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कानून और न्यायअफगानिस्तान

आईसीसी: अफगानिस्तान में युद्ध अपराध संबंधी जांच को मंजूरी

१ नवम्बर २०२२

आईसीसी ने अफगानिस्तान में कथित मानवाधिकार उल्लंघन की जांच फिर से शुरू करने का फैसला किया है. जजों के मुताबिक मौजूदा काबुल सरकार ने न तो आंतरिक स्तर पर इस तरह की जांच कराई है और न ही ऐसा करने में कोई दिलचस्पी दिखाई है.

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तस्वीर: MOHSEN KARIMI/AFP

हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) ने अफगानिस्तान में कथित मानवाधिकार उल्लंघन की जांच को मंजूरी दी है. आईसीसी की ओर से जारी बयान के मुताबिक मौजूदा काबुल प्रशासन ने आंतरिक स्तर पर जांच में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, जिसके चलते यह फैसला लिया गया.

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2020 की शुरुआत में तत्कालीन काबुल सरकार ने हेग, नीदरलैंड्स में आईसीसी से अफगानिस्तान में कथित मानवाधिकारों के हनन की जांच को अस्थायी रूप से निलंबित करने का अनुरोध किया ताकि काबुल सरकार आंतरिक जांच कर सके. हालांकि, पिछले साल अगस्त में अमेरिका समर्थित काबुल सरकार को उखाड़ फेंका गया और अफगानिस्तान पर तालिबान का शासन स्थापित हो गया.

आईसीसी ने एक बयान में कहा, "न्यायाधीश इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इस समय अफगानिस्तान में जांच नहीं हो रही है, जो अदालत की जांच को स्थगित करने का औचित्य साबित करे. 26 मार्च, 2020 को सौंपी गई जांच को निलंबित करने के अनुरोध के संदर्भ में अफगान अधिकारी आंतरिक स्तर पर उचित कार्रवाई करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं."

पिछले साल सितंबर में अभियोजन पक्ष ने आईसीसी के न्यायाधीशों से संपर्क किया और उनसे जांच फिर से शुरू करने का अनुरोध किया. उनका अनुरोध मौजूदा काबुल प्रशासन के सामने भी रखा गया था, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. इस मामले में 31 अक्टूबर को न्यायाधीशों ने फैसला किया कि अफगानिस्तान की प्रतिक्रिया से पता चलता है कि प्रशासन ने न तो इन मामलों की जांच की है और न ही ऐसी प्रक्रिया चल रही है. इस मामले में आईसीसी ने अभियोजकों से जांच प्रक्रिया फिर से शुरू करने को कहा है.

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आईसीसी के न्यायाधीशों ने 2020 में तत्कालीन अभियोजक फतोऊ बेनसौदा द्वारा एक जांच को मंजूरी दी, जिसमें अफगान सुरक्षा बलों, तालिबान, अमेरिकी सैनिकों और 2002 के अमेरिकी विदेशी खुफिया एजेंट द्वारा किए गए कथित युद्ध अपराधों को शामिल किया गया था.

हालांकि वर्तमान मुख्य अभियोजक करीम खान ने पिछले साल अमेरिका को सूची से यह कहते हुए हटा दिया था कि सबसे गंभीर अपराध आईएसआईएस और तालिबान द्वारा किए गए थे.

अधिकार समूहों ने खान के फैसले की आलोचना की, जिसमें अमेरिकी बलों की जांच को "अवमूल्यन" किया गया था, और इसके बजाय अफगानिस्तान के नए शासकों और प्रतिद्वंद्वी आईएस-खोरासन संगठन पर ध्यान केंद्रित किया गया था.

एए/सीके (एएफपी, एपी)

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