1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

लोकतंत्र के लिए कितना खतरनाक है 'अखंड जर्मनी' का विचार

लीसा हेनेल
१२ दिसम्बर २०२२

जर्मन पुलिस ने देश के 11 राज्यों में कथित राइष सिटिजन अभियान चलाने वालों के ठिकानों पर छापे मारे हैं. पुलिस को संदेह था कि ये लोग देश में तख्ता पलट की योजना बना रहे थे. आखिर राइषबुर्गर अभियान क्या है?

https://p.dw.com/p/4Kiee
पिछले दिनों पड़े थे छापे
पिछले दिनों पड़े थे छापेतस्वीर: Uli Deck/dpa/picture alliance

कथित तौर पर "राइषबुर्गर (राइष सिटिजन)" के एक समूह ने "डे एक्स" की तैयारी में महीनों बिताए. उनका इरादा मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंक देश में तख्ता पलट करने का था. बीते सप्ताह बुधवार की सुबह पूरे देश में 11 राज्यों में मौजूद 130 ठिकानों पर छापेमारी कर पुलिस ने इस मामले से जुड़े कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया है. इनमें कई पूर्व सैनिक और बुंडेसटाग का एक पूर्व सदस्य भी शामिल है. ये लोग जर्मनी में युद्ध के बाद बने संविधान को नहीं मानते और सरकार बदलने के लिए अभियान चला रहे हैं.

जर्मनी में चरमपंथियों के ठिकानों पर हजारों पुलिस अधिकारियों का छापा

अटॉर्नी जनरल के मुताबिक, ये लोग नवंबर 2021 से ही गुप्त बैठकें कर रहे थे और तख्ता पलट की तैयारी के लिए हमला करने का अभ्यास भी कर रहे थे. संदिग्ध लोगों ने अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए सैन्य बलों के इस्तेमाल की भी योजना बना रखी थी. साथ ही, उन्होंने बड़े पैमाने पर लोगों की हत्या करने की तैयारी भी की हुई थी.

अमादेउ एंटोनियो फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक और समाजशास्त्री टिमो रेनफैंक ने डीडब्ल्यू को बताया, "छापेमारी के ठिकानों और गिरफ्तार लोगों की भारी संख्या ने मुझे चौंका दिया है." यह फाउंडेशन जर्मनी के प्रमुख एनजीओ में से एक है जो दक्षिणपंथी उग्रवाद, नस्लवाद और यहूदी-विरोधी घटनाओं को रोकने के लिए काम कर रहा है.

रेनफैंक ने कहा, "जर्मनी में तख्ता पलट करना काफी मुश्किल है, क्योंकि देश का कानून और संविधान इस मामले में काफी सख्त है. हालांकि, इन लोगों (राइष सिटिजन) को लगता है कि वे ऐसा कर सकते हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि वे किस तरह भ्रम के जाल में फंसे हुए हैं."

इन सब के बावजूद, रेनफैंक को डर है कि जिस तरह से 6 जनवरी, 2021 को वॉशिंगटन, डीसी में कैपिटॉल हिल में हिंसा हुई थी उसी तरह की घटना जर्मनी में भी हो सकती है. यह घटना अमेरिकी लोकतंत्र के लिए बड़ा धब्बा साबित हुई.

जर्मनी की सेना और पुलिस में 300 से ज्यादा चरमपंथी

विरोध की वजह क्या है

राइषबुर्गर जर्मनी में युद्ध के बाद बने संविधान को नहीं मानते हैं और सरकार बदलने के लिए अभियान चला रहे हैं. ये लोग मौजूदा जर्मन कानून और देश की संसदीय व्यवस्था को भी नहीं मानते हैं. इनमें से अधिकांश लोग 1871 में स्थापित जर्मन साम्राज्य की फिर से स्थापना करना चाहते हैं. इनका यह भी मानना है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जिन लोगों ने नाजी जर्मनी को हराया था वही लोग गुप्त रूप से अभी देश पर शासन कर रहे हैं.

हाल के वर्षों में राइषबुर्गर की बढ़ती संख्या ने जर्मन सुरक्षा अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है. जून 2022 की रिपोर्ट में घरेलू खुफिया सेवा ने अनुमान लगाया था कि लगभग 21,000 लोग इस अभियान से जुड़े हुए हैं और उनकी संख्या बढ़ रही है.

खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, ये लोग बड़े पैमाने पर हिंसा को अंजाम दे सकते हैं. इनमें से करीब 500 लोगों के पास हथियार का लाइसेंस है.

अमादेउ एंटोनियो फाउंडेशन ने 2018 में एक अध्ययन किया था. इसके मुताबिक, यह कोई सजातीय संगठन नहीं है, बल्कि 'विचारधारा' वाला समूह है. इस समूह से जुड़े लोगों की हिंसा और उग्रवाद के प्रति अलग-अलग राय है, लेकिन सभी लोगों का एक ही मत है कि जर्मनी का संघीय गणराज्य एक संप्रभु देश नहीं है. इस समूह से जुड़े लोग देश के संविधान और संवैधानिक संस्थानों को नहीं मानते हैं.

