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समाजएशिया

ईरानः सिर ना ढंकने वाली अभिनेत्रियों पर लगाई गई पाबंदी

शबनम फॉन हाइन
७ नवम्बर २०२३

ईरान में सार्वजनिक रूप से सिर पर स्कार्फ ना लगाने वाली अभिनेत्रियों को काम करने से बैन कर दिया गया है. अभिनेत्रियां इसके विरोध में खड़ी हो रही हैं लेकिन आम औरतें भी विरोध की कीमत चुका रही हैं.

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ईरान में महिला अधिकारों को लेकर प्रदर्शन
ईरानी अभिनेत्रियों की लिस्ट बनाई गई है जो सार्वजनिक तौर पर हेडस्कार्फ के बिना जाती हैंतस्वीर: Dimitris Lampropoulos/AA/picture alliance

अक्टूबर के अंत में ईरान की मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर एंड इस्लामिक गाइडेंस ने ऐसी अभिनेत्रियों की लिस्ट जारी की जिन्हें उनके पेशे से इसलिए बैन कर दिया गया है क्योंकि वह सार्वजनिक तौर पर बिना हेडस्कार्फ के नजर आईं.

मंत्रालय संभालने वाले मंत्री मोहम्मद मेहदी इस्माइल ने कहा कि उन अभिनेत्रियों के साथ काम करना संभव नहीं होगा जो हिजाब कानून का पालन नहीं करतीं हैं. फिलहाल इस लिस्ट में 20 नाम हैं, जिनमें मशहूर अभिनेत्री तरानेह अलीदूस्ती भी हैं. 39 साल की अलीदूस्ती, सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म का ऑस्कर पुरस्कार जीतने वाली फिल्म द सेल्समैन (2016) में काम कर चुकी हैं.

सोशल मीडिया पोस्ट के लिए गिरफ्तारी

अलीदूस्ती पहले सार्वजनिक तौर पर सिर ढंकती थीं, भले ही वह देश से बाहर हों, लेकिन यह नवंबर 2022 में तब बदल गया जब ईरान में महसा अमीनी की मौत के बाद महिलाओं का जबरदस्त विरोध शुरु हुआ.

22 साल की महसा अमीनी को, देश के इस्लामिक ड्रेस कोड का पालन ना करने के नाम पर कथित मोरैलिटी पुलिस ने गिरफ्तार किया. बाद में पुलिस हिरासत में अमीनी की मौत हो गई.

इंस्टाग्राम पर अलीदूस्ती ने एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें उन्होंने हेडस्कार्फ नहीं पहना था. उनके 80 लाख फॉलोअर हैं. उन्होंने हाथ में ईरानी महिला अधिकारों और सरकार विरोधी आंदोलन के समर्थन में एक कागज लिया हुआ है जिस पर लिखा है "महिलाएं, जिंदगी , आजादी."

फ्रांस में ईरानी महिलाओं के हक में प्रदर्शन
ईरान में महसा अमीनी की मौत के बाद महिलाओं का जबरदस्त विरोध शुरु हुआ.तस्वीर: Karim Ait Adjedjou/picture alliance/abaca

इस तस्वीर को पोस्ट करने के कुछ ही देर में अलदूस्ती को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें दो हफ्ते बाद जमानत पर रिहा किया गया. सोशल मीडिया पर अपने काम पर रोक के बारे में उन्होंने लिखा, "मैं हेडस्कार्फ नहीं पहनूंगी जिससे अब भी मेरी बहनों का खून रिस रहा है."

ईरान में सार्वजनिक तौर पर सिर ना ढंकना काफी खतरनाक हो सकता है जिसका एक दुखद उदाहरण 17 साल की अर्मिता गारावांद की मौत है. अर्मिता बिना स्कार्फ के स्कूल जा रही थी जब मोरैलिटी पुलिस ने तेहरान मेट्रो में कथित हमला किया.

वह बेहोश हो गई और सिर पर गंभीर चोटों के साथ अस्पताल पहुंचाई गई. कुछ वक्त कोमा में रहने के बाद अर्मिता को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया और 29 अक्टूबर को उसे दफ्ना दिया गया.

