हंगरी के पीएम ओरबान ने बनाया नया धुर-दक्षिणपंथी गठबंधन
१ जुलाई २०२४इस गठबंधन में विक्टर ओरबान की धुर-दक्षिणपंथी राजनीति से जुड़ी फिडेज पार्टी, ऑस्ट्रिया फ्रीडम पार्टी (एफपीओ) और चेक रिपब्लिक की ऐक्शन ऑफ डिस्सटिस्फाइड सिटिजन्स (एएनओ) मूवमेंट साथ होंगे. इस समूह को "पैट्रियट्स ऑफ यूरोप" नाम दिया गया है. यह गठबंधन दक्षिणपंथी झुकाव वाले दलों और धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों को साथ लेकर यूरोपीय संसद में बड़ा समूह बनने की कोशिश करेगा.
30 जून को ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ओरबान ने यह गठबंधन बनाने का मकसद बताते हुए कहा कि पैट्रियट्स ऑफ यूरोप "यूरोपीय राजनीति में सबसे बड़ा दक्षिणपंथी समूह बनना चाहता है."
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इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में ओरबान के साथ एफपीओ के नेता हेरबेर्ट किकल और एएनओ के नेता आंद्रे बाबिश भी मौजूद थे. बाबिश, चेक रिपब्लिक के प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं. बाबिश की एएनओ पार्टी ने पिछले हफ्ते ही यूरोपीय संसद के यूरोप समर्थक विचारधारा वाले 'रीन्यू यूरोप' समूह से अलग होने का एलान किया था.
गठबंधन ने अपना मकसद क्या बताया
किकल ने उम्मीद जताई कि यह गठबंधन यूरोपीय राजनीति में एक नया दौर है. उन्होंने समान विचारधारा वाले दूसरे राजनीतिक दलों को भी साथ आने का न्योता दिया. वहीं, बाबिश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा "आज हमने यूरोपीय संसद में एक नए गुट पेट्रियट्स ऑफ यूरोप का गठन किया. हम यूरोपीय राजनीति को बदल देंगे, ताकि यह एक बार फिर देशों और हमारे लोगों के लिए काम करे. हम फेडरलिजम पर राष्ट्रीय संप्रभुता को, आदेश पर आजादी को, युद्ध पर शांति को वरीयता देंगे."
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, वियना में नए गठबंधन की घोषणा करते हुए ओरबान ने कहा, "यहां एक नया दौर शुरू हो रहा है, और इस नए दौर का शायद पहला निर्णायक क्षण एक नया यूरोपीय राजनीतिक धड़ा बनाना है, जो यूरोप की राजनीति को बदल देगा."
इस कथित नए दौर को लाने का संकल्प करते हुए ओरबान, किकल और बाबिश ने एक घोषणापत्र पर दस्तखत किए, जिसे इन नेताओं ने "पेट्रियोटिक मैनिफेस्टो" बताया. इसमें युद्ध, माइग्रेशन और विकासहीनता की जगह शांति, सुरक्षा और विकास का वादा किया गया.
यूरोपीय संसद के चुनाव में तीनों पार्टियों का अच्छा प्रदर्शन
यूरोप में दक्षिणपंथ और धुर-दक्षिणपंथ के बढ़ते जनाधार के बीच फिडेज, एएनओ और एफपीओ ने हालिया यूरोपीय संसद के चुनाव में काफी अच्छा प्रदर्शन किया. फिडेज को अपने सहयोगी केडीएनपी के साथ मिलकर हंगरी में सबसे ज्यादा वोट मिले और इस गठबंधन ने 11 सीटें जीतीं. यूरोपीय संसद में हंगरी के हिस्से की कुल 21 सीटें हैं.
यूरोपीय चुनाव: ऑस्ट्रिया में धुर-दक्षिणपंथी पार्टी को सफलता
इसी तरह एएनओ को चेक रिपब्लिक में सबसे ज्यादा सात सीटें और एफपीओ को ऑस्ट्रिया में सबसे अधिक छह सीटें मिलीं. ऑस्ट्रिया में इस साल होने जा रहे राष्ट्रीय चुनावों में भी एफपीओ के जीतने की मजबूत संभावना है.
