वो जगह जहां वास्तुकला के लिए प्रकृति से प्रेरणा ली जाती है
३१ अक्टूबर २०२२ऑस्ट्रिया के इस सबसे पश्चिमी राज्य में रहने वाले लोगों ने 1960 के दशक से ही सुंदरता और आराम के साथ साथ संसाधनों के सावधानी से इस्तेमाल को चुना है. इस समय फ्रांस से वास्तुकारों और अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल यहां एक दौरे पर आया हुआ है, जिसमें प्वी-सां-आंद्रे शहर के उप महापौर पिएरे लेरॉय भी शामिल हैं.
लेरॉय ने बताया, "मैं जब भी यहां आता हूं, मुझे बहुत जबरदस्त महसूस होता है. ये लोग हमसे 35 साल आगे हैं." वोरार्लबर्ग की सस्टेनेबल वास्तुकला को अक्सर "बाउकुल्टूअर" कहा जाता है और यह पूरे प्रांत में सामूहिक आवास परियोजनाओं से लेकर स्कूलों और फैक्टरियों में दिख जाता है.
स्थानीय निर्माण सामग्री को तरजीह दी जाती है. इसमें जहां भी मुमकिन हो वहां कंक्रीट की जगह सफेद पाइन और मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है. यहां की वास्तुकला की खासियत है एक साफ, कॉम्पैक्ट और व्यावहारिक डिजाइन, लेकिन सौंदर्य में भी कमी नहीं की जाती है.
इसके अलावा बचत एक मार्गदर्शक सिद्धांत है. लागत कम करने के लिए पहले से बनाए हिस्सों के इस्तेमाल से कोई परहेज नहीं किया जाता. साथ ही ऊर्जा कुशलता को वरीयता दी जाती है. इस इलाके के वास्तुकारों के साथ साथ बढ़ईयों और शिल्पियों को काफी अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है और दुनिया भर में उनकी काफी मांग भी है.
ऊर्जा खर्च में बचत
कई घरों को "पैसिव हाउस" मानक के हिसाब से बनाया गया है, जिसका मतलब है ऐसी इमारतें जिनकी ऊर्जा जरूरतें कम से कम हैं. इन इमारतों में सम्पूर्ण तापावरोधन है, विशिष्ट वायु संचालन है, सौर पैनल भी लगाए गए हैं और हीट पंप भी.
क्रुम्बाक गांव में एक सामुदायिक भवन में विशाल ट्रिपल ग्लेजिंग का इस्तेमाल किया गया है. मेत्जेलर चीज की स्थानीय फैक्टरी को तो पूरी तरह से लकड़ी से बनाया गया था और वह अपनी जियोथर्मल और सौर हीटिंग की वजह से लगभग आत्म निर्भर है.
श्वीशेनवासर के टाउन हॉल की अभी मरम्मत हुई है और उसकी हीटिंग की जरूरतों में एक चौथाई कमी कर ली गई है. वोरार्लबर्ग में चार लाख लोग रहते हैं और 150 वास्तुकला के दफ्तर हैं. यहां लकड़ी और पनबिजली अच्छी खासी मात्रा में उपलब्ध हैं और यहां की अर्थव्यवस्था समृद्ध है.
यहां के लोगों की दक्षता की भी एक बड़ी भूमिका है. इन्हें इनकी विनम्रता और अग्रसक्रियता के लिए जाना जाता है. क्रुम्बाक के निवासियों ने अलग अलग घरों की जगह सामूहिक आवासीय परियोजनाओं का बिना किसी प्रतिरोध के स्वागत किया.
नैतिक मूल्यों की भूमिका
इस तरह की वास्तुकला के हिमायती के रूप में जाने जाने वाले क्रुम्बाक के पूर्व महापौर आर्नोल्ड हर्षब्यूएल कहते हैं, "मुझे सबसे ज्यादा गर्व इस बात पर है कि लोग एक साझा लक्ष्य के लिए एकजुट हैं.' उन्होंने लोगों के लिए इस बात की सराहना भी की कि उन्होंने "अपने प्रति ईमानदार रहते हुए संसाधनों का सबसे सस्टेनेबल तरीके से इस्तेमाल किया."
पड़ोसी देश जर्मनी से अलग, वोरार्लबर्ग पारंपरिक रूप से ग्रीन पार्टी का गढ़ नहीं रहा है. यहां के अधिकांश लोग कंजर्वेटिव मतदाता हैं. यहां की लकड़ी की वास्तुकला के विशेषज्ञ फ्रांसीसी वास्तुकार डोमिनिक गौजिन-मुल्लर कहती हैं, "ये एक बेहद कंजर्वेटिव और कैथोलिक इलाका है. यहां के लोग व्यावहारिक हैं: वो साथ बैठते हैं और फिर चीजों को करते हैं."
वो यह भी कहती हैं, "ये लोग अपने नैतिक मूल्यों की वजह से इकोलॉजिकल हैं...और इसलिए भी क्योंकि वो अपने बच्चों के भविष्य की चिंता करते हैं." राज्य सरकार ने इस इकोलॉजिकल आंदोलन को समर्थन भी दिया है. 2001 से ही कड़े मानकों के आधार पर आवास के लिए अच्छी खासी सब्सिडी दी गई है.
हालांकि अब यह स्थिति बदल भी रही है. वास्तुकार क्लेमेंस क्वीरीन मानते हैं कि यहां की आर्थिक प्रगति की वजह से जमीन के दाम अब इतने बढ़ गए हैं कि सृजनात्मकता और इकोलॉजी पीछे चले गए हैं.
उन्होंने बताया कि हाल के सालों में आवास के मानकों को ढीला कर दिया गया है. उन्होंने बताया, "सार्वजनिक इमारतें तो अभी अभी उच्च गुणवत्ता की हैं लेकिन आवासीय परियोजनाएं पिछले 10 सालों से खराब बन रही हैं. मांग इतनी ज्यादा है कि डेवलपर कुछ भी बेच सकते हैं."
लेकिन क्वीरीन ने यह भी कहा कि यूरोप का मौजूदा ऊर्जा संकट इस चलन को फिर से पलट सकता है और फिर से इकोलॉजी को इन परियोजनाओं के केंद्र में ला सकता है.
सीके/एए (एएफपी)