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भारत में तय हो रहा है दुनिया के एआई का भविष्य

१२ दिसम्बर २०२३

दिल्ली में आज से ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर वैश्विक साझेदारी के शिखर सम्मेलन की शुरूआत हो रही है.

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तस्वीर: Knut Niehus/picture alliance

भारत 2024 में ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जीपीएआई) की अध्यक्षता कर रहा है. 2020 में जीपीएआई के संस्थापक सदस्यों में से एक भारत दिल्ली में आज से तीन दिवसीय वार्षिक जीपीएआई शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में असाधारण काम करने वाले विश्व के दिग्गज इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं. शिखर सम्मेलन का उद्घाटन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. तीन दिनों तक चलने वाले इस शिखर सम्मेलन के दौरान, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वैश्विक स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा गवर्नेंस जैसे विषयों पर कई सत्र आयोजित किए जाएंगे.

जीपीएआई एक बहुपक्षीय पहल है जिसके हित धारकों का उद्देश्य इससे जुड़े प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अत्याधुनिक शोध और अनुप्रयोग संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सिद्धांत और व्यवहार के बीच की दूरी को पाटना है.

क्या इंसानों जैसी हो जाएंगी एआई मशीनें

भारत जीपीएआई का संस्थापक सदस्य          

भारत सरकार का कहना है कि यह शिखर सम्मेलन लोगों को एक अवसर प्रदान करेगा कि दुनिया एआई को लेकर क्या सोच रही है और भारत इसमें क्या योगदान दे रहा है. जीपीएआई की शुरुआत जून 2020 में हुई थी. जिसमें 15 सदस्य देश शामिल थे. आज यह संख्‍या बढ़कर 29 हो गई है. जिसमें 28 सदस्‍य देश और यूरोपीय संघ शामिल है.

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि जीपीएआई शिखर सम्मेलन में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर के लिए भारत सदस्य देशों से बातचीत कर रहा है. उन्होंने कहा, "आज एआई को लेकर दुनिया की सोच एक जैसी हो रही है. लोग एआई से उभरने वाले खतरों, इसके लाभ और संभावनाओं से भलीभांति वाकिफ हैं. पूरा विश्व यह भी चाहता है कि इस पर एक अंकुश अवश्य रहे. इस पर भी कमोबेश सब एकमत हैं कि एआई को लेकर कैसे आगे बढ़ा जाए. इसलिए हमारा उद्देश्य ऐसा साझा बयान तैयार करना है, जिस पर सब सहमत हों."

देश-विदेश की कंपनियां हो रही हैं शामिल

शिखर सम्मेलन में देशभर से 50 से अधिक जीपीएआई विशेषज्ञ और 150 से अधिक वक्ता भाग ले रहे हैं. इसके अलावा इंटेल, रिलायंस जियो, गूगल, मेटा, एडब्ल्यूएस, योटा, नेटवेब, पेटीएम, माइक्रोसॉफ्ट, मास्टरकार्ड, एनआईसी, एसटीपीआई, इमर्स, जियो हैप्टिक, भाषिनी आदि समेत दुनिया भर के शीर्ष एआई गेमचेंजर्स विभिन्न कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं. इसमें युवा एआई पहल के तहत विजेता छात्र और स्टार्ट-अप भी अपने एआई मॉडल और समाधान प्रदर्शित करेंगे.

कई मुद्दों पर होगी चर्चा

भारत सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि शिखर सम्मेलन में ऐसे मुद्दों पर चर्चा होगी जिनमें एआई का इस्तेमाल सामाजिक परिवर्तन को सक्षम करने और स्वास्थ्य देखभाल, पहुंच, जलवायु परिवर्तन, टिकाऊ कृषि समेत वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए होगी.

इसके अलावा जलवायु कार्रवाई के लिए एआई पर भी एक सत्र का आयोजन होगा. एआई और सतत कृषि के नाम से भी एक सत्र का आयोजन होगा. इस सत्र का उद्देश्य स्थिति अध्ययन और सफल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तैनाती मॉडल के उदाहरणों पर चर्चा करके ग्लोबल साउथ में टिकाऊ कृषि के लिए एआई इनोवेशन का लाभ उठाने के अवसरों की पहचान करना है.