औरतों को हिजाब पहनने को मजबूर करने के लिए क्या कर रहा ईरान

ईरानी महिलाओं में गुस्सा

राजधानी तेहरान में डीडब्ल्यू से बातचीत में एक ईरानी छात्रा ने कहा, "हम हर दिन अपनी जिंदगी जोखिम में डालते हैं क्योंकि हम बिना हेडस्कार्फ के बाहर निकले हैं. यह बहुत दुखद है कि कुछ अभिनेत्रियां अभी भी स्कार्फ पहन रही हैं." उसका इशारा, 18 अक्तूबर को ईरानी निर्देशक दारिउश मेहरजुई और उनकी पत्नी स्क्रीनराइटर पत्नी वाहीदेह मोहम्मदीफार की अंतिम यात्रा की ओर था.

मध्य-अक्टूबर में दोनों अपने घर में चाकुओं के जख्मों के साथ मृत पाए गए थे. फिल्म उद्योग और आम लोग भी इन हत्याओं पर हैरान थे. अधिकारियों का कहना था कि यह चोरी का मामला था जिसमें एक पुराना माली शामिल है. लेकिन बहुत से लोगों को इस पर संदेह है.

ईरान में बहुत सारे दूसरे फिल्ममेकरों की तरह, मेहरजुई भी अक्सर सरकार के साथ उलझे रहते थे. मार्च 2022 में, जब उनकी आखिरी फिल्म ला माइनर सेंसर की गई तब 83 वर्षीय निर्देशक ने गुस्से में ईरान की कल्चर मिनिस्ट्री के बारे में एक संदेश लिखा, "मुझे मार डालो, करो जो मेरे साथ करना चाहते हो, मुझे बर्बाद कर दो, लेकिन मुझे अपने अधिकार चाहिए."

उनके अंतिम संस्कार के वक्त बहुत सारी अभिनेत्रियों ने हेडस्कार्फ पहना हुआ था. केवल एक लड़की जिसने हिजाब कानून नकारा, वह थी दिवंगत जोड़े की 16 साल की बेटी मोना मेहरजुई.

लंदन में ईरानी महिलाओं के समर्थन में प्रदर्शन
ईरान में महिला अधिकारों के लिए लड़ने की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती हैतस्वीर: Michael Melia/Avalon//Photoshot/picture alliance

विरोध की भारी कीमत

ईरानी अभिनेत्री शोले पाकरावन ने डीडबल्यू से कहा, मैं समझती हूं कि युवा पीढ़ी हमसे नाराज है. मेरी पीढ़ी रूढ़िवादी है और बेहद सतर्क. पाकरावन, साल 2017 से ही जर्मनी में रह रही हैं. तीन साल पहले उनकी बेटी रेहाने जब्बारी को ईरान में मौत की सजा दी गई थी क्योंकि उसने बलात्कार की कोशिश करने वाले एक आदमी को मार डाला.

शोले पाकरावन ने बेटी को बचाने की लंबी लड़ाई लड़ी लेकिन सफल नहीं हो सकीं. अब वह दूसरों के लिए अपनी आवाज उठाती हैं. वह कहती हैं, "मैं जानती हूं कि इस वक्त ईरान में विरोध की कीमत बहुत ऊंची है. अगर आप गायब नहीं होना चाहते हैं तो आपको ना चाहते हुए भी हेडस्कार्फ पहनना होगा."

उन्हें नहीं लगता कि ईरान में विरोध खत्म हो चुका है. वह मानती हैं, "यह बदला है और दूसरे रूपों में सामने आएगा. जो लोग सत्ता में हैं, वह उसे कभी नहीं बदल पाएंगे जो पिछले साल ईरान में हुआ. अब उनका सामना युवा और बहादुर लड़कियों की पीढ़ी से है जो जानती हैं कि उन्हें क्या चाहिए. आजादी और जुल्म का अंत."

महसा अमीनी की मौत से कितना बदला ईरान