साल 2021 में बताया गया था कि राइषबुर्गर के 1,150 (करीब पांच फीसदी) सदस्य दक्षिणपंथी चरमपंथी हैं. इस समूह का मानना है कि 1945 से पहले नाजी शासन के दौरान पूर्वी यूरोप के जो क्षेत्र जर्मनी का हिस्सा थे उन्हें आज भी जर्मनी का ही हिस्सा होना चाहिए.

कितने खतरनाक हैं राइषबुर्गर

हाल के वर्षों में, कई गंभीर अपराधों के लिए राइषबुर्गर को जिम्मेदार ठहराया गया है. कई पर हत्या या हत्या के प्रयास का मुकदमा चला है. घरेलू खुफिया विभाग ने 2020 और 2021 में इनके खिलाफ कई मामले दर्ज किए हैं.

रेनफैंक ने कहा कि राइषबुर्गर की विचारधारा में पहले से ही उग्रवाद शामिल है, क्योंकि ये लोग संविधान और सुरक्षा अधिकारियों को वैधानिक तौर पर मान्यता नहीं देते हैं. उनकी विचारधारा उन्हें हिंसक कार्यों के लिए प्रेरित करती है.

उन्होंने आगे कहा, "ये लोग अचानक से हमले नहीं करते हैं. वे देश की बुनियादी व्यवस्था को निशाना बनाते हैं, जैसे कि चुने गए स्थानीय नेता को निशाना बनाना."

कोविड-19 को लेकर लगाए गए प्रतिबंधों के खिलाफ पिछले तीन वर्षों में हुए विरोध-प्रदर्शन के कारण कट्टरता बढ़ी है और राइषबुर्गर विचारधारा के समर्थकों की संख्या में वृद्धि हुई है. उदाहरण के लिए, "फ्री गाइस्ता" (फ्री स्पिरिट्स) समूह के प्रदर्शन के दौरान एक बैनर पर लिखा था, "संप्रभुता. हमारे देश की आजादी के लिए."

रेनफैंक ने कहा, "यह दृश्य पूरी तरह कट्टरपंथ को दिखा रहा था. लोग राइषबुर्गर के मूल विचार के प्रति ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं कि जर्मनी स्वतंत्र नहीं है और देश की शासन व्यवस्था पूरी तरह से निर्वाचित सरकार के हाथ में नहीं है."

दक्षिणपंथी नेटवर्क की पैठ

संघीय लोक अभियोजक के कार्यालय ने जिन संदिग्ध ठिकानों की तलाशी ली है उनमें जर्मनी की स्पेशल फोर्स यूनिट केएसके के दक्षिण पश्चिमी राज्य काल्व के बैरक भी शामिल हैं. यह यूनिट पहले भी धुर दक्षिणपंथी गतिविधियों में कुछ सैनिकों के शामिल होने की जांच में अधिकारियों की नजर में रही है. इस मामले में केएसके के एक सक्रिय सैनिक सहित कई रिजर्व सैनिक भी संदिग्ध बताए गए हैं. सैक्सनी में केएसके कंपनी के एक सैनिक के घर पर गोला-बारूद के साथ विस्फोटकों और हथियारों का जखीरा भी मिला है.

दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड पार्टी यानी एएफडी  के एक बुंडेस्टाग सदस्य को भी संदिग्ध के तौर पर चिह्नित किया गया है. एएफडी एक धुर दक्षिणपंथी राजनीतिक दल है जो चरमपंथियों से अपने संबंध के चलते जर्मन एजेंसियों की नजर में बार बार जांच का विषय बन रहा है.

पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया
पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार कियातस्वीर: Boris Roessler/picture alliance/dpa

पर्यवेक्षकों का मानना है कि वर्षों से सुरक्षा एजेंसियों और बुंडेसवेयर के भीतर दक्षिणपंथी नेटवर्क सक्रिय है. जुलाई 2020 में, तत्कालीन रक्षा मंत्री आनेग्रेट क्रांप कारेनबावर ने केएसके की एक पूरी कंपनी को भंग कर दिया था. यहां कथित तौर पर नाजी शासन की तरह सलामी दी जाती थी और पार्टियों में दक्षिणपंथी संगीत बजाया जाता था.

रेनफैंक ने कहा, "मुझे इस बात का बड़ा झटका लगा है कि सुरक्षा अधिकारियों को भी यह विचारधारा आकर्षित करने लगी है. मौजूदा गिरफ्तारियों को बारीकी से देखने की जरूरत है. साथ ही, यह भी समझना चाहिए कि यह एक ऐसी समस्या है कि जिसे बुंडेसवेयर में आंतरिक रूप से हल नहीं किया जा सकता."