इंडोनेशिया: हिजाब भी और हैवी मेटल संगीत भी
३ जून २०२१वॉयस ऑफ बेसप्रोट (तेज आवाज) के पीछे की छोटी तिकड़ी ने साल 2014 में युवा किशोरियों के रूप में वीओबी बनाने के बाद दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल राष्ट्र के संगीत समारोहों में अपने कौशल को निखारने के लिए सालों बिताए. तीनों लड़कियों ने पश्चिम जावा प्रांत के रूढ़िवादी शहर में बड़े होते हुए लंबा सफर तय किया है. उन्होंने अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए परिवार और पड़ोसियों के तानों को नजरअंदाज किया.
19 साल की बासिस्ट विदी रहमावती कहती हैं, "मेटल संगीत के कारण, मेरे पास अपने मन की बात कहने का साहस और दूसरों से अलग होने का आत्मविश्वास है." वे कहती हैं, "जब मैं मंच पर होती हूं, तो मैं उन नियमों की चिंता किए बिना खुद को व्यक्त कर सकती हूं जिसकी लोग मुझसे उम्मीद करते हैं."
अगर तीनों उन नियमों का पालन कर लेती तो उनकी शादी हाई स्कूल के बाद ही हो गई होती. ऐनक पहनी 20 साल की फिरदा मर्सिया कुर्निया कहती हैं, "मेरे माता-पिता ने मुझसे कहा था कि पढ़ना बेकार है, संगीत बजाना तो दूर की बात है. उन्होंने कहा कि एक बार मेरी शादी हो जाती है तो मेरे पति मुझे किताबें पढ़ने के लिए नहीं बल्कि घर पर रहकर खाना बनाने और सफाई करने के लिए कहेंगे."
तीनों के जिद्दी संकल्प ने आखिरकार उनके संशयी माता-पिता पर जीत हासिल करने में मदद की और वे अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए पिछले साल राजधानी जकार्ता चली आईं. कुर्निया कहती हैं, "संगीत हमारे लिए खुशी हासिल करने और अन्य लोगों के साथ साझा करने का जरिया है. अगर दर्शकों को हमारे संगीत से कुछ संदेश मिलता है तो हम आभारी हैं."
संगीत और महिला शक्ति
तीनों इन दिनों महिलाओं और पर्यावरण के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए गीत लिखती हैं. संगीत विशेषज्ञ युका डियान नरेंद्र कहते हैं रूढ़िवादी सामाजिक मूल्यों की इन लड़कियों द्वारा आलोचनाएं सीमा के पार गूंजती हैं और उन्हें एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय दर्शक मिल सकता है. वे कहते हैं, "बैंड इंडोनेशिया की मुख्यधारा की मुस्लिम लड़कियों का प्रतिबिंब है."
महामारी के कारण बैंड ने कई ऑनलाइन संगीत कार्यक्रम आयोजित किया है. कोरोना के कारण अधिकांश सीमा पार की यात्राएं बंद हैं, जिसमें इंग्लैंड में वॉव यूके फेस्टिवल और ग्लोबल जस्ट रिकवरी गैदरिंग शामिल हैं. उन्हें उम्मीद है कि उनकी तेज धुनों से उन्हें एक दिन शीर्ष अमेरिकी संगीत समारोह कोचेला में जगह मिलेगी. इस बीच, इन लड़कियां का कहना है कि वे अपने गृहनगर की महिलाओं से प्रेरणा लेती रहेंगी, जहां कई महिलाएं कमर तोड़ काम करती हैं.
ड्रम बजाने वाली इज सिति असियाह कहती हैं, "वहां की महिलाओं के साथ दूसरे दर्जे के नागरिकों की तरह व्यवहार किया जाता है. लेकिन हमारे गांव में बहुत मजबूत महिलाएं भी हैं."
एए/सीके (एएफपी)