किसानों के लिए केंद्र की सौगात
देश का किसान अपनी उपज को अब कहीं भी बेच सकेगा. केंद्र सरकार ने बुधवार 3 जून को प्रमुख कृषि उत्पादों को आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के दायरे से बाहर करने के फैसले पर मुहर लगा दी. अब अपनी मर्जी से उपज बेच पाएंगे किसान.
किसानों के 'अच्छे दिन'
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने "द फार्मर्स एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेस ऑर्डिनंस, 2020" पर मुहर लगा दी. इस अध्यादेश की मदद से किसान और प्रोसेसिंग यूनिट और कारोबारियों के बीच करार आधारित खेती को बढ़ावा मिलेगा.
मंडी से आजादी
कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों को मंजूरी देते हुए केंद्र सरकार ने तीन अध्यादेशों के मसौदों को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी है. मंडी कानून से राहत देने के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का कानून बनाने का फैसला किया है. सरकार का कहना है कि उसने 50 साल पुरानी किसानों की मांग को पूरा किया है.
उपज का बेहतर मूल्य
सरकार का कहना है कि ये कदम देश के किसानों की मदद करने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव लाने में भी मददगार साबित होंगे. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक जो प्रतिबंध किसानों पर अपने उत्पादन को बेचने के लिए लगे थे, वे अब उससे आजाद हो गए हैं. उन्होंने कहा कि मंडियां रहेंगी, राज्य का एपीएमसी कानून रहेगा लेकिन एपीएमसी के बाहर किसान से कंपनी उत्पाद खरीद सकती है.
एक देश, एक कृषि बाजार
अध्यादेश का मूल उद्देश्य एपीएमसी बाजारों की सीमाओं से बाहर किसानों को कारोबार के अतिरिक्त अवसर मुहैया कराना है जिससे कि उन्हें प्रतिस्पर्धात्मक माहौल में अपने उत्पादों की अच्छी कीमतें मिल सकें.
घर से भी उपज बेचना मुमकिन
सरकार का कहना है कि किसान के पास अब सुविधा होगी कि वह अपनी उपज घर से भी बेच पाएगा. मंडी के बाहर वह किसी कंपनी, प्रोसेसिंग फर्म या किसी अन्य संस्था को अपनी फसल बेच पाएगा और इस पर कोई कर भी नहीं लगेगा.
किसानों को लाभ
आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के जरिए अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर कर कर दिया गया है. अब किसान अपनी योजना के मुताबिक इसका भंडारण और बिक्री कर सकता है. इस व्यवस्था से निजी निवेशक अत्यधिक नियमों के भय से मुक्त हो जाएंगे.