हमास के नेता इस्माइल हानियेह की तेहरान में हमले में मौत
३१ जुलाई २०२४इस्माइल हानियेह फलस्तीन के प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं. बुधवार तड़के सुबह ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स की तरफ से हमास नेता इस्माइल हानियेह की मौत की जानकारी दी गई. खबर लिखे जाने तक किसी ने इस हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली है, हालांकि हमास ने इसके लिए इस्राएल पर आरोप लगाए हैं. ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है कि हत्या कैसे हुई. उन्होंने हमले की जांच करने की बात कही है.
हमास की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "भाई, नेता, मुजाहिद इस्माइल हानियेह, आंदोलन के प्रमुख, तेहरान में नए (ईरानी) राष्ट्रपति के शपथग्रहण में हिस्सा लेने के बाद उनके घर पर हुए यहूदी हमले में मारे गए हैं." इस्राएल ने 7 अक्टूबर, 2023 के हमले के बाद हानियेह और हमास के दूसरे नेताओं को मारने की बात कही थी.
हमास के वरिष्ठ अधिकारी ताहेर अल-नुनु का कहना है कि ईरान की राजधानी में हानियेह के घर पर वह "सीधा निशाना" था. बयान जारी कर नुनु ने कहा है,"(हत्या के लिए) जो तरीका इस्तेमाल किया गया है, उसका पता हमारे ईरानी समकक्ष लगाएंगे जो उसकी जांच कर रहे हैं." नुनु ने इस बयान में हमले के लिए इस्राएल के साथ अमेरिका को भी जिम्मेदार ठहराया है.
हानियेह के बेटे अब्दुल सलाम इस्माइल हानियेह का कहना है कि उनके पिता ने, "जो चाहा था उसे हासिल कर लिया." अब्दुल सलाम इस्माइल हानियेह का यह भी कहना है, "नेतृत्व की हत्या करने से प्रतिरोध खत्म नहीं होगा, हमास आजादी हासिल होने तक प्रतिरोध जारी रखेगा."
तेहरान में हवाई हमला
ईरान की मीडिया का कहना है कि तेहरान में राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह के लिए आए हमास के प्रमुख इस्माइल हानियेह को हवाई हमले का निशाना बनाया गया.
ईरानी समाचार एजेंसी फार्स ने कहा है, "हानियेह, जो राष्ट्रपति के शपथग्रहण के लिए ईरान आए थे, वह उत्तरी तेहरान में पूर्व सैनिकों के लिए बने विशेष आवास में रह रहे थे, वहां उन्हें हवा से दागे गए मिसाइल के जरिए शहीद किया गया."
ईरान के दूसरे मीडिया संगठन भी यही बयान चला रहे हैं. ईरान की सरकारी मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक, ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के पूर्व प्रमुख मोहसेन रेजाइ ने तेहरान में हमास नेता इस्माइल हानियेह की हत्या के लिए इस्राएल को "भारी कीमत चुकाने" की चेतावनी दी है.
कौन हैं इस्माइल हानियेह
हानियेह 1987 में हमास से जुड़े थे. यह वह समय था जब इस्राएल के खिलाफ पहले फलस्तीनी इंतिफादा या विद्रोह के बाद इस उग्रवादी संगठन की नींव पड़ी थी. यह विद्रोह 1993 तक चला था और अरब इस्राएल युद्ध का इसे एक अहम हिस्सा माना जाता है. 2006 में हमास ने जब संसदीय चुनाव में जीत हासिल कर ली तो वह फलस्तीन के प्रधानमंत्री भी बने थे.
हानियेह ने बीते सालों में ज्यादातर वक्त निर्वासन में ही बिताया और ज्यादातर कतर और तुर्की में रहे. युद्ध के मौजूदा दौर में वह कूटनीतिक संदेश लेकर तुर्की और ईरान गए थे और दोनों देशों के राष्ट्रपतियों से मुलाकात की थी. हानियेह को फलस्तीन के अलग-अलग गुटों के प्रमुखों के साथ अच्छे संबंधों के लिए भी जाना जाता है जिसमें कुछ गुट हमास के विरोधी भी हैं.
हानियेह को 2017 में हमास की राजनीतिक शाखा का प्रमुख चुना गया था. उन्होंने खालेद मेशाल की जगह ली थी. वह पहले से ही फलस्तीन की जानी-मानी शख्सियत में एक थे. हानियेह ने 2019 में ही गाजा पट्टी छोड़ दी और तब से कतर में निर्वासन में रह रहे थे. गाजा में इस वक्त हमास के सबसे बड़े नेता याह्या सिनवार को बताया जाता है. 7 अक्टूबर के हमले की साजिश रचने का आरोप सिनवार पर ही है, जिसकी वजह से इस्राएल और हमास के बीच मौजूदा युद्ध चल रहा है.
एनआर/आरएस (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)