पाकिस्तान पर ईरान ने क्यों किया हमला
१७ जनवरी २०२४ईरान के सरकारी मीडिया ने मंगलवार को बताया कि ईरानी मिसाइलों ने बलोच मिलिटेंट समूह "जैश अल अद्ल" के दो ठिकानों को निशाना बनाया था. दोनों ठिकाने पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत में स्थित हैं.
ईरानी मीडिया एजेंसी नूरन्यूज ने हमलों की ज्यादा जानकारी ना देते हुए बस इतना बताया कि इन ठिकानों पर मिसाइलों और ड्रोनों से हमला किया गया और इन्हें नष्ट कर दिया गया. ईरान की सरकार का अभी तक कोई बयान नहीं आया है, लेकिन पाकिस्तान ने इन हमलों की पुष्टि की है.
हमले से पाकिस्तान नाराज
हमलों की निंदा करते हुए पाकिस्तान ने इन्हें "पूरी तरह से अस्वीकार्य" बताया और कहा कि इसके "गंभीर परिणाम" हो सकते हैं. पाकिस्तान ने यह भी बताया कि हमलों में दो बच्चे भी मारे गए.
पाकिस्तान के आधिकारिक बयान में यह नहीं बताया गया कि हमला कहां पर हुआ, लेकिन पाकिस्तानी सोशल मीडिया में कुछ लोगों ने लिखा कि हमला बलोचिस्तान में हुआ. इस प्रांत में दोनों देशों के बीच करीब 1,000 किलोमीटर लंबी सीमा है और आबादी बहुत कम है.
हमलों के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने "उसके हवाई क्षेत्र के अकारण उल्लंघन" का विरोध करने के लिए इस्लामाबाद में ईरान के राजदूत को समन किया है.
इन हमलों से एक दिन पहले ईरान के एलीट रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने इराक और सीरिया में भी मिसाइल हमले किए थे. मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि 2012 में बनाए गए "जैश अल अद्ल" समूह ने बीते कुछ सालों में पाकिस्तान की सीमा से सटे इलाकों में ईरानी सुरक्षाबलों पर हमले किए थे.
दोनों देश लगाते हैं आरोप
ईरान ने समूह को "आतंकी समूह" के रूप में ब्लैकलिस्ट किया हुआ है. समूह ने दिसंबर में ईरान के रस्क शहर में एक पुलिस स्टेशन पर हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें कम से कम 11 ईरानी पुलिस अधिकारी मारे गए थे.
अमेरिका ने भी इस समूह को एक आतंकी संगठन घोषित किया हुआ है. अमेरिका का कहना है कि समूह "मुख्य रूप से ईरानी सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाता है" लेकिन सरकारी अधिकारियों और नागरिकों को भी हत्या, अपहरण और आत्मघाती हमलों का निशाना बनाता है.
ईरान और पाकिस्तान अक्सर एक दूसरे पर मिलिटेंटों को पनाह देने का आरोप लगाते हैं, लेकिन दोनों तरफ से आधिकारिक स्तर पर कम ही मौकों पर कार्रवाई हुई है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "यह और भी ज्यादा चिंता की बात है कि यह गैरकानूनी काम पाकिस्तान और ईरान के बीच बातचीत के कई चैनलों की मौजूदगी के बावजूद उठाया गया है."
बयान में आगे कहा गया, "इस तरह के एकपक्षीय कदम अच्छे पड़ोसी संबंधों के अनुकूल नहीं हैं और दोनों देशों के बीच भरोसे को गंभीर रूप से कमजोर कर सकते हैं."
सीके/वीके (रॉयटर्स, एएफपी)