यूपी की महिला जज ने सीजेआई से मांगी इच्छा मृत्यु
१५ दिसम्बर २०२३यह महिला सिविल जज उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में तैनात है. इस महिला जज ने एक जिला जज पर "मानसिक और शारीरिक शोषण" का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को कथित खुला खत लिखा है.
महिला जज का खुला खत गुरुवार से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस खत में महिला जज ने लिखा है कि बाराबंकी में तैनाती के दौरान जिला जज ने उनका "यौन शोषण" किया.
इच्छा मृत्यु मांग रही जज
महिला जज ने लिखा, "मेरा हद दर्जे तक यौन उत्पीड़न किया गया है. मेरे साथ बिल्कुल कूड़े की तरह व्यवहार किया गया है. मैं एक अवांछित कीड़े की तरह महसूस करती हूं. और मुझसे दूसरे को न्याय दिलाने की आशा थी."
इस जज ने आगे लिखा, "मैं बहुत उत्साह और भरोसे के साथ न्यायिक सेवा में शामिल हुई थी. मुझे लगा था कि मैं आम लोगों को न्याय दिलाऊंगी, मुझे क्या पता था कि मैं जिस दरवाजे पर जाऊंगी, जल्द ही मुझे न्याय के लिए भिखारी बना दिया जाएगा."
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक महिला जज ने सीजेआई को दो पन्ने का खत लिखा है. इस खत में उन्होंने लिखा, "मैं इस खत को बेहद दर्द और निराशा में लिख रही हूं. इस खत का मेरी कहानी बताने और प्रार्थना करने के अलावा कोई उद्देश्य नहीं है. मेरे सबसे बड़े अभिभावक (सीजेआई) मुझे अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति दें."
इस खत के वायरल होने के बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार की देर रात चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के सेकेट्री जनरल अतुल एम कुरहेकर को इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगने को कहा. एसजी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखकर महिला जज द्वारा दी गई सारी शिकायतों की जानकारी मांगी है.
एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में आगे लिखा सेकेट्री जनरल को बीती रात फोन पर सूचित किया गया कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने भी खुले पत्र पर ध्यान दिया है.
महिला जज कर चुकी है शिकायत
महिला जज ने अपने पत्र में कहा कि जुलाई 2023 में हाई कोर्ट की आंतरिक शिकायत समिति में शिकायत दर्ज करने के बाद उनके आरोपों की जांच का आदेश दिया गया था, लेकिन जांच "एक दिखावा" है.
जज ने खत में आरोप लगाया संबंधित जिला जज ने उसे रात में मिलने के लिए कहा था. वह आगे कहती हैं कि हालांकि 2022 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और प्रशासनिक न्यायाधीश को शिकायत दी गई थी, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.
महिला जज का यह भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में भी जिला जज के तबादले के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन उनका आरोप है कि "8 सेकंड के भीतर ही उनकी याचिका खारिज कर दी गई."
"चलती फिरती लाश बन गई"
इस कथित खत में महिला जज ने कहा है कि वह एक चलती फिरती लाश बन गई है. उन्होंने लिखा, "मुझे जीने की कोई इच्छा नहीं है. मेरी जिंदगी का कोई मकसद नहीं बचा है. कृपया मुझे अपना जीवन सम्मानजनक तरीके से समाप्त करने की अनुमति दें. मेरी जिंदगी खारिज कर दी जाए."
उन्होंने आगे लिखा, "मैं भारत की कामकाजी महिलाओं से कहना चाहती हूं कि वह यौन शोषण के साथ जीना सीख लें. यह हमारी जिंदगी का सच है. POSH (यौन उत्पीड़न से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम) सबसे बड़ा झूठ है. कोई हमारी नहीं सुनता, किसी को हमारी परवाह नहीं. मैं जज होते हुए अपने लिए निष्पक्ष जांच नहीं करवा पाई. न्याय तो दूर की बात है. मैं सभी महिलाओं को सलाह देती हूं कि वे खिलौना या निर्जीव वस्तु बनना सीख लें."
इस महिला जज से कई अखबारों ने संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया.