10 बेशकीमती खजाने, जिन्हें आज तक खोजा नहीं जा सका
नाजी गोल्ड ट्रेन हो या येरूशलेम का खजाना, दुनिया भर में ऐसे कई खजानों की कहानियां हैं, जिन्हें कभी नहीं खोजा जा सका. इन खजानों का रहस्य आज भी बना हुआ है.
द एंबर रूम
मशहूर एंबर रूम को प्रुशिया के फ्रेडरिक विलियम प्रथम ने रूस के पीटर दी ग्रेट को 1716 में दिया था. दूसरे विश्व युद्ध के समय इसे नाजियों ने लूट लिया और बहुमूल्य कहरुवे या एंबर को कोनिग्सबर्ग ले गए, जो तब जर्मनी में था. युद्ध के अंत तक पेटियों में बंद ये कहरुवे गायब हो चुके थे. सेंट पीटर्सबर्ग में इनकी नकल रखी हुई है, लेकिन असली सामान आज तक गायब है.
नाजी गोल्ड ट्रेन
इतिहासकारों का कहना है कि "नाजी गोल्ड ट्रेन" जैसी कोई चीज कभी थी ही नहीं, लेकिन इसके बावजूद खजाने तलाशने वालों ने हार नहीं मानी है. कहा जाता है कि इस ट्रेन में 300 टन सोना, कई बहुमूल्य चित्र और लूट का अन्य सामान था, जिसे नाजियों ने भागने से पहले पश्चिमी पोलैंड की किसी बंद रेलवे सुरंग या खदान में छुपा दिया था.
द राइन गोल्ड
सन 1200 में लिखे गए जर्मन महाकाव्य "द सॉन्ग ऑफ द निबेलुंग्स" में इस खजाने का सबसे पुराना जिक्र मिलता है. यह जीगफ्रीड नाम के एक राजकुमार की कहानी है, जो सैकड़ों योद्धाओं, 12 दैत्यों और एक बौने को हरा कर एक खजाना हासिल करता है. बाद में जीगफ्रीड को हागेन फॉन ट्रानिये नाम का एक योद्धा मार देता और उसका खजाना राइन नदी में फेंक देता है. लेकिन आज तक यह कोई जान नहीं पाया कि खजाना आखिर कहां है.
येरूशलेम के मंदिर का खजाना
70 ईसवी में रोमनों ने येरूशलेम के दूसरे मंदिर से खजाना चुराया था, जिसमें एक सुनहरा दीपवृक्ष और रत्नों से जड़ा सुनहरा "टेबल ऑफ द डिवाइन प्रेजेंस" भी शामिल था. लेकिन रोमन साम्राज्य के अंत के साथ यह खजाना भी गायब हो गया. अब यह कहां हो सकता है, इसे लेकर कई मान्यताएं हैं. कुछ लोग मानते हैं कि खजाना वैटिकन में रखा है. कुछ यह भी मानते हैं सोना मक्का की काबा में लगा दिया गया था.
रूस के बादशाह का सोना
माना जाता है कि रूस के आखिरी बादशाह जार निकोलस द्वितीय अपने पीछे एक खजाना छोड़ गए थे. मान्यता है कि जार की हत्या के दो साल बाद 1920 की सर्दियों में नई कम्युनिस्ट सत्ता के विरोधी उसी खजाने का सोना कई गाड़ियों में भर कर बर्फ से जमी हुई बैकल झील के ऊपर से गुजर रहे थे, तभी बर्फ टूट गई और वो खजाने के साथ झील में गिर गए. तब से इस खजाने की तलाश चल ही रही है.
नाइट्स टेम्पलर का खजाना
सन 1307 में कैथोलिक चर्च की सेना 'नाइट्स टेम्पलर' के बहुत शक्तिशाली हो जाने पर फ्रांस के राजा फिलिप चतुर्थ ने उसके नेताओं को गिरफ्तार करवा कर मरवा दिया. लेकिन उनका मशहूर खजाना किसी को नहीं मिला. तब से एक मिथक बन गया कि नाइट्स टेम्पलर ने खजाने को कहीं छिपा दिया था. खजाना खोजने वालों का मानना है कि वह इस्राएल, स्कॉटलैंड या कनाडा के ओक आइलैंड में से किसी भी जगह हो सकता है.
होंजो-मासामूने तलवार
जापान के सबसे अच्छे तलवार बनाने वाले के रूप में मशहूर लोहार ओकाजाकी मासामुने ने होंजो-मासामूने तलवार बनाई थी, जो सामुराई होंजो शिगेनागा के पास रहती थी. यह तलवार तोकुगावा राजवंश की प्रतिष्ठा का प्रतीक थी और इसे कई दशकों तक पीढ़ी-दर-पीढ़ी संभाल कर रखा गया. लेकिन 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिकियों ने इसे चुरा लिया और इसे तब से देखा नहीं गया है.
फान गॉग की सैल्फ पोर्ट्रेट
डच चित्रकार फान गॉग की एक पेंटिंग 'द पेंटर ऑन द रोड टू तरस्कों' को दूसरे विश्व युद्ध के समय जर्मनी में माग्डेबुर्ग के पास श्टासफुर्ट में एक नमक की खदान में सैकड़ों दूसरी तस्वीरों के साथ रखा गया था. कहा जाता है कि अप्रैल 1945 में आग लगने की दो घटनाओं में सभी तस्वीरें नष्ट हो गईं. क्या ऐसा हो सकता है कि अमेरिकी सिपाहियों या नाजियों ने उन्हें चुरा लिया? आज की तारीख में इन चित्रों की कोई खबर नहीं है.
चार्ल्स डार्विन की दो कॉपियां
चार्ल्स डार्विन की दो कॉपियां साल 2000 में एक फोटो शूट के बाद गायब हो गईं. ये कोई साधारण कॉपियां नहीं थीं. इनकी कीमत थी कई लाख पाउंड! क्या कैंब्रिज विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी ने उन्हें गलत तरीके से फाइल कर दिया? दो दशक तक गायब रहने के बाद एक दिन अचानक दोनों कॉपियां लाइब्रेरी के एक सार्वजनिक इलाके में एक गुलाबी गिफ्ट बैग में पाई गईं. साथ में लाइब्रेरियन के लिए ईस्टर की शुभकामनाएं भी थीं.
'बिग मेपल लीफ' सोने का सिक्का
'बिग मेपल लीफ' एक 100 किलो वजनी सोने का सिक्का था. इसे रॉयल कैनेडियन मिंट ने 2007 में बनवाया था. 27 मार्च, 2017 को यह सिक्का बर्लिन के बोड संग्रहालय से चुरा लिया गया. तब इसकी कीमत 37 लाख यूरो से भी ज्यादा थी. माना जाता है कि चोरी अद्भुत तरीके से हुई थी. 2021 में इस चोरी के लिए कई गिरोहों के सदस्यों को दोषी पाया गया था. (क्रिस्टीना रेयमान-श्नाइडर)