भारत और चीन के सैनिकों की अरुणाचल में झड़प
१२ दिसम्बर २०२२एएनआई ने बताया कि दोनों तरफ के सैनिकों को इस झड़प में मामूली चोटें आई थीं. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस मामले पर पूछे सवाल का जवाब नहीं दिया है. सूत्रों के हवाले से अब तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवान सीमा रेखा पर पहुंचे थे जहां भारतीय सैनिकों ने उन्हें रोका जिसके बाद झड़प हुई. कहा जा रहा है कि झड़प के बाद दोनों तरफ के सैनिक वहां से लौट गये हैं. इलाके में कुछ जगहों पर सीमा रेखा बहुत स्पष्ट नहीं है और दोनों तरफ के सैनिक वहां गश्त लगाते हैं.
रक्षामंत्री का संसद में बयान
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद में इस घटना की पुष्टि करते हुए चीन पर यथास्थिति में एकतरफा बदलाव की कोशिश करने का आरोप लगाया है. राजनाथ सिंह ने संसद में कहा, "09 दिसंबर 2022 को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों ने तवांग सेक्टर के यांग्त्से इलाके में अतिक्रमण के जरिये यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदलने की कोशिश की.“ राजनाथ सिंह ने यह भी कहा, "इस दौरान हुई झड़प में भारतीय सैनिकों ने बहादुरी से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को हमारे इलाके में अतिक्रमण से रोका और उन्हें वहां से पीछे अपनी पोस्ट पर जाने के लिए विवश किया. इस झड़प में दोनों तरफ के कुछ सैनिक घायल हुए हैं."
भारत और चीन के सैनिकों की जून 2020 में जबरदस्त झड़प हुई थी. यह झड़प लद्दाख की गलवान घाटी में हुई थी जहां से चीन के कब्जे वाला तिब्बत पठार बहुत पास है. गलवान घाटी की झड़प में भारत के 20 सैनिक मारे गये थे. इस घटना में चीन के भी कई सैनिक मारे गये लेकिन चीन की सरकार ने उनकी सही संख्या को सार्वजनिक नहीं किया. इस घटना के बाद दोनों देशों ने इलाके में सैनिकों और हथियारों की भारी तैनाती कर दी.
लद्दाख में भारत चीन की सेना पीछे हटी लेकिन स्थानीय लोग दुखी
भारत और चीन के बीच करीब 3800 किलोमीटर लंबी सीमा है और इसमें ज्यादातर जगहों पर सीमा रेखा स्पष्ट नहीं है. इस वजह से अकसर नोकझोंक और झड़प या विवाद की नौबत आती है. दोनों देशों के बीच विवाद की स्थिति में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पहले बंदूक नहीं चलाने पर सहमति है. गलवान की झड़प में भी सैनिकों ने क्लबों और लकड़ी के डंडों का इस्तेमाल किया था.
भारत चीन के सीमा विवाद में अरुणाचल प्रदेश का मामला एक और उलझी हुई कड़ी है जिसे लेकर जब तब तनातनी बढ़ जाती है. दोनों तरफ सेसीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास को तेजकर दिया गया है. चीन ने तो पहले ही अपनी तरफ काफी सड़कें और पुल बना रखे थे, बीते कुछ सालों में भारत ने भी इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाये हैं. इलाके में पुल और सड़कों के साथ रेल लाइन का नेटवर्क मजबूत किया जा रहा है और दुर्गम इलाकों को सीधी सड़कों से जोड़ा जा रहा है. दोनों देशों के बीच 1962 में एक युद्ध भी हो चुका है. हाल ही में भारत और अमेरिका के सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास संयुक्त युद्धाभ्यासकिया था जिस पर चीन ने आपत्ति जताई थी.
एनआर/एमजे (रॉयटर्स)