जी20: क्या विश्व मंच पर भारत की स्थिति मजबूत होगी?
८ सितम्बर २०२३दिल्ली में शनिवार से शुरू हो रहे जी20 शिखर सम्मेलन के लिए मेहमान आ चुके हैं. दिल्ली सज चुकी है और जी20 का मंच दुनिया के दिग्गज नेताओं के स्वागत के लिए तैयार है. भारत के लिए यह लम्हा ऐतिहासिक है जब दुनिया के अमीर और विकासशील देशों के नेताओं का एक साथ जमावड़ा हो रहा है.
ताकतवर देशों का जमावड़ा
मेहमानों की सूची बहुत लंबी है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन जैसे नेता यूरोपीय संघ का प्रतिनिधितत्व करेंगे.
चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग, रूस से राष्ट्रपति पुतिन की जगह विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव आ रहे हैं. वहीं कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी शिखर सम्मेलन में भाग लेंगी.
एशिया-प्रशांत क्षेत्र से इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो, दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक-योल और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी भाग लेंगे. तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान व्यक्तिगत रूप से भाग लेंगे और सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के भी आने की उम्मीद है.
जी20 में एकमात्र अफ्रीकी देश दक्षिण अफ्रीका के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा करेंगे. इस बार जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करने की चर्चा ने जोर पकड़ा हुआ है.
ब्राजिल के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा भी आ रहे हैं और अर्जेंटीना के अल्बर्टो फर्नांडीज के आने की उम्मीद है, लेकिन भारतीय मीडिया के अनुसार मेक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रेज मैनुअल लोपेज ओब्रादोर के शामिल न होने की संभावना है. वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश पर्यवेक्षक के रूप में भाग लेंगे. आईएमएफ और विश्व बैंक के प्रमुख भी उपस्थित रहेंगे.
अन्य नेताओं की बात की जाए तो बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और नाइजीरियाई राष्ट्रपति बोला टिनुबू शामिल हैं. भारत की अध्यक्षता में हो रही इस जी20 की बैठक के लिए मिस्र, मॉरिशस, ओमान, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात और नीदरलैंड्स को विशेष निमंत्रण दिया गया है.
विश्व मंच पर भारत की स्थिति मजबूत होगी?
भारत इस आयोजन के साथ वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने का इरादा रखता है और यह जताने की कोशिश कर रहा है कि विश्व की राजनीति में उसकी हैसियत हाल के सालों में बढ़ी है.
दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश जी20 की अध्यक्षता कर रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत और अपने लिए विश्व मंच पर चमकने के अवसर को खोना नहीं चाहते हैं. एक तथ्य यह भी है कि भारत दुनिया में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और चीन के मुकाबले के लिए पश्चिमी देश भारत को एक मजबूत साथी के तौर पर देखते हैं.
भारत ने जी20 अध्यक्षता का विषय "वसुधैव कुटुम्बकम" या "एक पृथ्वी, एक कुटुंब, एक भविष्य" दिया है. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन के साथ जारी भारत के तनाव की छाया के बीच हो रहे शिखर सम्मेलन में विश्व के अहम मुद्दों पर वार्ता के आगे बढ़ने की संभावना कम हो गई है. शी जिनपिंग का बिना कारण बताए नहीं आना दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है.
मोदी के पास चमकने का मौका
जी20 के आयोजन से क्या भारत का कद बढ़ा है, इस पर वरिष्ठ पत्रकार संजय कपूर कहते हैं, "यह भारत की प्रोफाइल को ऊपर उठाता है और जटिल वैश्विक मुद्दों के साथ भारत के बौद्धिक और राजनीतिक जुड़ाव की अनुमति देता है. साथ ही प्रधानमंत्री मोदी इस कार्यक्रम का इस्तेमाल तीसरी बार चुने जाने के लिए अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करने के लिए करेंगे."
2023-24 के बजट के मुताबिक सरकार ने जी20 की अध्यक्षता के लिए 990 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. वित्त मंत्री ने बजट के दौरान कहा था कि अध्यक्ष पद ने भारत को विश्व आर्थिक व्यवस्था में अपनी भूमिका मजबूत करने का एक अनूठा अवसर दिया है.
जहां अध्यक्ष पद से संबंधित प्रत्यक्ष खर्चों के लिए बजट पेश किया गया है, वहीं सरकार ने भव्य शिखर सम्मेलन के लिए नई दिल्ली की तैयारी पर भी पैसा खर्च किया है. केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी द्वारा X पर पोस्ट किए गए एक दस्तावेज के मुताबिक जी20 शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली में 4,100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए. दस्तावेज के अनुसार यह राशि दिल्ली और केंद्र सरकार की एजेंसियों द्वारा खर्च की गई थी.
जी20 और भारत की घरेलू राजनीति
जी20 के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी का लेख भारत के प्रमुख अखबारों में छपा. मोदी ने इस लेख में लिखा, "भारत के लिए जी20 की अध्यक्षता केवल एक उच्च स्तरीय कूटनीतिक प्रयास नहीं है. मदर ऑफ डेमोक्रेसी और मॉडल ऑफ डाइवर्सिटी के रूप में हमने इस अनुभव के दरवाजे दुनिया के लिए खोल दिए हैं. आज किसी काम को बड़े स्तर पर करने की आती है तो सहज ही भारत का नाम आ जाता है. जी20 की अध्यक्षता भी इसका अपवाद नहीं है. यह भारत में एक जन आंदोलन बन गया है."
दिल्ली बीते कई महीनों से जी20 की तैयारी कर रही है. एयरपोर्ट से लेकर प्रगति मैदान जहां जी20 शिखर सम्मेलन हो रहा है, उसे चमकाया जा चुका है. हर जगह मोदी के साथ वाले जी20 पोस्टर और बैनर लगाए हैं. सड़क किनारे जी20 देशों के झंडे लगाए हैं और मोदी से ही पटे होर्डिंग्स भी लगे हैं. हर ओर मोदी का ही चेहरा नजर आ रहा है. जानकार कहते हैं भारत में आम चुनाव कुछ महीने दूर हैं और सरकार ने इसे बड़े आयोजन के तौर पर प्रोजेक्ट किया है.
संजय कपूर और वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा दोनों का ही मानना है कि सरकार इसे आने वाले लोकसभा चुनाव में भुनाना जरूर चाहेगी. स्मिता शर्मा कहती हैं, "लोकसभा चुनाव कुछ महीने दूर हैं. सरकार अंदरूनी कोशिश में इसको (जी20) बढ़ा चढ़ाकर पेश कर रही है. सरकार की तरफ से इसका डंका ऐसे जरूर बजाया जा रहा है कि मानो यह (जी20 का आयोजन) इसी सरकार की वजह से मुमकिन हुआ है."
स्मिता का कहना है कि जी20 की अध्यक्षता रोटेशनल होती है और इस बार बारी भारत की थी. साथ ही वह कहती हैं इसको सरकार एक विदेश नीति की कामयाबी के तौर पर अंदरूनी राजनीतिक मंच पर निश्चित रूप से बहुत ज्यादा तव्वजो दे रही है.