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केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर नहीं आया फैसला

७ मई २०२४

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिए जाने पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. हालांकि कोर्ट ने कहा है कि केजरीवाल आदतन अपराधी नहीं हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा केजरीवाल दिल्ली के निर्वाचित मुख्यमंत्री हैं और वह आदतन अपराधी नहीं हैं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा केजरीवाल दिल्ली के निर्वाचित मुख्यमंत्री हैं और वह आदतन अपराधी नहीं हैंतस्वीर: Manish Swarup/AP Photo/picture alliance

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब रद्द हो चुकी आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद हैं. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई की और इस दौरान कई टिप्पणियां भी कीं.

केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह तिहाड़ जेल में बंद हैं.

सुनवाई की शुरूआत करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय राजधानी के "निर्वाचित मुख्यमंत्री" हैं. "चुनाव हैं... ये असाधारण स्थितियां हैं और वह आदतन अपराधी नहीं हैं." जस्टिस दत्ता ने कहा, "अगर चुनाव नहीं होते... तो अंतरिम जमानत का कोई सवाल ही नहीं होता."

केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह तिहाड़ जेल में बंद हैं
केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह तिहाड़ जेल में बंद हैंतस्वीर: Hindustan Times/IMAGO

ईडी ने किया विरोध

सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केजरीवाल को अंतरिम राहत दिए जाने का विरोध किया. ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि राजनेताओं को एक वर्ग से अलग नहीं माना जा सकता और केजरीवाल के मामले को आम आदमी के मामले के समान ही माना जाना चाहिए.

इस पर अदालत ने स्वीकार किया कि वह "निश्चित रूप से नहीं चाहती कि अपराधों में शामिल राजनेताओं के साथ अलग व्यवहार किया जाए", लेकिन अदालत ने साथ ही बड़ी तस्वीर की ओर भी इशारा किया कि केजरीवाल को वास्तव में 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले गिरफ्तार किया गया था.

'आप' ने गिरफ्तारी के समय पर उठाया सवाल

आम आदमी पार्टी के नेताओं का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का समय पार्टी की चुनावी योजनाओं को विफल करना और "एक भी वोट पड़ने से पहले आप को नष्ट करना" था.

सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को भी स्वीकार किया कि केजरीवाल को इसकी जांच में शामिल होने के लिए कई समन से बचने के बाद गिरफ्तार किया गया था.

ईडी की ओर से पेश वकील ने कहा, "जमानत मिलने से गलत संदेश जाएगा और आम आदमी का मनोबल गिरेगा...कि (केजरीवाल को) चुनाव प्रचार का सुख मिलता है..."

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केजरीवाल को अंतरिम राहत देने का विरोध करते हुए कहा कि वह (केजरीवाल) छह महीने तक समन टालते रहे. अगर पहले सहयोग करते तो हो सकता था कि गिरफ्तारी ही ना होती.

दिल्ली के कथित शराब घोटाले में ईडी ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को 9 बार समन जारी किए थे. केजरीवाल किसी भी समन में पेश नहीं हुए थे.

ईडी का आरोप है कि केजरीवाल घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता हैं और वह सीधे तौर पर शराब कारोबारियों से रिश्वत मांगने में शामिल रहे. केजरीवाल ने ईडी द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट मौजूदा लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें प्रचार के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने पर विचार कर रही थी.

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा, "क्या जमानत मिलने पर वह आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करेंगे. इसके व्यापक प्रभाव हो सकते हैं. हम यह स्पष्ट करते हैं, हम नहीं चाहते कि आप आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करें, अगर हम आपको रिहा करें."

इसके जवाब में केजरीवाल के वकील ने कोर्ट से कहा, "वह किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे. वह दिल्ली शराब नीति मामले में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेंगे."

कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली और उनकी अंतरिम जमानत पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. कोर्ट ने समय की कमी के कारण इस मामले में कोई आदेश नहीं दिया है.