ग्रामीणों को कोरोना संक्रमण का डर नहीं !
१३ अगस्त २०२०हरमहन देका कोरोना वायरस से बचने के लिए ना तो मास्क पहनते हैं और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं. निर्माण सामग्री के कारोबार से जुड़े देका के साथ पुरुष और महिलाओं समेत कुल 25 लोग काम करते हैं. असम के कामरूप जिले के छोटे से शहर बाईहाटा चाराली के पास रहने वाले देका कहते हैं कि जीवन कमोबेश वैसा ही है जैसा पहले हुआ करता था. 50 साल के डायबिटीज के मरीज देका कहते हैं, "वायरस मुझ पर हमला नहीं कर सकता है, वह कमजोर हो गया है. मैं अक्सर पड़ोस के बाजार में बिना मास्क लगाए जाता हूं. मैं जिस राशन की दुकान में जाता हूं उसका मालिक और मैं बिलकुल ठीक हैं."
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के पत्रकारों ने कुछ हफ्तों से दो दर्जन से अधिक छोटे शहरों और गांवों का दौरा किया और पाया कि बड़े पैमाने पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करना छोड़ दिया गया है. ग्रामीण महीनों तक इसका पालन करते आ रहे थे. उनका ऐसा मानना है कि वायरस गंभीर खतरा नहीं है.
1.3 अरब की आबादी वाले देश में ग्रामीण इलाकों में व्यवहार में बदलाव ऐसे वक्त में दिख रहा है जब ग्रामीण इलाकों में संक्रमण के मामले बढ़े हैं. आबादी का दो तिहाई हिस्सा ग्रामीण भारत में रहता है.
महामारी से निपटने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के तहत राज्य की रैपिड रिस्पॉन्स टीम के सदस्य रजनीकांत कहते हैं, "कई बार लोग चीजों को हल्के में ले लेते हैं जैसे कि उन्हें कुछ हो ही नहीं सकता है. क्योंकि वे शुद्ध हवा ले रहे हैं और ताजी सब्जी खा रहे हैं." वे कहते हैं, "ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा खराब है, इसलिए उन्हें सामाजिक दूरी के नियम, मास्क लगाना और भीड़ वाले इलाके से बचने और हाथ धोने के लिए कहा जाता है नहीं तो उन्हें तकलीफ होगी."
लेकिन कई ग्रामीणों को लगता है कि सच्चाई में वायरस से उनके घर पर हमला नहीं किया है, वे ऐसे किसी शख्स को नहीं जानते हैं जिसकी मौत संक्रमण के कारण हुई हो.
देश के ग्रामीण इलाकों में संक्रमण कैसे घुसपैठ कर रहा है इसका संकेत रॉयटर्स द्वारा डाटा विश्लेषण से समझा जा सकता है. देश में सबसे ज्यादा प्रभावित सात राज्यों के शीर्ष तीन शहरी जिलों का हिस्सा जून के अंत में 60 फीसदी से गिरकर एक महीने बाद 45 फीसदी हो गया.
पिछले सप्ताह डब्ल्यूएचओ के इमरजेंसी प्रोग्राम के निदेशक माइक रायन ने कहा था, "इस वक्त हमारी चिंता बीमारी को लेकर इसलिए है क्योंकि यह ग्रामीण इलाकों में अधिक बढ़ रहा है, जरूरी नहीं कि उनकी स्वास्थ्य सुविधा उतनी मजबूत हो."
केंद्र सरकार ने सार्वजनिक जगहों पर मास्क लगाना अनिवार्य किया है लेकिन इसका पालन कराना राज्यों की जिम्मेदारी है. कुछ राज्यों ने मास्क ना लगाने पर जुर्माना लगाना शुरू कर दिया इसके बावजूद कुछ लोगों को फर्क नहीं पड़ता है.
उत्तर प्रदेश के जखरा गांव के 22 साल के रोहित कुमार के हाथों में छोटा बच्चा है. वो कहते हैं कि वो गांव के बाहर नहीं जाते और ना ही गांव में बाहरी लोगों को आने देते हैं इसलिए मास्क नहीं लगाते. रोहित कहते हैं, "लेकिन अगर कोरोना वायरस का संक्रमण किसी को होना है तो वह होकर रहेगा."
एए/सीके (रॉयटर्य)
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