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इंडोनेशिया की ना के बाद कहां जाएगा जर्मनी, अमेरिका का कचरा

४ जुलाई २०१९

चीन, फिलीपींस, मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम के बाद अब इंडोनेशिया ने भी पश्चिमी देशों का कचरा लेने से मना कर दिया है. अब पश्चिमी देशों के सामने कचरे के निबटारे की समस्या खड़ी हो गई है.

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Malaysia Kuala Lumpur Plastikmüll
तस्वीर: picture-alliance/AA/A. Ghazali

बढ़ते हुए प्लास्टिक के इस्तेमाल से पश्चिमी देशों को अब बड़ी परेशानियों का सामना करना होगा. इंडोनेशिया ने अमेरिका और जर्मनी जैसे विकसित पश्चिमी देशों से आने वाले प्लास्टिक के कचरे को वापस लौटा दिया है. इंडोनेशिया ने कचरे के अवैध व्यापार पर शिंकजा कस दिया है. इसके चलते अब पश्चिमी देशों का कचरा इंडोनेशिया में नहीं आ सकेगा. इंडोनेशिया के कस्टम विभाग ने बताया कि कचरे के 49 कंटेनरों को सील कर दिया गया है. इन कंटेनरों को जल्दी ही वापस भेज दिया जाएगा. ये कंटेनर अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और हांगकांग से आए थे. इन्हें वहीं वापस भेजा जाएगा. ये कंटेनर फिलहाल सिंगापुर के दक्षिण में बाटम द्वीप पर हैं.

पिछले महीने भी इंडोनेशियाई सरकार ने कचरे के पांच कंटेनरों को अमेरिका को वापस भेज दिया था क्योंकि इनमें प्रतिबंधित सामान पाए गए. पिछले साल चीन द्वारा पश्चिमी देशों के कचरे के आयात पर लगी रोक की वजह से पश्चिमी देशों ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का रुख किया. इंडोनेशिया में पश्चिमी देशों से आने वाले कचरे का आयाम दोगुना हो गया था. अब इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस ने भी इस कचरे को लेने से मना कर दिया है. इन देशों का कहना है कि वो पश्चिमी देशों के कचरे के लिए डंपिंग ग्राउंड नहीं बन सकते.

पर्यावरण संगठनों का दबाव

इंडोनेशिया में आ रहे कचरे पर वहां के पर्यावरण समर्थक समूहों ने सरकार से कचरा आयात करने पर रोक की मांग की क्योंकि इससे वहां के पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. व्यापार मंत्रालय के मुताबिक 2018 में इंडोनेशिया ने 32.04 करोड़ किलो कचरे का आयात किया. 2017 में यह मात्रा 12.88 करोड़ किलो थी. इंडोनेशिया के एक पर्यावरण समर्थक समूह इकोलॉजिकल ऑब्सर्वेशन एंड वेटलैंड कंजर्वेशन ने बताया कि विकसित देशों से आ रहे कचरे के कारण पूर्वी जावा राज्य में ब्रांतास नदी प्रदूषित हो चुकी है. इस नदी में पाई जाने वाली 80 प्रतिशत मछलियों में माइक्रोप्लास्टिक के नमूने मिले हैं.

Indonesien West Java Gesammelter Plastikmüll
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/A. Adie

पश्चिमी देशों में प्लास्टिक का इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जा रहा है. इस्तेमाल के बाद इस प्लास्टिक का निस्तारण करने के लिए इन देशों ने कचरे को एशियाई देशों को भेजना शुरू किया. चीन इस कचरे का आयात कर इसे रिसाइकिल कर उपयोग में लाता था. इस प्लास्टिक को रिसाइकिल कर उद्योग धंधों का कच्चा माल तैयार किया जाता था. लेकिन चीन ने 2018 में इस कचरे को लेने से मना कर दिया.

कचरे से अब इंकार क्यों

कचरे के आयात से इंकार के दो कारण बताए गए. पहला, इससे चीन का पर्यावरण प्रदूषित होने लगा था और वहां की हवा साफ नहीं रही. दूसरा, इस कचरे में आने वाले माल का बड़ा हिस्सा घटिया गुणवत्ता का होता था. इसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता था. ऐसे में इसका निस्तारण करने के तरीके चीन के पास भी नहीं थे. यह लैंडफिल किया जाता या जलाया जाता. दोनों ही तरीकों से प्रदूषण बढ़ रहा था.

चीन के इंकार के बाद पश्चिमी देशों ने दूसरे एशियाई देशों का रुख किया. पहले तो इन देशों ने कचरा लेकर इसका उपयोग किया. लेकिन चीन वाली समस्या यहां भी पैदा होने लगी. इसके चलते मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, वियतनाम और अब इंडोनेशिया ने इस कचरे को लेने से मना कर दिया है. इस कचरे को वापस भेजा जा रहा है. फिलीपींस और कनाडा के बीच तो इस कचरे को लेकर आपसी संबंधों में कड़वाहट आ गई थी. फिलीपींस ने कनाडा के कचरे से भरे 100 कंटेनर वापस कर दिए थे.

इन देशों में आयात पर रोक के बावजूद अवैध तरीके से कचरे की तस्करी भी हो रही थी. इसे रोकने के लिए भी इन देशों की सरकारें सख्त हुई हैं. अब इन देशों में चल रहे अवैध कचरा प्रोसेसिंग प्लांट्स को छापा मारकर बंद किया जा रहा है. साथ ही कस्टम विभाग भी सक्रियता से विदेशों से आ रहे कंटेनरों की जांच कर रहा है.

ऋषभ शर्मा (डीपीए/एएफपी)

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