जंगली जानवरों के लिए जानलेवा साबित हो रही बढ़ती गर्मी
१३ जुलाई २०२४जलवायु परिवर्तन की वजह से पूरी दुनिया में भीषण गर्मी पड़ रही है. इसका असर न सिर्फ इंसानों, बल्कि जानवरों पर भी हो रहा है. मेक्सिको में हाउलर बंदर पेड़ों से गिरकर मर रहे हैं. कनाडा के समुद्री किनारे पर अरबों सीप, झींगे और घोंघे गर्मी की वजह से मर रहे हैं. अर्जेंटीना में एक ही दिन में सैकड़ों पेंगुइन मर गए. तापमान में बढ़ोतरी जीवों की कई प्रजातियों के लिए जानलेवा साबित हो रही है. इन हालिया घटनाओं ने दुनिया भर में अलग-अलग जीवों की प्रजातियों को प्रभावित किया और इन सब में एक बात समान है कि वे अत्यधिक गर्मी की वजह से मर रहे हैं.
खौलती गर्मियों के लिए कितनी तैयार है दुनिया
औद्योगिक क्रांति के बाद से दुनिया भर में तापमान लगातार बढ़ रहा है, क्योंकि वातावरण को गर्म करने वाली ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ा है. 2023 अब तक का सबसे गर्म साल दर्ज किया गया है. इसके साथ ही, जलवायु परिवर्तन की वजह से गर्मी बहुत ज्यादा और लंबे समय तक पड़ रही है. वन्यजीव भी इस बढ़ती गर्मी का शिकार हो रहे हैं. हालांकि, जानवरों पर इसका असर कैसे होता है, यह कई बातों पर निर्भर करता है. जैसे, वे कहां रहते हैं, वे लगातार गर्म लहरों का सामना कर रहे हैं या सिर्फ कभी-कभी, और वे किस तरह के जानवर हैं.
आकाश से पक्षी और चमगादड़ मरे हुए गिर रहे हैं
काफी ज्यादा गर्मी जानवरों के लिए जानलेवा साबित होती है. स्वीडन स्थित लुंड यूनिवर्सिटी में पारिस्थितिकीविद् आंद्रेयास नॉर्ड कहते हैं, "यह खासतौर पर उन जगहों पर होता है जहां पहले से ही बहुत गर्मी और सूखा रहता है और जानवर इससे ज्यादा गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाते. ऑस्ट्रेलिया इसका एक बड़ा उदाहरण है. वहां हालात बहुत ही ज्यादा खराब हो गए हैं. पक्षी और फ्लाइंग फॉक्स आसमान से मरे हुए गिर रहे हैं.”
कुछ मामलों में गर्मी से भले ही वन्यजीवों की मौत न हो, लेकिन इससे उनका व्यवहार इस तरह से बदल सकता है कि इसका असर उनकी आबादी पर पड़ सकता है. अमेरिका के चैपल हिल में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के पारिस्थितिकीविद् एरिक रिडेल कहते हैं, "मरने का एक और बहुत ही खतरनाक तरीका है, जिसमें कोई लाश तक नहीं मिलती. काफी ज्यादा प्यास लगने, पानी की कमी या गर्मी की वजह से जानवर ज्यादा सक्रिय नहीं हो पाते. वे उस साल बच्चे पैदा नहीं करते हैं. ऐसे में जानवर तो जिंदा रहते हैं, लेकिन उनकी आबादी नहीं बढ़ती है.” 2023 के एक अध्ययन में पाया गया है कि जब गर्मी बहुत ज्यादा पड़ती है, तो बीटल कम बच्चे पैदा कर पाते हैं.
गर्मी के साथ संतुलन बनाने की कोशिश
जब जानवर गर्मी या ठंड से बचने के लिए अपना व्यवहार बदलते हैं, तो वैज्ञानिक इसे थर्मल रेगुलेट्री बिहेवियर कहते हैं. गर्मी के मौसम में, इसमें छाया में रहना, पानी में जाना या ज्यादा आराम करना शामिल हो सकता है.
ऑस्ट्रेलिया में कुआला पेड़ों की ठंडी डालियों को पकड़कर ज्यादा गर्मी से बचते हैं. कैलिफोर्निया में भालू कुछ अलग तरीके से गर्मी से खुद का बचाव करते हैं. कई वीडियो में यह देखने को मिलता है कि जब तापमान बहुत बढ़ जाता है, तो वे आम लोगों के स्विमिंग पूल में नहाने लगते हैं.
हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि लगातार गर्म हो रही धरती के साथ तालमेल बैठाने के लिए जानवर किस हद तक अपना व्यवहार बदल सकते हैं.
नॉर्ड कहते हैं, "हम नहीं जानते कि अगर 100, 1,000 या 10,000 पीढ़ियों के बाद जानवरों की गर्मी के प्रति सहनशीलता बढ़ जाएगी या नहीं? क्या वे तापमान में अचानक होने वाले बदलाव को सहन कर पाएंगे? हालांकि, आसार अच्छे नहीं दिख रहे हैं. ऐसा लगता है कि बहुत से जानवर पहले से ही अपनी शारीरिक क्षमता की अधिकतम सीमा पर जी रहे हैं.”
पक्षियों पर गर्मी का सबसे ज्यादा असर
एक और बड़ा सवाल यह है कि कौन से जीव बढ़ते तापमान से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. वैज्ञानिकों का मानना है कि बहुत से जीवों को परेशानी होती है, लेकिन पक्षी अक्सर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं.
नॉर्ड कहते हैं, "पक्षियों में शरीर को ठंडा रखने की क्षमता बहुत कम होती है. उनके शरीर में पसीने की ग्रंथियां नहीं होतीं. जब बहुत गर्मी पड़ती है, तो इस वजह से उन पर काफी ज्यादा असर पड़ता है.” दरअसल, जब ज्यादा गर्मी पड़ती है, तो शरीर से निकलने वाला पसीना शरीर को ठंडा रखने और गर्मी से बचाने में मदद करता है.
रिडेल ने भी 2021 के अपने एक अध्ययन में इस बात का उल्लेख किया था. इस शोध में कैलिफोर्निया के मोजावे रेगिस्तान में रहने वाले छोटे स्तनधारियों और पक्षियों के 100 साल पुराने आंकड़ों का विश्लेषण किया गया था. विश्लेषण में यह पाया गया कि दोनों प्रजातियां एक ही तरह की पारिस्थितिकी तंत्र में रहती हैं, एक जैसा ही खाना खाती हैं, लेकिन बढ़ते तापमान का इन पर अलग-अलग असर हुआ.
स्तनधारी प्रजातियों की आबादी पूरी सदी स्थिर बनी रही. इस बीच, रेगिस्तान में पक्षियों की प्रजातियों में 43 फीसदी की गिरावट आई. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि पक्षी दूसरी जगहों पर चले गए या मर गए, लेकिन यह बात साफ तौर पर जाहिर है कि तापमान बढ़ने की वजह से उन पर काफी ज्यादा असर पड़ा है.
रिडेल कहते हैं, "स्तनधारी प्रजातियां मुख्य रूप से जमीन के भीतर रहती हैं. वे ज्यादातर रात में सक्रिय होती हैं. ऐसे में उन पर गर्मी का कम असर पड़ता है. वहीं, पक्षी ज्यादातर दिन में सक्रिय होते हैं और वे जमीन के ऊपर रहते हैं. इससे उन्हें गर्मी का ज्यादा सामना करना पड़ता है. इस वजह से पिछले 100 वर्षों में जलवायु परिवर्तन की वजह से पक्षियों पर काफी ज्यादा असर पड़ा है.”
दीर्घकालीन उपाय
इंसानों के पास जानवरों को अत्यधिक गर्मी से बचाने के लिए बहुत कम आपातकालीन उपाय हैं. कुछ संरक्षणवादियों ने जानवरों पर पानी का छिड़काव करके या उन्हें आश्रय देकर उनकी मदद करने की कोशिश की है, लेकिन यह बहुत बड़ी समस्या का छोटा सा समाधान है.
नॉर्ड और रिडेल कहते हैं कि भविष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकारें जानवरों के प्राकृतिक आवासों को लंबे समय तक सुरक्षित रखें. जानवरों के प्राकृतिक वातावरण में ऐसे संसाधन होंगे जो उन्हें ज्यादा गर्मी से बचा सकेंगे. जैसे, छायादार पेड़, पानी, खाना और छिपने की जगहें.
नॉर्ड ने कहा, "जितने कम जीव जंतु बचेंगे, जलवायु परिवर्तन और ज्यादा गर्मी का उन पर उतना ही बुरा असर पड़ेगा.”
रिपोर्ट: बेयाट्रिक क्रिस्टोफारो