ओआईसी की बैठक में हुर्रियत नेता को बुलावा, भारत नाराज
१८ मार्च २०२२अगले हफ्ते पाकिस्तान में इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की बैठक में शामिल होने के लिए सर्वदलीय हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन को आमंत्रित करने को लेकर भारत ने कड़ा रुख अपनाया है. भारत सरकार ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि वो इस तरह की गतिविधियों को बहुत गंभीरता से लेती है.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम ओआईसी से उम्मीद करते हैं कि भारत-विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद में शामिल रहने वालों को बढ़ावा नहीं दिया जाए. पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, "भारत ऐसी कार्रवाइयों को बहुत गंभीरता से लेता है जिसका मकसद देश की एकता को नुकसान करना और इसकी संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करना है."
बागची ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा हमने बार-बार ओआईसी से निवेदन किया है कि वह अपने मंच का इस्तेमाल भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने के लिए निहित स्वार्थी तत्वों को देने से बचे.
इस्लामाबाद में 22 और 23 मार्च को ओआईसी सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक होने वाली है. इसी से जुड़े सवालों के जवाब में बागची ने ये बातें कही.
सर्वदलीय हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन 1992 में मीरवाइज उमर फारूक के पहले अध्यक्ष के रूप में हुआ था. इसका संविधान हुर्रियत को कश्मीर विवाद के समाधान के लिए "शांतिपूर्ण संघर्ष" छेड़ने के लिए जम्मू-कश्मीर आधारित पार्टियों के एक संघ के रूप में वर्णित करता है.
हालांकि, ओआईसी में मौजूद कई सदस्य देशों के साथ भारत के गहरे संबंध हैं, जैसे कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, इंडोनेशिया, बांग्लादेश आदि देश.