भारत ने मास्टरकार्ड पर प्रतिबंध लगाए
१६ जुलाई २०२१मास्टरकार्ड इंक (Mastercard) पर प्रतिबंध के भारतीय रिजर्व बैंक के फैसले ने देश के वित्तीय क्षेत्र को संकट में डाल दिया है क्योंकि इस कारण बैंक नए कार्ड जारी नहीं कर पाएंगे. इससे उनकी कमाई पर असर पड़ेगा और भुगतान जैसी जरूरी सेवाएं भी प्रभावित होंगी.
बुधवार को भारत के केंद्रीय बैंक ने यह आदेश जारी किया था. ऐसा ही आदेश बीते अप्रैल में अमेरिकन एक्सप्रेस के खिलाफ भी जारी हुआ था. लेकिन मास्टरकार्ड पर प्रतिबंध के ज्यादा असर हो सकते हैं क्योंकि भारतीय बाजार में उसकी पैठ कहीं गहरी है और बहुत से वित्तीय संस्थान इस अमेरिकी कंपनी के पेमेंट नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं.
सौ से ज्यादा कार्ड प्रभावित
रॉयटर्स समाचार एजेंसी के एक विश्लेषण के मुताबिक भारत में कार्यरत 11 स्थानीय और विदेशी बैंक देश में लगभग 100 तरह के डेबिट कार्ड जारी करते हैं जिनमें से एक तिहाई मास्टरकार्ड हैं. और 75 से ज्यादा क्रेडिट कार्ड इस कंपनी की ही सेवाएं प्रयोग करते हैं.
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भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि 22 जुलाई से नए मास्टरकार्ड जारी नहीं किए जा सकेंगे. मास्टरकार्ड पर 2018 में जारी नियमों का पालन न करने का आरोप है, जिनके तहत विदेशी कार्ड कंपनियों को भारतीय भुगतान का डेटा स्थानीय सर्वर पर ही रखना होगा और भारत को उसकी उपलब्धता होनी चाहिए.
रिजर्व बैंक के फैसले का असर मौजूदा ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा लेकिन उद्योग जगत के विशेषज्ञ कहते हैं कि कई व्यापारिक प्रतिष्ठानों की गतिविधियां प्रभावित होंगी क्योंकि बैंकों को मास्टरकार्ड के विकल्प के रूप में वीसा जैसी कंपनियों से नए समझौते करने होंगे. बैंकों का कहना है कि इस प्रक्रिया में महीनों लग सकते हैं.
वीसा को फायदा
एक बैंक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि मास्टरकार्ड की प्रतिद्वन्द्वी कंपनी वीसा (Visa) पर जाने में पांच महीने तक का वक्त लग सकता है. चूंकि अमेरिकन एक्सप्रेस और मास्टरकार्ड दोनों ही प्रतिबंधित हैं तो वीसा को मोलभाव में बहुत ज्यादा लाभ मिल जाएगा जबकि इस बाजार में उसका पहले ही अधिपत्य है.
इस वरिष्ठ भारतीय बैंकर ने बताया, "बैंकों के लिए इसका अर्थ होगा अस्थायी रुकावटें, बहुत सारा मोलभाव और कुछ देर के लिए व्यापार में नुकसान.”
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2018 में नए नियम जारी किए थे. हालांकि अमेरिकी कंपनियों ने इन नियमों में ढील देने के लिए केंद्रीय बैंक को मनाने की काफी कोशिश की थी लेकिन वे कामयाब नहीं रहीं.
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भारत में डेबिट और क्रेडिट कार्डों के जरिए भुगतान में काफी वृद्धि हुई है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़े बताते हैं कि देश में 6.2 करोड़ क्रेडिट कार्ड और 90.2 करोड़ डेबिट कार्ड हैं जिनके जरिए कुल मिलाकर 40.4 अरब डॉलर यानी 22 खरब रुपये से भी ज्यादा का लेनदेन होता है.
मास्टरकार्ड निराश
मास्टरकार्ड ने कहा है कि इस फैसले से वह निराश है और बताई गईं चिंताएं दूर करने पर काम करेगी. गुरुवार को जारी एक बयान में कंपनी ने कहा, "हम भारत सरकार के डिजीटल इंडिया विजन को आगे बढ़ाना चाहते हैं. इसके लिए हम अपने ग्राहकों और साझीदारों पर लगातार निवेश करते हैं. और (चिंताओं को दूर करने की कोशिश) उसी कड़ी का हिस्सा होंगे.”
मास्टरकार्ड भारत को एक अहम बाजार मानती है. 2019 में उसने अगले पांच साल के भीतर एक अरब डॉलर के निवेश का ऐलान करते हुए कहा था कि भारत को लेकर वह बहुत उत्सुक है. 2014 से 2019 के बीच भी कंपनी ने भारत में एक अरब डॉलर का निवेश किया था.
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कंपनी के भारत में कई शोध और विकास केंद्र भी हैं, जहां चार हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं, जो अमेरिका के बाद उसका दूसरा सबसे बड़ा केंद्र है. 2013 में भारत में मास्टरकार्ड के सिर्फ 29 कर्मचारी थे.
बैंकों पर असर
बैंकिंग सेक्टर में काम करने वाले लोग कहते हैं कि मास्टरकार्ड से वीसा पर जाने से बैंकों को फीस और अन्य कई तरह की आय का नुकसान होगा. आरबीआई (RBI) के फैसले पर एक रिसर्च नोट में मैक्वायरी बैंक ने कहा कि क्रेडिट कार्ड एक फायदेमंद उत्पाद थे क्योंकि इन पर 5 से 6 प्रतिशत का रिटर्न मिलता है.
कई बैंक जैसे आरबीएल की वेबसाइट पर 42 क्रेडिट कार्ड सूचीबद्ध हैं और सभी मास्टरकार्ड की सेवाएं इस्तेमाल करते हैं. यस बैंक के पास सात मास्टरकार्ड हैं और एक भी वीसाकार्ड नहीं है. सिटीबैंक के पास चार मास्टरकार्ड हैं.
आरबीएल ने एक बयान में कहा है कि उसका वीसा के साथ समझौता हो गया है लेकिन उसे लागू करने में 10 हफ्ते का समय लगेगा. एक सूत्र के मुताबिक इस समझौते के मोलभाव में छह महीने का वक्त लगा है.
यस और सिटीबैंक ने कहा है कि नए विकल्पों विचार किया जा रहा है.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)