मुश्किल में फंसे हाथियों की यहां की जाती है मदद
अफ्रीका और एशिया में ऐसे कई संस्थान हैं जो ऐसे हाथियों का ख्याल रखते हैं जो या तो अनाथ हो गए हैं, या जिनका शोषण हुआ है या जो किसी और कारण से सदमे में हैं.
थाईलैंड का एलिफेंट नेचर पार्क
उत्तरी थाईलैंड के चिआंग माई स्थित एलिफेंट नेचर पार्क में कई तरह की मुश्किलों में फंसे हाथियों का ख्याल रखा जाता है. किसी ने किसी मंदिर के हाथी के रूप में पूरी जिंदगी जंजीरों में बिताई है, कोई गिरे हुए पेड़ हटाता था तो कोई पर्यटकों का दिल बहलाता था. अब ये सभी अपनी बाकी जिंदगी यहां आराम से बिता सकेंगे.
मनोरंजन के व्यापार में धकेला गया
पशु अधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से थाईलैंड के कई हाथियों के रख रखाव की आलोचना कर रहे हैं, जैसा कि चिआंग माई के इस व्यावसायिक पार्क के हाथियों का हाल है. हाथियों को ऐसे स्थानों को बेचे जाने से पहले उन्हें जबरन पालतू बनाया जाता है, जिसके बाद उन्हें पर्यटकों के लिए रोज करतब दिखाने होते हैं.
नेचर पार्क में अच्छा बर्ताव
एलिफेंट नेचर पार्क में पर्यटक आते हैं लेकिन उनका मनोरंजन करने के लिए यहां हाथियों के साथ ना कोई जबरदस्ती और ना दुर्व्यहवार किया जाता है. लिली नाम की इस हथिनी को लकड़ियां उठाने के लिए कई घंटों तक काम कराया जाता था. इसके लिए इसे लंबे समय तक एम्फेटामाइन दिया गया था और इसे ड्रग्स की लत लग गई थी. लेकिन अब वो आजादी का आनंद ले रही है.
कड़ी मेहनत
म्यांमार के वर्षावनों में हाथियों से जबरदस्ती कड़ी मेहनत कराई जाती है. अब कड़े नियमों की वजह से लकड़ी उद्योग में काम करने वाले हाथियों को बचा लिया गया है. लेकिन जब वो किसी काम नहीं आ रहे तो उनके मालिक उन्हें थाईलैंड के व्यावसायिक पार्कों में बेच देते हैं.
मंदिर में बंधे
थाईलैंड में कई हाथी इस तरह से मंदिरों में जंजीरों से बंधे एक नीरस जिंदगी जीते हैं. सिर्फ बौद्ध नव वर्ष के जश्न की तरह कुछ धार्मिक समारोहों के दौरान उन्हें सुंदरता से सजाया जाता है.
कोविड-19 के दौरान मिली राहत
कोविड-19 महामारी के दौरान सेव एलिफेंट फाउंडेशन ने कई हाथियों को व्यावसायिक पार्कों से बचा कर उनके गृह प्रांतों में वापस लाने की व्यवस्था की. पर्यटन से कमाई बंद हो जाने की वजह से उनके मालिन उनके रखरखाव का खर्च नहीं उठा पा रहे थे. कुछ ने शरण स्थान तक पहुंचने के लिए 150 किलोमीटर तक की यात्रा की.
श्रीलंका में शरण स्थान
श्रीलंका का पिनावाला एलिफेंट अनाथालाय जंगली एशियाई हाथियों के लिए संरक्षण और प्रजनन का एक स्थान है. यहां 71 हाथी रहते हैं, जो पूरी दुनिया में इस तरह के संस्थान में रखे गए हाथियों की सबसे बड़ी संख्या है.
अनाथों का ख्याल रखना
अफ्रीका में भी हाथियों के लिए कई शरण स्थान हैं. केन्या के नैरोबी स्थित डेविड शेल्ड्रिक वाइल्डलाइफ ट्रस्ट एलिफेंट अनाथालय में पल रहे हर शिशु हाथी की कहानी दुखद है. किसी को शिकारियों ने अनाथ बना दिया, किसी को सूखे ने या किसी को इंसानों के साथ मुठभेड़ ने. देश में अब कुछ ही प्राकृतिक इलाके बचे हैं और इंसान का उन पर भी अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है.
मां जैसा ख्याल
हाथियों का अपनी माओं से विशेष रूप से मजबूत संबंध होता है. युवा हाथी जंगलों में सालों तक अपनी मां पर निर्भर रहते हैं, इसलिए उसे खोना उनके लिए काफी नाटकीय होता है. इसलिए इन हाथियों को तीन साल तक नर्सरी में ही रखा जाता है, जहां उन्हें हर तीन घंटे पर कुछ खिलाया जाता है. हरेक हाथी के साथ उसका अपना ख्याल रखने वाला रहता है.
और किसी को इजाजत नहीं
जाम्बिया के इस अनाथालय में इस बच्चे को अपने कीपर में अपनी मां का विकल्प मिल गया है. निजी कीपर के अलावा और किसी को भी इन हाथियों से संपर्क करने की इजाजत नहीं दी जाती है, ताकि हाथियों को लोगों की ज्यादा आदत न लगे. बच्चे अपना ज्यादातर वक्त जंगली हालात में जिंदा रहने के गुर सीखने में बिताते हैं.
आजादी की तैयारी
केन्या के रेतेति एलिफेंट सैंक्चुअरी में अनाथ हाथी कोन कीपर्स के साथ आप ख्याल रखना सीख रहा है. चार साल का हो जाने पर वह इस जगह को छोड़ कर जा सकेगा और स्वतंत्र रह सकेगा. अनुमान है कि अफ्रीका के जंगलों में करीब 4,00,000 अफ्रीका हाथी रहते हैं, जबकि एशिया में सिर्फ 50,000 पाए जाते हैं. (फ्लोरियां मेयर)