यूरोपीय संसद में नया राजनीतिक समूह बनाने की शर्तें
यूरोपीय संघ (ईयू) की संसद में 705 निर्वाचित सदस्य हैं. यूरोपीय संसद के सदस्य, जिन्हें 'मेंबर्स ऑफ दी यूरोपियन पार्लियामेंट' (एमईपी) कहते हैं, अपने-अपने देशों के मुताबिक नहीं, बल्कि राजनीतिक विचारधारा वाले समूहों में बैठते हैं.
अभी यूरोपीय संसद में सात समूह हैं, जिनके नाम हैं: ग्रुप ऑफ दी यूरोपियन पीपल्स पार्टी (क्रिश्चियन डेमोक्रैट्स), ग्रुप ऑफ द प्रोग्रेसिव अलायंस ऑफ सोशलिस्ट्स एंड डेमोक्रैट्स, रीन्यू यूरोप ग्रुप, ग्रुप ऑफ द ग्रीन्स/यूरोपियन फ्री अलायंस, यूरोपियन कंजरवेटिव्स एंड रिफॉर्मिस्ट्स, आइडेंटिटी एंड डेमोक्रेसी ग्रुप और द लेफ्ट ग्रुप इन दी यूरोपियन पार्लियामेंट.
कुछ सदस्य किसी भी राजनीतिक समूह से नहीं होते. इन्हें नॉन-अटैच्ड मेंबर्स कहते हैं. नया राजनीतिक समूह बनाने के लिए न्यूनतम 23 सदस्य चाहिए. पेट्रियट्स ऑफ यूरोप के पास यह संख्या तो है, लेकिन अभी उन्हें एक और शर्त पूरी करनी है.
ईयू के नियमों के मुताबिक, नया पॉलिटिकल ग्रुप बनाने के लिए समूह में सदस्य देशों की कम-से-कम एक तिहाई संख्या का प्रतिनिधित्व होना चाहिए. ईयू में 27 सदस्य हैं, यानी सात देशों से प्रतिनिधित्व की जरूरत है. ऐसे में पेट्रियट्स ऑफ यूरोप को कम-से-कम चार और देशों से निर्वाचित एमईपी साथ लाने की जरूरत है.
और कौन सी पार्टियां साथ आ सकती हैं
अनुमान है कि पोलैंड की दक्षिणपंथी लॉ एंड जस्टिस (पीआईएस) पार्टी भी पेट्रियट्स ऑफ यूरोप से जुड़ सकती है. बीते दिनों खबर आई कि पीआईएस, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के 'यूरोपियन कंजरवेटिव्स एंड रीफॉर्मिस्ट्स' (ईसीआर) समूह से अलग होने पर विचार कर रही है. ईसीआर के सबसे बड़े घटक दलों में मेलोनी की ब्रदर्स ऑफ इटली के 24 यूरोपीय सांसद और पीआईएस के 20 सांसद हैं.
जर्मनी की धुर-दक्षिणपंथी पार्टी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) के भी पैट्रिअट्स ऑफ यूरोप से जुड़ने की संभावना है. एएफडी को हाल ही में यूरोपियन आइडेंटिटी एंड डेमोक्रेसी (आईडी) से निकाल दिया गया था. आईडी ने यह कदम यूरोपीय संसद का चुनाव लड़ रहे एएफडी के प्रमुख उम्मीदवार माक्सिमिलियन क्राह के रूस और चीन से कथित संबंधों सहित कई विवादों में घिरने के बाद लिया.
एएफडी ने भी 30 जून को आईडी से निकलने की आधिकारिक घोषणा की. पार्टी के एक प्रवक्ता ने फिडेज के साथ जुड़ने की संभावनाओं पर कहा, "भले ही एएफडी अभी फिडेज पार्टी के साथ संयुक्त संसदीय समूह ना बना सके, लेकिन यह एएफडी के अन्य दलों के साथ मिलकर काम करने के नए अवसर खोलता है, खासतौर पर जब ईसीआर और आईडी का पार्टी परिदृश्य लगातार बदल रहा हो."
