भारतीय बाघों के स्वागत के लिए तैयार कंबोडिया
२४ मई २०२४कंबोडिया के सूखे जंगलों में कभी इंडोनेशियाई बाघों की भरमार हुआ करती थी. पर्यावरणविद बताते हैं कि बाघों और उनके भोजन के लिए उपलब्ध जानवरों को शिकारियों ने बहुत हद तक खत्म कर दिया.
दक्षिण पूर्व एशियाई देश कंबोडिया में पिछली बार 2007 में बाघ देखा गया था. 2016 में उन्हें विलुप्त घोषित कर दिया गया था. अब भारत से बाघ लाकर उनकी आबादी को दोबारा बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. यह समझौता 2022 में हुआ था.
भारत से जो बाघ जाएंगे उन्हें जंगल में छोड़ने से पहले कार्डामम वर्षावन में 222 एकड़ के एक संरक्षित क्षेत्र में रखा जाएगा ताकि वे नए मौसम के अनुकूल ढल सकें. इसके लिए कई महीनों से तैयारी की जा रही है. फरवरी में वहां 400 कैमरे लगाए गए हैं, जिनका मकसद बाघ के शिकार के लिए उपलब्ध जानवरों की निगरानी करना है.
साल के आखिर तक आगमन
भारत से एक नर और तीन मादा बाघ भेजे जाएंगे. भारत की राजदूत देवयानी खोबरागड़े ने बताया कि बाघ भेजने से पहले भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि बाघों के लिए समुचित शिकार उपलब्ध हो और उनके शिकार हो जाने की कोई संभावना ना हो.
कंबोडिया में मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया, "जैसे ही मॉनसून की बारिश कम होती है और उनके शिकार के लिए जानवर आ जाएंगे, ये बाघ यहां पहुंच जाएंगे. उम्मीद है कि नवंबर या दिसंबर से पहले ऐसा हो जाएगा.”
खोबरागड़े ने कहा कि अगर यह प्रयोग सफल रहता है तो बाघों के स्थानांतरण का यह दुनिया में पहला मामला होगा. उन्होंने कहा, "यह एक ऐतिहासिक परियोजना है.”
कंबोडिया के पर्यावरण मंत्रालय और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था वाइल्डलाइफ अलायंस ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि क्षेत्र इन बाघों के आगमन के लिए तैयार है. संस्था की प्रमुख सुवाना गॉन्टलेट ने कहा, "मुख्य क्षेत्र में किसी तरह का खतरा नहीं है. यह पूरी तरह सुरक्षित है और ऐसा ही रहेगा.”
बाघों की सुरक्षा के इंतजाम
बाघों की सुरक्षा के लिए सरकार ने कई इंतजाम किए हैं. गॉन्टलेट ने बताया कि वहां 16 रेंजर तैनात किए गए हैं. इसके अलावा बाघों की निगरानी के लिए एक केंद्र, शिकार के लिए उपलब्ध जानवरों के लिए एक सुरंग और क्षेत्र के लिए पानी का स्रोत बनाया गया है. बाघों और आसपास के गांवों की सुरक्षा के लिए इन मेहमान जानवरों को मॉनिटरिंग टैग्स लगाए जाएंगे.
पर्यावरण मंत्रालय ने बताया कि अगर इस परियोजना में कोई बाधा नहीं आती है तो आने वाले पांच साल में और बाघ लाए जाएंगे.
शिकार और जंगलों के खत्म होने के कारण कंबोडिया में ही नहीं, पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में बाघों की आबादी प्रभावित हुई है. लाओस और वियतनाम में भी बाघ पूरी तरह खत्म हो चुके हैं. म्यांमार के जंगलों में सिर्फ 23 बाघ बचे होने का अनुमान है.
इसके उलट पिछले कुछ सालों में भारत में बाघों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. पिछले साल हुई गणना के मुताबिक देश में 3,600 से ज्यादा बाघ हो गए हैं.
वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)