खुल गया व्हेल मछलियों के गाने का रहस्य
२६ फ़रवरी २०२४समुद्र में आने वाली इस आवाज को सुनने वाले कुछ लोग कहते हैं कि यह शायद दुनिया की सबसे डरावनी आवाज है. यह आवाज तब आती है जब व्हेल मछलियां गाती हैं. पानी के भीतर मीलों दूर तक सुनाई देती है.
वैज्ञानिक काफी समय से यह जानने की कोशिश में थे कि व्हेल मछलियां यह आवाज कैसे निकालती हैं. और अब शायद उन्होंने इस रहस्य को सुलझा लिया है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि व्हेल मछलियों के पास एक ऐसा ‘वॉइस बॉक्स' यानी ‘स्वर-यंत्र' होता है, जो अन्य जानवरों के पास नहीं है. यही बक्सा उन्हें ये आवाजें निकालने की शक्ति देता है.
पिछले हफ्ते नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में वैज्ञानिकों ने इस वॉइस बॉक्स के बारे में बताया. हालांकि शोधकर्ता कहते हैं कि उन्होंने जितने नमूनों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है, वह बहुत छोटा है इसलिए बहुत पुष्टता के साथ कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन वे इस खोज के आधार पर भविष्य में नई जानकारियों के लिए रास्ता मिलने को लेकर उत्साहित हैं.
कैसे हुआ अध्ययन
सदर्न डेनमार्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कोएन एलेमान्स और उनके दल ने यह शोध किया है. उन्होंने तीन व्हेल मछलियों का अध्ययन किया जो समुद्र के किनारे मरी पाई गई थीं. इनमें से एक हंपबैक व्हेल थी, एक मिंके और एक साई व्हेल मछली.
वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला के भीतर नियंत्रित परिस्थितियों में इन व्हेल मछलियों के वॉइस बॉक्स में हवा फेंकी ताकि पता लगा सकें कि जब हवा गुजरती है तो कौन से उत्तकों में हरकत होती है.
इसके बाद उन्होंने व्हेल मछली के इस वॉइस बॉक्स का एक थ्रीडी कंप्यूटर मॉडल तैयार किया जिसमें आवाज के लिए गले में होने वाली सिकुड़न और फैलाव को साफ समझा जा सके. शोधकर्ताओं के मुताबिक इस दिशा में यह अब तक का सबसे विस्तृत अध्ययन है.
प्रोफेसर एलिमान्स कहते हैं कि व्हेल मछलियां उन स्तनधारी जीवों से विकसित हुई हैं जो करीब पांच करोड़ साल पहले जमीन पर रहा करते थे. समय के साथ उनके गले में इस तरह के बदलाव हुए कि वे पानी के भीतर भी आवाज निकाल सकती हैं और ऐसा करते वक्त उनके भीतर पानी नहीं जाता, इसलिए मुंह खोलकर आवाज निकालने के बावजूद वे डूबती नहीं हैं.
वह कहते हैं, "वे बेहद बुद्धिमान और सामाजिक प्राणी हैं. उनके पास नए गीत सीखने और इनके जरिए अपनी संस्कृति को पूरे ग्रह पर फैलाने की दुर्लभ क्षमता है.”
दुर्लभ वोकल कोर्ड
वैज्ञानिकों के मुताबिक एक दूसरे से बातचीत करने के लिए और समुद्र की गहराई व अंधेरे में एक दूसरे को खोजने के लिए व्हेल मछलियां इस आवाज पर ही निर्भर करती हैं. हालांकि यह आवाज अलग-अलग प्रजातियों में अलग-अलग हो सकती है. प्रोफेसर एलिमान्स कहते हैं, "मसलन, हंपबैक मादाएं अपने बच्चों से बात करने के लिए आवाज का इस्तेमाल करती हैं जबकि हंपबैक नर मादाओं को रिझाने के लिए गाने गाते हैं.”
इंसान या अन्य स्तनधारियों के उलट व्हेल मछलियों के पास दांत या गले में वोकल कोर्ड नहीं होती. इसके बजाय उनके पास यू (U) के आकार का एक उत्तक होता है जिसके जरिए वे बहुत अधिक मात्रा में हवा गले में भर सकती हैं. इस उत्तक में भारी मात्रा में वसा और मांसपेशियां होती हैं, जो अन्य जीवों में नहीं होतीं.
प्रोफेसर एलिमान्स ने बताया कि शोधकर्ताओं ने पाया कि जब व्हेल मछलियां सांस छोड़ती हैं तो यू के आकार के इस उत्तक में हरकत होती है जिससे आवाज पैदा होती है.
जहाजों के शोर से कम
स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी में महासागरीय विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर जेरेमी गोल्डबोगेन इस शोध का हिस्सा नहीं थे. वह कहते हैं कि यह व्हेल मछलियों की आवाज पर अब तक का सबसे गहन शोध है. उन्होंने कहा, "व्हेल मछलियां आवाज कैसे निकालती हैं, यह बहुत लंबे समय से कायम रहस्य है और इसके बारे में यह अब तक का सबसे विस्तृत और महत्वपूर्ण अध्ययन है.”
उन्होंने कहा कि व्हेल मछलियों की आवाजों की अद्भुत विविधता को देखते हुए इस क्षेत्र में और ज्यादा अध्ययन की जरूरत और गुंजाइश है.
प्रोफेसर एलिमान्स कहते हैं कि कंप्यूटर मॉडलिंग से एक निष्कर्ष यह भी निकलता है कि हंपबैक और अन्य व्हेल प्रजातियां जहाजों से ज्यादा ऊंची आवाज नहीं निकाल सकतीं और समुद्र में तैरते जहाज उन्हें प्रभावित करते हैं.
वह कहते हैं, "(जहाजों के शोर से) वे बहुत ज्यादा प्रभावित होती हैं और उनकी बातचीत करने की क्षमता बहुत कम हो जाती है. वे तो उनसे ज्यादा ऊंची आवाज नहीं निकाल सकतीं.”
वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)