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छह महीने के लिए हंगरी रहेगा अध्यक्ष
'काउंसिल ऑफ दी ईयू' की अध्यक्षता छह-छह महीने पर सदस्य देशों के बीच घूमती है. 1 जुलाई से यह प्रेसिडेंसी हंगरी को मिली है. वह 31 दिसंबर 2024 तक काउंसिल की अध्यक्षता करेगा. हंगरी से पहले बेल्जियम अध्यक्षता कर रहा था और अगली प्रेजिडेंसी पोलैंड को मिलेगी.
हंगरी ने कहा है कि वह अपने इस कार्यकाल में "यूरोप को फिर से महान बनाने" के मकसद से काम करेगा और "विजन ऑफ यूरोप" को आगे बढ़ाएगा. हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान का यह नारा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" की याद दिलाता है.
हंगरी ने काउंसिल की वेबसाइट पर अपने कार्यकाल की प्राथमिकताओं को रेखांकित करते हुए लिखा है, "हमारा महादेश एक जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है. इसके कारण हैं, पड़ोस में चल रहा युद्ध, ईयू का अपने वैश्विक प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले पिछड़ते जाना, सुरक्षा की नाजुक स्थिति, गैरकानूनी माइग्रेशन, अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चेन की अतिसंवेदनशीलता, प्राकृतिक आपदाएं, जलवायु परिवर्तन का असर और जनसंख्या से जुड़े रुझानों का असर."
2024 को बदलाव की ओर बढ़ने का साल बताते हुए हंगरी ने यह भी कहा कि यूरोप को युद्ध, हथियारबंद संघर्ष, दुनिया में मानवीय संकट और उनके असर जैसी चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए.
यूक्रेन और मोल्दोवा की सदस्यता पर फर्क पड़ेगा?
हंगरी ने कहा है कि वह बतौर अध्यक्ष सात क्षेत्रों पर ध्यान देगा. ये थीम्स हैं: ईयू की प्रतिद्वंद्विता बढ़ाना, ब्लॉक की रक्षा नीति को मजबूत बनाना, ईयू में विस्तार की नीतियों को एकरूप और योग्यता आधारित बनाना, अवैध तरीके से होने वाले आप्रवासन को काबू करना, मजबूत एकता की नीति के भविष्य को आकार देना, किसान पर आधारित कृषि नीति को बढ़ावा देना और जनसंख्या से जुड़े बदलावों पर ध्यान देना.
कई जानकार आशंका जता रहे हैं कि "ईयू की एनलार्जमेंट पॉलिसी" में कथित मेरिट और एकरूपता के माध्यम से हंगरी, यूक्रेन और मोल्दोवा की ईयू सदस्यता में अड़चन पैदा करने की कोशिश कर सकता है. हंगरी के पीएम विक्टर ओरबान, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी माने जाते हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भी उनकी पुतिन से नजदीकी कायम है.
रूस, यूक्रेन और मोल्दोवा की ईयू सदस्यता को शंका से देखता है और इसका विरोध करता है. 2022 में यूक्रेन और मोल्दोवा के सदस्यता के लिए किए गए आवेदन के बाद से ही ओरबान इसमें अड़चन पैदा करते आए हैं. खबरों के मुताबिक, इन आशंकाओं के कारण ही हंगरी की अध्यक्षता शुरू होने से पहले 25 जून को यूक्रेन और मोल्दोवा की ईयू सदस्यता पर आधिकारिक बातचीत शुरू कर दी गई.
पॉलिटिको की एक खबर के मुताबिक, ईयू के अधिकारी और यूक्रेन ने वार्ता प्रक्रिया पर सहमति बनाने के लिए हंगरी की सरकार को राजी करने पर काफी मेहनत की. ईयू के पांच अधिकारियों ने पहचान जाहिर ना करने की शर्त पर पॉलिटिको को बताया कि वे हर हाल में 25 जून से वार्ता शुरू करने की कोशिश कर रहे थे.