यादा सुरक्षित
नए कानून के तहत, सेक्स वर्कर एक जोड़े या समूह के तौर पर नहीं रह सकते और न ही काम कर सकते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि तकनीकी रूप से अपार्टमेंट या घर शेयर करने से वह जगह वेश्यालय बन सकती है. और वेश्यालय के लिए परमिट चाहिए होता है जबकि यह एक सामान्य व्यवस्था है कि अगर सेक्स वर्कर समूह में होती हैं, तो ग्राहकों द्वारा हिंसा करने या ब्लैकमेल करने की संभावना कम होती है.
ओलिविया कहती हैं, "अगर मैं घर पर अकेले काम करूं, तो इससे मैं अधिक खतरे में पड़ सकती हूं. नए कानून के लागू होने के बाद, अपार्टमेंट में अकेले में काम करने के दौरान मेरे साथ दुर्व्यवहार और ब्लैकमेल के प्रयास पहले की तुलना में ज्यादा हुए हैं."
रेबेल्डे कहती हैं, "साथ काम करना ज्यादा सुरक्षित है क्योंकि आप एक-दूसरे पर नजर रख सकते हैं. अपने अनुभव साझा कर सकते हैं."
नए कानून का समर्थन
कुछ लोग नए कानून का समर्थन भी करते हैं. समर्थकों का कहना है कि नए कानून ने वाकई में सेक्स वर्कर्स की सुरक्षा बढ़ा दी है. बर्लिन शहर के सेक्स वर्क की प्रवक्ता और एसपीडी की निर्वाचित प्रतिनिधि एन कैथरीन बीवेनर कहती हैं, "वेश्यावृत्ति संरक्षण अधिनियम के अनुसार, रजिस्ट्रेशन कराने से राज्यों के पास इस बात की जानकारी होती है कि कितने लोग यह काम कर रहे हैं. इन आंकड़ों के आधार पर उनके अधिकरों के लिए काम किया जाता है."
कैथरीन पूरे बर्लिन शहर में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया की देखरेख के लिए जिम्मेदार हैं. वह कहती हैं, "रजिस्ट्रेशन की वजह से, सेक्स वर्क चोरी-छिपे नहीं होता. इससे सेक्स वर्कर्स की स्थिति में सुधार करने में मदद मिलती है."
नॉर्डिक मॉडल
महामारी के दौरान, जब सोशल डिस्टेंसिंग नियमों के तहत सेक्स वर्क पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, तब एसपीडी के सांसदों और तत्कालीन चांसलर अंगेला मैर्केल की सेंटर-राइट क्रिश्चियन डेमोक्रेट पार्टी ने वेश्यालय को और भी लंबे समय तक बंद करने और सेक्स वर्क इंडस्ट्री की पूरी तरह समीक्षा करके इसमें सुधार करने की बात कही थी.
उनके और कई अन्य लोगों ने इसके लिए जो समाधान बताए उसे तथाकथित नॉर्डिक मॉडल कहते हैं. इसके तहत, सेक्स के लिए पैसे देना अवैध है, लेकिन सेक्स बेचना अवैध नहीं है.
हालांकि, ओलिविया यह नहीं मानती हैं कि ऐसी व्यवस्था जर्मनी में काम करेगी और सेक्स वर्क पर लगाम लगा पाएगी. वह कहती हैं, "यहां कुछ भी नहीं रुकेगा. कीमतें और बढ़ जाएंगी. अपराध, हिंसा, मानव तस्करी, और ब्लैकमेलिंग बढ़ जाएगी. मुझे इसमें किसी तरह का सकारात्मक पक्ष नजर नहीं आता है.”
नए अधिनियम का संघीय मूल्यांकन 2025 तक पूरा करने की योजना है. एक अंतरिम रिपोर्ट में सिर्फ 2017 और 2018 की घटनाओं को शामिल किया गया है. अब तक, यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि मानव तस्करी को कम करने के लिए अधिनियम का कोई भी कानून सफल रहा है या नहीं.
इस बीच कई राज्यों ने अपने-अपने मूल्यांकन प्रकाशित किए हैं. ब्रेमेन राज्य के दिसंबर 2020 की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है कि रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया जारी है. हालांकि, सेक्स वर्कर और पेशेवर राजनेता आलोचना करते हैं कि यह कानून तस्करी के खिलाफ पर्याप्त रूप से सुरक्षा उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं है. साथ ही, सेक्स वर्कर्स की स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है. वे कलंक और भेदभाव की वजह से रजिस्ट्रेशन कराने के लिए अधिकारियों के पास जाने से डरते हैं. यह कानून सेक्स वर्कर्स की सभी जरूरतों को पूरा नहीं करता है.
वहीं, हाइड्रा रेबेल्डे कहती हैं कि अगली बार जब भी हो, सेक्स वर्कर्स की समस्या और उनकी आवाज को सरकार तक पहुंचाया जाएगा, ताकि उनके हिसाब से कानून में संशोधन हो सके. वह कहती हैं, "सेक्स वर्कर्स से बात किए बिना सेक्स वर्कर्स के बारे में बात करना, यह ठीक नहीं है."