इस देश में लग रहा दो साल के बच्चों को कोरोना टीका
७ सितम्बर २०२१सोमवार को क्यूबा दुनिया का ऐसा पहला देश बन गया है जहां दो साल के बच्चों को कोरोना की वैक्सीन दी गई. बच्चों को जो वैक्सीन दी जा रही है वह देश में ही विकसित की गई है और डब्ल्यूएचओ द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है.
1.12 करोड़ आबादी वाले कम्युनिस्ट द्वीप का लक्ष्य मार्च 2020 के बाद से बंद किए गए स्कूलों को फिर से खोलने से पहले अपने सभी बच्चों का टीकाकरण करना है. क्यूबा में सोमवार से स्कूल का नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुआ, लेकिन घर से टेलीविजन कार्यक्रमों के माध्यम से क्योंकि क्यूबा के अधिकांश घरों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है.
क्यूबा में कोरोना वैक्सीन अबदाला और सोबराना का क्लीनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है और शुक्रवार से वहां 12 साल के बच्चों और किशोरों की वैक्सीन की शुरूआत हुई. सोमवार को क्यूबा ने मध्य प्रांत सिएनफ्यूगोस में 2-11 आयु वर्ग वाले बच्चों को वैक्सीन लगाई.
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दुनिया के बाकी देशों में ट्रायल
दुनिया के कई अन्य देश 12 साल की उम्र के बच्चों का टीकाकरण कर रहे हैं जबकि और कुछ छोटे बच्चों पर टीके का ट्रायल कर रहे हैं. चीन, संयुक्त अरब अमीरात और वेनेजुएला जैसे देशों ने घोषणा की है कि वे छोटे बच्चों का टीकाकरण करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन क्यूबा ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है.
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चिली ने सोमवार को छह से 12 साल के बच्चों के लिए चीनी वैक्सीन सिनोवैक टीके को मंजूरी दी है.
क्यूबा की वैक्सीन जो पहली बार लातिन अमेरिका में विकसित की गई हैं, वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिक समीक्षा से नहीं गुजरी हैं. क्यूबा ने जो टीके तैयार किए हैं वे पुनर्संयोजन प्रोटीन प्रौद्योगिकी पर आधारित हैं. इसी तकनीक का इस्तेमाल अमेरिका के नोवावैक्स और फ्रांस के सनोफी टीके पर भी किया गया है जो डब्ल्यूएचओ की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं.
बच्चों को टीका देने की जल्दी
इस्तेमाल में आने वाले कई अन्य टीके के विपरीत पुनर्संयोजन टीकों को अत्यधिक रेफ्रिजेरेशन की जरूरत नहीं होती है. क्यूबा में अधिकांश स्कूल मार्च 2020 से बंद कर दिए गए थे, जनवरी में फिर से बंद होने से पहले पिछले साल के अंत में कुछ हफ्तों के लिए स्कूल फिर से खोले गए थे.
सरकार ने घोषणा की थी कि अक्टूबर और नवंबर में स्कूल धीरे-धीरे फिर से खुलेंगे, लेकिन ऐसा सभी बच्चों के टीकाकरण के बाद ही होगा.
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनिसेफ ने दुनिया भर के स्कूलों को जल्द से जल्द फिर से खोलने का आह्वान किया है. उसका कहना है कि "स्कूल बंद करने की लंबी अवधि की लागत बहुत अधिक है और इसे उचित ठहराना कठिन है."
एए/वीके (एएफपी)