98 देशों के आईफोन ग्राहकों को एप्पल ने भेजी चेतावनी
१२ जुलाई २०२४एप्पल ने हाल ही में 98 देशों के आईफोन उपभोक्ताओं को संभावित स्पाईवेयर खतरों के बारे में एक चेतावनी जारी की है. इस साल यह दूसरी बार है जब कंपनी ने ऐसी चेतावनियां भेजी हैं. पिछली बार अप्रैल में 92 देशों के ग्राहकों को ऐसी ही चेतावनी भेजी गई थी.
यह चेतावनी उन लोगों को भेजी गई है जिनके बारे में माना जाता है कि वे निशाना बनाए गए हैं. इसमें कहा गया है, "एप्पल ने पता लगाया है कि आप एक भाड़े के स्पाईवेयर हमले के निशाने पर हैं जो आपके एप्पल आईडी से जुड़े आईफोन को दूर से ही नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है."
एप्पल ने इस स्थिति की गंभीरता पर जोर दिया और प्रभावित ग्राहकों से इस चेतावनी को गंभीरता से लेने का आग्रह किया. कंपनी ने यह जानकारी नहीं दी है कि यह हमला किस स्पाईवेयर से और किसने किया है. इसलिए यह भी जानकारी सामने नहीं आई है कि प्रभावित देश कौन से हैं. हालांकि, भारत में कई आईफोन ग्राहकों ने ऐसे संदेश मिलने की बात कही है.
तकनीकी मुद्दों पर नजर रखने वाली वेबसाइट टेकक्रंच के मुताबिक एप्पल ने अपने खतरे की पहचान करने के तरीकों की संवेदनशीलता पर जोर दिया और प्रभावित ग्राहकों को जानकारियां सार्वजनिक ना करने की सलाह दी क्योंकि इससे हमलावरों को पता चल सकता है और उन्हें पकड़ना मुश्किल हो सकता है.
बढ़े हैं आईफोन पर हमले
पिछले कुछ महीनों में स्पाईवेयर से आईफोन पर हमले तेजी से बढ़े हैं. एप्पल का दावा है कि फोन का लॉकडाउन मोड स्पाईवेयर को विफल कर सकता है लेकिन इससे फोन की सामान्य कार्यक्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है.
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कंपनी ने अपने ग्राहकों से कहा है कि वे कुछ लक्षणों की पहचान कर हैकिंग के खतरे से सतर्क रह सकते हैं. इनमें फोन की परफॉरमेंस में कमी या अपरिचित ऐप का नजर आना शामिल है. हैकिंग का असर तुरंत कम करने के लिए फोन को रीस्टार्ट करने की सलाह दी गई है जो अस्थायी रूप से स्पाइवेयर को रोक सकता है.
इसके अलावा कंपनी ग्राहकों से कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि उनका आईफोन नवीनतम आईओएस सॉफ्टवेयर पर चल रहा हो. इसके लिए सेटिंग्स > जनरल > सॉफ्टवेयर अपडेट पर जाकर खुद ही अपडेट डाउनलोड और इंस्टॉल करने की सलाह दी गई है.
सरकारें कर रही हैं जासूसी?
पिछले साल नवंबर में भारत के कई विपक्षी नेताओं ने कहा था कि उन्हें एप्पल की तरफ से चेतावनी मिली. इनमें कांग्रेस के शशि थरूर, पवन खेड़ा, सुप्रिया श्रीनेत, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा, शिव सेना (उद्धव) की प्रियंका चतुर्वेदी, सीपीएम के सीताराम येचुरी, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा शामिल थे.
इनके अलावा थिंक टैंक आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष समीर सरन ने भी ऐसे हमले की शिकायत की थी. इन सभी ने कहा था कि उन्हें एप्पल की तरफ से नोटिफिकेशन आया कि "स्टेट स्पॉन्सर्ड" यानी सरकार द्वारा प्रायोजित हमलावर उनके आईफोन को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे थे.
इन चेतावनियों ने एक बार फिर पेगासस हमले की याद ताजा कर दी है. उससे पहले 2021 में दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों ने "पेगासस प्रोजेक्ट" नाम से एक साथ रिपोर्ट छापी थीं, जिनमें दावा किया गया कि पेगासस स्पाईवेयर के जरिए विभिन्न सरकारों ने अपने यहां पत्रकारों, नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन हैक करने की कोशिश की.
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इनमें 180 से ज्यादा देशों के करीब 50,000 फोन नंबर शामिल थे. रिपोर्ट में भारत में 300 से ज्यादा पत्रकारों, नेताओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के फोन हैक करने का दावा किया गया था. भारत सरकार ने कभी यह नहीं माना कि उसने पेगासस का इस्तेमाल दूसरों की जासूसी के लिए किया, लेकिन स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा कि उसने पेगासस का इस्तेमाल किया ही नहीं.
रिपोर्टः विवेक कुमार (डीपीए)