"प्राइड" स्टेशन में काम कर गर्व करते ट्रांसजेंडर
२० नवम्बर २०२०बिहार के कटिहार से निकलकर माही गुप्ता मुंबई रोजगार की तलाश में पहुंची लेकिन वहां कुछ समय बिताने के बाद उन्हें प्राइड स्टेशन में काम करने का मौका मिला. माही गुप्ता एक ट्रांसजेंडर हैं और उनकी नई नौकरी नोएडा के सेक्टर 50 स्थित "प्राइड" स्टेशन में लगी है. यह उत्तर भारत का पहला मेट्रो स्टेशन है जो ट्रांसजेंडरों को समर्पित किया गया है. मकसद बेहद साफ है इस समुदाय से जुड़े लोगों को रोजगार और सम्मान देकर मुख्यधारा में लाना और समाज में उनके प्रति सोच में बदलाव लाना शामिल है. माही गुप्ता टिकट काउंटर पर आने वाले मेट्रो यात्रियों के सवालों के जवाब देती हैं और उन्हें कोई परेशानी होने पर उसे हल करने की भी कोशिश करती हैं. माही का काम काउंटर पर मेट्रो टोकन बेचने का है लेकिन वे इस नौकरी से बेहद खुश हैं. माही डीडब्ल्यू से कहती हैं, "हमारे लिए यह बेहद अनोखा अनुभव है इसी के साथ उन लोगों के लिए भी जो यहां आते हैं. हमें पहले सिर्फ ट्रैफिक सिग्नल पर भीख मांगने वालों की तरह देखा जाता था लेकिन मौका मिलना पर हम अपनी क्षमता दिखा सकते हैं."
ट्रांसजेंडर के लिए अवसर
नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एनएमआरसी) ने सेक्टर 50 स्टेशन को ट्रांसजेंडर समुदाय को समर्पित किया है. इस पहल का मकसद है कि ट्रांसजेंडर को मुख्यधारा से जोड़ा जा सके. एनएमआरसी ने छह ट्रांसजेंडरों को टिकट काउंटर और हाउस कीपिंग की ट्रेनिंग दिलवाकर इस स्टेशन पर तैनात किया है. यह पहल ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक 2019 से प्रेरित है, जिसके मुताबिक किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति के साथ शैक्षणिक संस्थानों, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाओं आदि में भेदभाव नहीं किया जा सकता है. प्राइड स्टेशन में हाउस कीपिंग का काम करने वाली प्रीति कहती हैं, "तीसरे लिंग के लोगों को सिर्फ गलत नजरों से ही देखा जाता रहा है. लेकिन जब से मैं यहां काम कर रही हूं तो मेरे अंदर आत्मविश्वास बढ़ा है और मैं गर्व महसूस करती हूं. हम ट्रांसजेंडर हैं तो क्या हुआ जो इज्जत हमें समाज में मिलनी चाहिए वो यहां काम करने के बाद मिल रही है."
"सम्मान वाली जिंदगी"
माही कहती हैं कि उन्होंने 2013 में अपना लिंग बदलवाया और उसके बाद गांव गई तो गांव वालों ने उन पर तरह तरह के ताने मारे जिसके बाद वह गांव छोड़ कर चली गई. माही ने इस दौरान बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया और बाद में एनजीओ के साथ मिलकर एचआईवी के लिए कार्यक्रम में काम किया. माही के मुताबिक, "नौकरी से लोगों की सोच में बदलाव आना एलजीबीटी समुदाय के लिए बहुत मायने रखता है, क्योंकि यह समुदाय समाज में स्वीकृति पाने के लिए बोल बोल कर थक चुका है. अब इस समुदाय के सदस्यों को काम की जरूरत है क्योंकि बिना काम के वे समाज में अपने आपको साबित नहीं कर सकते हैं."
स्टेशन के बाहर और भीतर इस समुदाय को महत्व देने के लिए दीवारों पर सतरंगी रंग और चित्र बनाए गए हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में 4.9 लाख ट्रांसजेंडर रहते हैं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इनकी संख्या 35,000 के करीब है. गौरतलब है कि सेक्टर 50 स्टेशन का नाम बदलने से पहले एनएमआरसी ने ऑनलाइन सुझाव मांगे थे, अधिकतर लोगों ने स्टेशन का नाम "प्राइड" करने का सुझाव दिया.
2017 में केरल के कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड ने इसी तरह 23 ट्रांसजेंडरों को नौकरी पर रखा था.
__________________________
हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore