गोलन पहाड़ियों का इलाका, इतिहास और महत्व
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद की सत्ता के पतन के बाद इस्राएल ने गोलन पहाड़ियों में अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे लेकर चिंता है. कहां है गोलन पहाड़ियां और इनका इतिहास और महत्व क्या है, जानिए.
इस्राएल के लिए नेचर स्पॉट
गोलन पहाड़ियों के पठार से लेबनान और जॉर्डन की सीमा लगती है. पश्चिम की ओर यहां से इस्राएल के नजारे दिखते हैं, तो उत्तर पूर्व में सीरिया को दूर तक देखा जा सकता है. इस इलाके की एक सीमा पर माउंट हरमन है, जिसकी बर्फीली पहाड़ियां 2,800 मीटर से ज्यादा ऊंची हैं और स्कीइंग के शौकीनों को लुभाती हैं.
गोलन पहाड़ियों की बस्तियां
गोलन पहाड़ियों पर आज भी ज्यादा लोग नहीं रहते. यहां लगभग 30 बस्तियों में करीब 30 हजार इस्राएली रहते हैं. इनके साथ ही करीब 23 हजार द्रुज भी हैं. द्रुज एक अरबी अल्पसंख्यक समुदाय है जो लेबनान, जॉर्डन, सीरिया और इस्राएली कब्जे वाले गोलन पहाड़ियों में रहते आए हैं. इन लोगों ने इस्राएल की नागरिकता नहीं ली है.
इस्राएल का विस्तार
1967 के अरब-इस्राएल युद्ध में इस्राएल ने गोलन पहाड़ियों के दो तिहाई हिस्से पर कब्जा कर लिया और युद्ध के एक महीने बाद ही मेरोम गोलन के नाम से पहली नागरिक बस्ती बना दी. 1970 में यहां 12 और बस्तियां यहां बनाई गईं.
50 वर्षों की शांति
1973 में एक बार फिर अरब-इस्राएल युद्ध भड़क उठा और उसके अगले साल तक लड़ाइयां चलती रहीं. आखिरकार इस्राएल और सीरिया के बीच युद्धविराम पर सहमति हुई और तब से यह इलाका मोटे तौर पर शांत रहा है.
बफर जोन
इस समझौते के तहत इस्राएल के कब्जे वाले इलाके के पूरब में 80 किलोमीटर लंबा एक बफर जोन बनाया गया जो सीरिया को अलग करता है. इस इलाके में संयुक्त राष्ट्र की सेना गश्त लगाती है और इन सैनिकों की एक चौकी माउंट हरमन पर भी है. बफर जोन के बाकी बचे पूर्वी इलाके पर सीरिया का नियंत्रण है.
गोलन में आबादी बढ़ाता इस्राएल
सीरिया में बशर अल-असद की सरकार गिरने के तुरंत बाद इस्राएली सरकार ने गोलन पहाड़ियों में आबादी दोगुनी करने की योजना को मंजूरी दे दी. इससे पहले 2021 में भी इस्राएल ने आबादी दोगुनी करने की एक योजना को मंजूरी दी थी. तब गोलन पहाड़ियों में इस्राएली आबादी 25,000 थी.
ट्रंप हाइट्स
2019 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने गोलन पहाड़ियों पर इस्राएली कब्जे को मान्यता दे दी. यह करने वाला अमेरिका अकेला है. ट्रंप के इस कदम के बाद इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने जून 2019 में वहां एक नई बस्ती बनाने का एलान किया जिसका नाम रखा गया ट्रंप हाइट्स.
सैनिक गतिविधियां
गोलन पहाड़ियों में इस्राएली सेना के कई अड्डे हैं. असद सरकार के पतन के तुरंत बाद इस्राएल ने अपनी सेना बफर जोन में तैनात कर दी. प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इसे रक्षात्मक और अस्थायी तैनाती बताया. ऐसी खबरें हैं कि इस्राएली सेना बफर जोन के पार भी गई है. इस्राएली रक्षा मंत्री ने तो यहां तक कहा है कि सेना वहां सर्दियों में बनी रहेगी.
अंतरराष्ट्रीय आलोचना
गोलन पहाड़ियों में इस्राएल की नई योजना की आलोचना करने वालों में जर्मनी भी है. इसके अलावा जॉर्डन, सऊदी अरब, तुर्की और कई दूसरे देशों ने भी इसकी आलोचना की है. संयुक्त राष्ट्र ने वहां और ज्यादा सैनिक भेजे हैं.