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कभी आई थी बाढ़, आज पानी के संकट से गुजर रहा है बेंगलुरु

चारु कार्तिकेय
८ मार्च २०२४

अभी गर्मियों की शुरुआत ही हुई है और बेंगलुरु पानी के भारी संकट का सामना कर रहा है. ग्रामीण इलाके हों या महंगे मकानों वाले शहरी मोहल्ले, हर जगह पीने के पानी की कमी हो गई है.

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बेंगलुरु
बेंगलुरु के लोगों की शिकायत है कि निजी टैंकरों ने भी पानी के दाम बढ़ा दिए हैंतस्वीर: Idrees Mohammed/AFP/Getty Images

बेंगलुरु पीने के पानी के ऐसे संकट का सामना कर रहा है कि शहर में पानी के बेजा इस्तेमाल पर पाबंदियां लगा दी गई हैं. शहर में पानी की सप्लाई का नियंत्रण करने वाली संस्था बीडब्ल्यूएसएसबी ने गाड़ी धोने, बागबानी, फव्वारों के लिए, बिल्डिंगें और सड़क बनाने और सफाई के लिए पीने के पानी के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है.

इसके अलावा मॉल और सिनेमाघरों में पीने के अलावा पानी के हर तरह के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है. आदेशों का पहली बार उल्लंघन करने पर 5,000 रुपये जुर्माना लगेगा और बार-बार करने पर अतिरिक्त 5,000 रुपये और 500 रुपये रोज का जुर्माना लगेगा.

लोगों का बुरा हाल

बीडब्ल्यूएसएसबी के मुताबिक भूजल से मिलने वाले पानी की सप्लाई आधी रह गई है. मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि शहर के लोग पानी की भरी कमी से जूझ रहे हैं. पहले 600 से 800 रुपयों में 12,000 लीटर पानी देने वाले निजी टैंकर अब उतने ही पानी के लिए 3,000 रुपये से ज्यादा मांग रहे हैं.

डोड्डाठौगुर तालाब, बेंगलुरु
डोड्डाठौगुर तालाब की तरह बेंगलुरु के अधिकांश तालाब बिल्कुल सूख चुके हैंतस्वीर: Idrees Mohammed/AFP/Getty Images

रिपोर्टों के मुताबिक कुछ बड़ी और महंगी बिल्डिंगों में रहने वाले लोगों को शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए आस पास के मॉलों में जाना पड़ रहा है. दफ्तरों पर भी इस संकट का असर पड़ रहा है.

आईटी कंपनी डेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर रॉयटर्स को बताया, "मेरी टीम मीटिंग में नहीं आ रही है क्योंकि सबको पानी के टैंकरों का पता लगाना है."

एक्सेंचर के एक कर्मचारी ने बताया कि जिन इलाकों में पानी की काफी कमी है वहां कुछ लोग तो दफ्तरों में ही ज्यादा वक्त बिता रहे हैं. लोगों को इस बात की भी चिंता सता रही है कि अभी भी तो गर्मियों की बस शुरुआत ही हुई है, जाने आगे क्या हाल होगा.

माना जा रहा है कि पानी की इस कमी का कारण दक्षिण-पश्चिमी मानसून का कमजोर पड़ जाना है. कमजोर मानसून की वजह से पर्याप्त बारिश नहीं हुई जिससे भूजल और कावेरी नदी के जलाशयों में पानी की कमी की पुनः पूर्ति नहीं हुई.

क्यों हुई कमी

सितंबर, 2023 में ही राज्य सरकार ने राज्य के कुल 236 तालुकाओं में से 195 में सूखा घोषित कर दिया था, जिनमें बेंगलुरु के भी कुछ हिस्से शामिल हैं. बाद में तालुकाओं की संख्या को बढ़ा कर 216 कर दिया गया था.

इनमें मांड्या और मैसूरु भी शामिल हैं, जहां से बेंगलुरु को पानी मिलता है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु के दो मुख्य पानी के स्रोत हैं - उसे कावेरी नदी से रोज 1.45 अरब लीटर पानी मिलता है और 70 करोड़ लीटर पानी नगरपालिका द्वारा खोदे गए बोरवेलों से मिलता है.

उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कुछ ही दिनों पहले पत्रकारों को बताया था कि शहर के 16,791 बोरवेलों में से 6,997 बोरवेल सूख गए हैं. शहर के कई तालाब भी सूख गए हैं. देखना होगा आने वाले दिनों में नगरपालिका और राज्य सरकार इस स्थित से कैसे जूझती है.

लेकिन यह स्थिति भारत के 'सिलिकॉन वैली' और 'टेक राजधानी' के नाम से जाने जाने वाले इस शहर के लिए चिंताजनक है. दो साल पहले शहर में बाढ़ का संकट आया था और अब सूखे का.