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एक बार फिर क्यों दिल्ली कूच कर रहे पंजाब के किसान

६ दिसम्बर २०२४

हरियाणा के अंबाला के शंभू बॉर्डर से 101 किसानों का जत्था दिल्ली कूच करने की तैयारी कर रहा है. ये किसान पिछले आठ महीनों से शंभू बॉर्डर पर धरना दे रहे थे और इस बार दिल्ली आकर अपनी मांगें मनवाना चाहते हैं.

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पंजाब के किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी चाहते हैं (फाइल तस्वीर)
इसी साल फरवरी से पंजाब के किसान शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं (फाइल तस्वीर)तस्वीर: Hindustan Times/IMAGO

पंजाब के किसान जो पिछले आठ महीनों से शंभू बॉर्डर पर धरना दे रहे थे, वे शुक्रवार को दिल्ली कूच के लिए जब निकले तो पुलिस उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे. किसानों का जत्था शंभू बॉर्डर से पैदल दिल्ली जाना चाहता है. किसानों ने इसे "दिल्ली चलो" आंदोलन नाम दिया है.

शंभू बॉर्डर पर पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाए थे, जिसे किसानों ने उखाड़ डाला. किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने मीडिया से बातचीत में कहा, "हमने पुलिस से शांतिपूर्ण तरीके से अपील की है कि हमें आगे बढ़ने दिया जाए. मैंने अंबाला के एसपी से अपील की है कि या तो वे हमसे बात करें या हमें शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ने दें. हम दूसरे देश के लोग नहीं हैं. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए कि हम दुश्मन देश से आए हों."

किसान मजदूर मोर्चा के नेताओं के मुताबिक उनके समूह के चार सदस्य अब तक आंसू गैस के गोले दागे जाने से घायल हो चुके हैं.

किसानों के दिल्ली मार्च को लेकर हरियाणा में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को अंबाला जिले के 11 गांवों में मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवा को 9 दिसंबर तक निलंबित कर दिया.

किसानों को रोकने के लिए इंतजाम

किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने सीमा पर गुरुवार से ही बैरिकेडिंग बढ़ा दी. पहले से तैयार सात-परतों वाले सुरक्षा सेटअप में तीन नई परतें जोड़ी गईं, जिसमें दीवारें, लोहे की कीलें, कांटेदार तार, जाल आदि शामिल हैं.

अंबाला जिला प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत एक आदेश जारी किया है, जिसमें जिले में पांच या उससे अधिक लोगों की किसी भी गैरकानूनी सभा पर प्रतिबंध लगाया गया है.

भारतीय किसान यूनियन-एकता और हरियाणा की कुछ और किसान संघ, अपनी मांगों को लेकर किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के बैनर तले दिल्ली की ओर बढ़ना चाहते हैं.

क्या हैं किसानों की मांग

किसानों की कई कई मांगें हैं, जिनमें फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, कृषि कर्ज की माफी, बिजली की कीमतें नहीं बढ़ाया जाना, किसान और खेत में काम करने वाले मजदूरों के लिए पेंशन जैसी मांगें शामिल हैं. इसके अलावा वे 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए "न्याय", भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं.

मुख्य रूप से फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे किसानों ने पहले इसी साल 13 फरवरी और 21 फरवरी को दिल्ली तक मार्च करने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें पंजाब-हरियाणा सीमाओं शंभू और खनौरी बॉर्डर पर सुरक्षा बलों द्वारा रोक दिया गया था.

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान तब से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं.

दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए बैरिकेड लगाता पुलिसकर्मी
यूपी के किसानों ने भी बीते दिनों दिल्ली जाने की कोशिश की थीतस्वीर: IANS

संसद में उठा किसानों का मुद्दा

इस बीच, शुक्रवार को संसद में किसानों का मुद्दा उठा तो केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान ने संसद को बताया कि सरकार एमएसपी पर उपज खरीदने के लिए प्रतिबद्ध है. राज्यसभा में बयान देते हुए चौहान ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने को लेकर छह सूत्री रणनीति पर काम किया जा रहा है.

दशकों में पहली बार एक साथ झूम रहे हैं किसान और सरकार

प्रश्नकाल के दौरान किसानों को एमएसपी के मुद्दे पर एक सवाल का जवाब देते हुए चौहान ने कहा, "किसानों को गुणवत्ता युक्त बीज, खाद और उवर्रक तथा सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है."

उन्होंने आगे कहा, "मैं आपके (सभापति के) माध्यम से सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि किसानों की सभी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाएगी. यह मोदी सरकार है और मोदी की गारंटी को पूरा करने की गारंटी है."

इससे पहले 2 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के किसानों ने दिल्ली जाने की कोशिश की थी. 10 से ज्यादा किसान संगठनों ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दिल्ली जाने का एलान किया था. लेकिन यूपी पुलिस ने उन्हें दिल्ली में घुसने से पहले बॉर्डर पर रोक लिया था. यूपी के किसान संगठन भूमि अधिग्रहण और मुआवजे से जुड़ी कई मांगों को लेकर दिल्ली जाना चाहते थे.