भारत में महिला गेमर्स को करना पड़ रहा दुर्व्यवहार का सामना
९ जून २०२३सना (बदला हुआ नाम) की उम्र 13 साल है. कोरोना महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया घरों में कैद हो गई थी, तो उसी समय सना ने ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में कदम रखा. उन्होंने कहा, "हर किसी को ऑनलाइन क्लास करनी थी. इस वजह से वे अपने फोन के ज्यादा करीब आए. लोग सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल करने लगे और ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया से भी जुड़ गए. मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ.”
हाल के वर्षों में भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग काफी तेजी से बढ़ा है. गेमिंग आधारित वेंचर कैपिटल फंड लुमिकाई और अमेजन वेब सर्विसेज ने इंडिया गेमिंग रिपोर्ट 2022 जारी की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में फिलहाल 50.7 करोड़ लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर गेम खेलते हैं.
भारत में युवाओं की आबादी काफी ज्यादा है. देश के कुल 1.4 अरब लोगों में से लगभग 27.3 फीसदी आबादी की उम्र 15 से 29 साल के बीच है. इस वजह से डिजिटल गेमिंग में शामिल होने वाले भारतीयों की संख्या हर साल 12 फीसदी की दर से बढ़ रही है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ऑनलाइन गेम खेलने वालों में करीब 43 फीसदी महिलाएं हैं. महिलाएं और लड़कियां हर सप्ताह औसतन 11.2 घंटे गेम खेलती हैं, जबकि पुरुष 10.2 घंटे गेम खेलते हैं.
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स्मार्टफोन और इंटरनेट तक पहुंच से बढ़ी ऑनलाइन गेम की लोकप्रियता
स्मार्टफोन और इंटरनेट तक सस्ती और व्यापक पहुंच ने भारत में मोबाइल गेम को लोकप्रिय बना दिया है. रॉयटर्स समाचार एजेंसी के मुताबिक, भारतीयों ने पिछले साल किसी भी अन्य देश के लोगों की तुलना में मोबाइल गेम सबसे ज्यादा खेला, यानी भारत दुनिया में मोबाइल गेम का सबसे बड़ा उपभोक्ता बन गया. 15 अरब से भी ज्यादा गेम डाउनलोड किए गए.
भारत के सबसे प्रसिद्ध ऑनलाइन गेमर्स में से एक और अलग-अलग गेमिंग टूर्नामेंट के लिए ‘शाउट-कास्टर' या एंकर के तौर पर काम करने वाली जेरा गोंजाल्विस ने डीडब्ल्यू को बताया, "मौजूदा समय में गेमिंग उद्योग में जितने उपयोगकर्ता हैं उतने पहले कभी नहीं थे. लोगों ने देखा कि वे एक-दूसरे से ऑनलाइन जुड़ सकते हैं, समय बीता सकते हैं और घर बैठे पैसे भी कमा सकते हैं.”
भारत में गेमिंग उद्योग ने 2022 में 1.5 अरब डॉलर की कमाई की और उम्मीद जताई जा रही है कि 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर 5 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है.
दुर्व्यवहार का सामना करती हैं महिला खिलाड़ी
खुशवीन सिंह ने स्कूल के दिनों से ही गेम खेलना शुरू कर दिया था और वे 16 वर्षों से अधिक समय से एक सक्रिय खिलाड़ी हैं. वह कहती हैं, "मैंने और मेरी मां ने काफी ज्यादा घरेलू हिंसा का सामना किया. मैं अपने बचपन में अवसाद से जूझ रही थी. गेमिंग मेरे लिए हमेशा एक थेरेपी की तरह रही है.”
हालांकि, कई महिला गेमर्स ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर दुर्व्यवहार और धमकियों का सामना करती हैं. सिंह ने कहा, "गेमिंग उद्योग में महिलाओं को हमेशा लड़कों से कम आंका गया है, भले ही हम उनसे बेहतर हों. कई बार लड़के हमें बुलाते हैं और कहते हैं कि तुम गेम खेलने की जगह रसोई में काम करो.”
सिंह ने यह भी बताया कि अगर महिलाएं गेम खेलते हुए कभी-कभी वीडियो स्ट्रीमिंग कर रही होती हैं, तो लड़के बेशर्मी से हमें प्राइवेट पार्ट दिखाने के लिए कहते हैं और गालियां देते हैं. ऐसा लगभग हर महिला स्ट्रीमर के साथ होता है.
सना भी इस बात से इत्तफाक रखती हैं. वह कहती हैं कि ऑनलाइन गेम खेलते समय उन्हें अक्सर ‘पीडोफाइल' का सामना करना पड़ा है. एक व्यक्ति से उनकी ऑनलाइन दोस्ती हुई. उस व्यक्ति ने जल्द ही ‘निजी सवाल' पूछना शुरू कर दिया और उसने बताया कि कैसे उसे ‘महिलाओं की तस्वीरें लीक करने के लिए दोषी ठहराया जा रहा है.' सना ने आगे बताया कि ब्लॉक करने के बावजूद उस व्यक्ति ने दूसरे अकाउंट से मैसेज किया और अश्लील तस्वीरें भेजीं.
महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार वाली संस्कृति की ओर इशारा करते हुए सिंह ने कहा, "वे (पुरुष) ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि उन्हें घरों में यह नहीं सिखाया जाता कि महिलाओं के साथ किस तरह का व्यवहार करना चाहिए. मैंने खुद अपने परिवार में इसका अनुभव किया है.”
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महिला और पुरुष गेमर्स की आय में असमानता
दुर्व्यवहार के अलावा दूसरी समस्या पुरस्कार में मिलने वाले धन की है. जब ई-स्पोर्ट्स में पुरस्कार की राशि और ब्रैंड स्पांसरशिप की बात आती है, तो महिला गेमर्स को काफी ज्यादा भेदभाव का सामना करना पड़ता है. ई-स्पोर्ट्स में गेमिंग से जुड़े मुकाबले होते हैं, यहां गेमर्स को प्रशिक्षण दिया जाता है, स्पांसरशिप डील होती है और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं.
ई-स्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अनुसार, महिलाएं एक टूर्नामेंट में करीब 1,200 डॉलर तक जीत सकती हैं. वहीं, ओपन टूर्नामेंट में इससे 100 गुना ज्यादा पुरस्कार राशि दी जाती है, लेकिन इनमें पुरुषों का वर्चस्व होता है.
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कहा कि असमानता के बावजूद, प्रतियोगी ई-स्पोर्ट्स में महिला खिलाड़ियों की भागीदारी 2020 में 12 फीसदी थी, जो 2022 में बढ़कर 22 फीसदी तक पहुंच गई है.
गोंजाल्विस ने कहा कि जब उन्होंने गेम खेलना शुरू किया था, तो बहुत सारी महिलाओं को इस गेमिंग उद्योग की जानकारी नहीं थी और यह समुदाय आपस में काफी ज्यादा जुड़ा हुआ था. उन्होंने आगे कहा, "किसी भी दूसरे क्षेत्र की तरह, हममें से कुछ महिलाओं को अपनी ताकत साबित करने के लिए हमेशा पुरुषों की तुलना में दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है. हालांकि अब कई महिलाएं और लड़कियां इस क्षेत्र में अपने लिए मौके तलाश रही हैं.”
2021 में ई-स्पोर्ट्स प्लेयर्स वेलफेयर एसोसिएशन स्थापित किया गया. यह भारत में सभी ई-गेमर्स के अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम करने वाला गैर-सरकारी संगठन है. आखिरकार दशकों के अभियान के बाद, गेमिंग उद्योग ने पिछले साल मुख्यधारा के खेल के रूप में पहचान हासिल कर ली.
गेमिंग उद्योग के माहौल को बेहतर बनाने के लिए नियम
भारत सरकार ने इस उद्योग को बेहतर बनाने के साथ-साथ ऑनलाइन गेमर्स को नुकसान पहुंचाने वाले कॉन्टेंट और लत से बचाने के लिए अप्रैल में नए नियमों की भी घोषणा की. ई-स्पोर्ट्स प्लेयर्स वेलफेयर एसोसिएशन की प्रमुख शिवानी झा ने कहा कि गेमिंग कंपनियां अब ‘सेल्फ-रेगुलेटरी बॉडी' स्थापित कर रही हैं.
उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "सरकार की ओर से प्रस्तावित नए नियमों के तहत कोई भी व्यक्ति शिकायत कर सकता है और 24 घंटे के भीतर अश्लीलता की रिपोर्ट दर्ज कराई जा सकती है. नए नियम में यह भी स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि सभी गेमिंग कंपनियों को भारत में एक ‘अनुपालन अधिकारी' रखना होगा, भले ही वह कंपनी विदेशी हो.”
इन तमाम नियमों के बावजूद, भारत को अभी एक लंबा रास्ता तय करना है, ताकि ऑनलाइन स्पेस को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाया जा सके. महिला गेमर्स भारत सरकार की ओर से प्रस्तावित नए नियमों और कायदों को बेहतर गेमिंग वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम के तौर पर देख रही हैं.