युद्ध के समय के बंकर कैसे बने सांस्कृतिक केंद्र
यूरोप में स्लेटी रंग के कंक्रीट के बंकर युद्ध और असहनीय पीड़ा की याद दिलाते हैं. लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के कई बंकरों को दूसरी शक्लों में तब्दील किया जा रहा है.
फेल्डस्ट्रास बंकर, हैम्बुर्ग
हैम्बुर्ग के सेंट पॉली जिले में करीब 40 मीटर ऊंचे इस फ्लॉक टावर को हवाई हमलों से बचने के लिए बनाया गया था. अब इसके अंदर मीडिया कंपनियां, कलाकारों के समूह और लोकप्रिय क्लब चलते हैं. पिछले कुछ सालों में पांच और मंजिलें बनाई गई हैं और जल्द ही वहां एक होटल खोला जाएगा. ग्रीन सिटी की परियोजना के तहत इसमें बाहर की तरफ सीढ़ियां हैं जो छत तक जाती हैं. छत पर पेड़-पौधे लगाए गए हैं.
डायकोनीस बंकर, ब्रेमेन
विशाल म्यूरलों से ढका हुआ यह 25 मीटर ऊंचा बंकर अपनी तरफ ध्यान खींच ही लेता है. इसे 1942 में डायकोनिसेन अस्पताल के कर्मचारियों और स्थानीय लोगों को हवाई हमलों से बचाने के लिए बनाया गया था. बाद में इसमें एक क्लिनिक भी चला और परमाणु बम से बचने का शेल्टर भी. 2021 में एक सांस्कृतिक संगठन ने इसे खरीद लिया. जल्द ही इसमें कई क्लब, स्टूडियो और एक स्थायी प्रदर्शनी बनने वाली है.
एक्वा टेरा जू, विएना
विएना में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान छह विशालकाय फ्लॉक टावरों का इस्तेमाल किया गया था. इनमें सबसे मशहूर है एस्टेरहाजी पार्क, जहां अब शहर के तीन चिड़ियाघरों में से एक, एक्वा टेरा जू मौजूद है. यहां ताजे और खारे पानी के एक्वारियमों में 10,000 से ज्यादा जीव रहते हैं. इसके अलावा यहां फ्लॉक टावर संग्रहालय भी है, जो दो मंजिलों तक फैला हुआ है.
बंकर पर कलाकृति
1991 में विएना फेस्टिवल के दौरान अमेरिकी आर्टिस्ट लॉरेंस विनर ने बंकर की छत पर "स्मैश्ड टू पीसेज" नाम से एक कलाकृति बनाई थी. एक्वा टेरा जू के विस्तार के समय उसके ऊपर पेंट कर दिया गया.
संस्कृति बंकर, कोलोन
दूसरे बंकरों की ही तरह चर्च के आकार में बने हुए इस बंकर को मजदूरों, युद्ध कैदियों और कंसंट्रेशन कैंप के कैदियों से जबरन काम करवा कर बनवाया गया था. इसे 1980 में ऐतिहासिक इमारत घोषित किया गया, फिर कुछ सालों बाद इसकी मरम्मत करवाई गई और 1991 से इसे कल्चरबंकर मुल्हाइम संगठन चलाता है. इसमें स्टूडियो के लिए जगह, संगीत रियाज के कमरे और सेमीनार के लिए कमरे हैं. यहां कॉन्सर्ट भी होते हैं.
बर्लिन स्टोरी बंकर, बर्लिन
यह कभी रेलवे टर्मिनस आनहाल्टर बान्हौफ हुआ करता था जिसे बाद में हवाई हमलों से बचने की जगह बना दिया गया. यहां आने वाले बर्लिन के इतिहास में डूब सकते हैं. यहां के संग्रहालय का मुख्य फोकस हैं 'थर्ड राइष'. यहां कई खास प्रदर्शनियां हैं, जिनमें "हिटलर. ऐसा कैसे हो गया" भी शामिल है. युद्ध के बाद के जर्मनी के इतिहास पर भी एक प्रदर्शनी है.
स्पित्जबंकर, वून्सडोर्फ
बर्लिन से करीब 20 किलोमीटर दक्षिण की तरफ वून्सडोर्फ-वाल्डश्टाट के एक रिहाइशी इलाके में एक अनूठा बंकर है. इस तरह के बंकरों को "कंक्रीट सिगार" कहा जाता है. "बंकरों और किताबों का शहर" कहे जाने वाले वून्सडोर्फ में एक गैरिसन संग्रहालय भी है, जिसमें बादशाही के समय एक सैन्य प्रशिक्षण अड्डे के रूप में शहर के इतिहास को दिखाया गया है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यहां सोवियत सिपाहियों को भी तैनात किया गया था.
तट पर बंकर, ब्लावांद, डेनमार्क
डेनमार्क के ब्लावांद में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कब्जा करने वाली जर्मन सेना ने तटीय सुरक्षा के लिए बड़े बड़े बंकर बनाये थे. यहां डूब चुके लड़ाकू जहाज तिरपित्ज की 38 सेंटीमीटर की बंदूकों को फिट किया जाना था, लेकिन इस बंकर का निर्माण कभी पूरा ही नहीं हुआ. 2017 में यहां एक नया संग्रहालय खुला जहां इस बंकर के इतिहास के साथ इस इलाके के बारे में अन्य जानकारी भी है.
अटलांटिक दीवार, फ्रांस
फ्रांस के तट पर छुट्टियां बिताने वाले कई लोग रेत में आधे गड़े हुए बंकरों से वाकिफ हैं. यह कभी अटलांटिक दीवार थी जिसे जर्मनी की सेना ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय फ्रांस पर अपने कब्जे के दौरान बनाया था. आज इनका इस्तेमाल मिलने की जगह, हवा से सुरक्षित आग जलाने की जगह और सबसे ज्यादा तो ग्रैफिटी बनाने की जगह के रूप में किया जाता है. यह बंकर नोर्मंडी में बेनेरवील-सुर-मेर के पास स्थित है. (फिलिप्प जेदिक)