भारत: छह सालों में सबसे धीमी गति से बढ़ा सौर ऊर्जा उत्पादन
४ जुलाई २०२४सौर ऊर्जा के उत्पादन में आई यही कमी पावर ग्रिड नियामक ग्रिड-इंडिया के डाटा में देखने को मिली है. ग्रिड-इंडिया के दैनिक डिस्पैच डाटा के मुताबिक इस साल 30 जून तक कोयले से बिजली के उत्पादन में 10.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. इसी अवधि में कुल बिजली उत्पादन में 9.7 प्रतिशत, यानी इससे कम, बढ़ोतरी हुई.
कायम है कोयले पर निर्भरता
भारत दुनिया में सौर ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है लेकिन इस अवधि में देश सिर्फ 63.6 अरब किलोवाट-घंटे सौर ऊर्जा बना सका. यह पिछले साल इसी अवधि में हुए सौर ऊर्जा उत्पादन में 14.7 प्रतिशत की वृद्धि है.
भारत को आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त है. देश ने हाल के सालों में ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कोयले को प्राथमिकता दी है. पिछले साल 2015 की पेरिस संधि के बाद पहली बार कोयले से बिजली का उत्पादन अक्षय ऊर्जा उत्पादन से ज्यादा तेजी से हुआ.
कोविड-19 महामारी से निकलने के बाद भारत का ईंधन के इस्तेमाल का पैटर्न मोटे तौर पर इस इलाके के पैटर्न के जैसा ही रहा है. इंडोनेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देश सस्ती बिजली बनाने के लिए कोयला ही जला रहे हैं.
अगले साल से है उम्मीद
2024 की पहली छमाही में कुल ऊर्जा उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी बढ़ कर 77.1 प्रतिशत हुई है. इसके मुकाबले पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 76.6 प्रतिशत था. यह लगातार चौथा साल है जब कोयले की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी ही हुई है.
भारत को उम्मीद है कि मार्च 2025 में अंत होने वाले वित्त वर्ष में कुल बिजली उत्पादन में इतनी बढ़ोतरी होगी जितनी बीते एक दशक में नहीं हुई. लेकिन पूर्वानुमान यह है कि इसमें प्रमुख हिस्सेदारी (8.9 प्रतिशत) कोयले से बनी बिजली की होगी. अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी सिर्फ 8.2 प्रतिशत होगी.
समीक्षकों को उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष से अक्षय ऊर्जा के उत्पादन की रफ्तार बढ़ेगी, क्योंकि हरित ऊर्जा की परियोजनाओं के लिए टेंडर निकलने और ठेका दिए जाने की रफ्तार में तेजी आई है.
मूडीज का आईसीआरए यूनिट (जिसे पहले इन्वेस्टमेंट इन्फॉर्मेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के नाम से जाना जाता था) उम्मीद कर रहा है कि मार्च 2025 तक अक्षय ऊर्जा उत्पादन के लिए तैयारी तीन गुना बढ़ कर 25 गीगावाट तक पहुंच जाएगी.
सीके/एए (रॉयटर्स)