भारत की कुछ सबसे प्रसिद्ध भूख हड़तालें
महात्मा गांधी के अहिंसा और सत्याग्रह के विचार आज के भारत में भी जिंदा हैं. हाल के सालों में किसी ने किसानों की, तो किसी ने गंगा की भलाई के लिए किए गए वादे याद दिलाने के लिए भूख हड़ताल की है.
जगजीत सिंह डल्लेवाल
पंजाब के किसान नेता डल्लेवाल 26 नवंबर 2024 से आमरण अनशन पर हैं. 70 साल के डल्लेवाल संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक हैं. यह फोरम 100 से ज्यादा किसान संघों का प्रतिनिधित्व करता है. यह डल्लेवाल की छठवीं और सबसे लंबी भूख हड़ताल है. उनकी प्रमुख मांग है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू हों और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाए.
गुरु दास अग्रवाल
कभी देश के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पहले मेंबर-सेक्रेटरी रह चुके नौकरशाह, जीडी अग्रवाल ने देश में प्रदूषण के खिलाफ बहुत काम किया. गंगा नदी को साफ करने की कोशिशों में ही उनकी जान गई. अमेरिका से पीएचडी और आईआईटी कानपुर में पढ़ाने और बाद में संन्यासी बने अग्रवाल उर्फ 'स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद' की उपवास के 112वें दिन मृत्यु हो गई.
सोनम वांगचुक
लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता वांगचुक ने 2024 में दो बार भूख हड़ताल की. अक्टूबर में 16 दिन और उससे पहले मार्च में 21 दिनों तक भूख हड़ताल कर चुके 58 साल के वांगचुक इंजीनियर और आविष्कारक रहे हैं. वे इतने दिन केवल नमक और पानी पर रहे. उनके अभियानों का मकसद था केंद्र सरकार को लद्दाख के पर्यावरण और आदिवासी मूल निवासियों की संस्कृति को सुरक्षित रखने का वादा याद दिलाना.
मेधा पाटकर
नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के जलस्तर के बढ़ने से 2019 में मध्य प्रदेश के कई गांव पानी में डूब गए थे. दो साल पहले ही इसका उद्घाटन हुआ था, जिसकी योजना करीब 56 साल से लंबित थी. विस्थापित और प्रभावित लोगों के समर्थन में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने वहां कई दिनों तक अनशन किया था.
इरोम शर्मिला
सामाजिक कार्यकर्ता और मणिपुरी कवियित्री इरोम कानु शर्मिला को पूरा विश्व सबसे लंबे समय तक भूख हड़ताल करने वाली महिला के रुप में जानता है. 2000 से शुरु कर 2016 तक अनशन करने वाली शर्मिला की मांग थी अपने गृह राज्य मणिपुर में लागू विवादित सुरक्षा कानून को हटवाना. इसे आत्महत्या की कोशिश बता कर उन्हें सालों हिरासत में रखा गया और जबरन नाक में ड्रिप लगाकर तरल भोजन दिया जाता था.
अन्ना हजारे
आज दिल्ली की सत्ता चला रही आम आदमी पार्टी का जन्म जिस विरोध प्रदर्शन और भूख हड़ताल से हुआ था, उसके केंद्र में थे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे. साल 2011 में एक सशक्त लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर उन्होंने आमरण अनशन शुरु किया था. भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी इस मुहिम में अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी, प्रशांत भूषण, बाबा रामदेव और कई अन्य बड़े नाम शामिल थे.
भगत सिंह
स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी भगत सिंह ने 1929 में लाहौर की मियांवाली जेल में 116 दिनों तक भूख हड़ताल की थी. उस जेल में राजनीतिक कैदियों के साथ बर्ताव को बदलने की मांग को लेकर भगत सिंह और उनके कुछ साथियों ने हड़ताल शुरु की थी. हड़ताल के 63वें दिन क्रांतिकारी जतिंद्र नाथ दास की इसमें जान चली गई. 116 दिन बाद पिता के मनाने पर भगत सिंह ने हड़ताल खत्म की.
महात्मा गांधी
महात्मा गांधी ने अपने जीवन काल में 20 से भी ज्यादा बार भूख हड़ताल की और भारत पर काबिज ब्रिटिश औपनिवेशिक शक्तियों को कमजोर किया. सन 1913 से 1948 के बीच वे कभी 3-4 दिन, तो कभी तीन हफ्ते लंबे उपवास पर रहे. उनकी भूख हड़ताल पूरी तरह अहिंसक सत्याग्रही उपवास होती, जो गांधी के शब्दों में "उनको सुधारने या सही रास्ते पर लाने के लिए किया जाता है जो आपको प्रेम करते हैं."