ईरान ने शुरू किया यूरेनियम संवर्द्धन
७ जुलाई २०२१इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (आईएईए) ने मंगलवार को कहा कि ईरान ने संवर्द्धित यूरेनियम बनाने की प्रक्रिया शुरू की है, जिसकी अमेरिका समेत कई देशों ने आलोचना की है. हालांकि ईरान का कहना है कि उसके इस कदम का मकसद शोध क्षेत्र के लिए ईंधन तैयार करने का है लेकिन अमेरिका ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण और पीछे ले जाने वाला कदम बताया है.
अमेरिका और यूरोपीय अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि ईरान की गतिविधियां अमेरिका के साथ उसकी बातचीत में जटिलता बढ़ाएंगी और दोनों देशों को 2015 में बनी सहमति के स्तर पर वापस लाने में बाधा साबित हो सकती हैं. 2015 में ओबामा सरकार के वक्त अमेरिका ने ईरान से परमाणु संधि कर ली थी, जिसे ट्रंप सरकार ने खारिज कर दिया था.
बार-बार उल्लंघन
संधि के तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कई तरह की पाबंदियां हैं, जिनके चलते ईरान परमाणु हथियारों के लिए ईंधन तैयार नहीं कर सकता. बदले में उसे आर्थिक प्रतिबंधों से राहत मिली है. हालांकि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा संधि को खारिज कर देने के बाद ईरान ने भी शर्तों का उल्लंघन शुरू कर दिया था.
इस साल की पहली छमाही में ही ईरान कुछ यूरेनियम धातु बना चुका है, जिसे संवर्द्धित नहीं किया गया था. यह संधि की शर्तों का उल्लंघन था, जिनके तहत यूरेनियम धातु को लेकर किसी भी तरह का कार्य प्रतिबंधित है क्योंकि इसका इस्तेमाल परमाणु बम बनाने में हो सकता है. आईएईए ने एक बयान जारी कर कहा, "आज ईरान ने सूचित किया है कि 20 प्रतिशत U-235 तक सवंर्द्धित यूओ2 (यूरेनियम ऑक्साइड) को असफहान स्थित फ्यूल फेब्रिकेशन प्लांट की प्रयोगशाला भएजा जाएगा, जहां इससे UF4 (यूरेनियम टेट्राफ्लोराइड) बनाया जाएगा, जिससे ईंधन तैयार किया जाएगा.”
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रॉयटर्स समाचार एजेंसी ने कुछ हफ्ते पहले ही आईएईए की एक रिपोर्ट के आधार पर खबर छापी थी कि ईरान ने यूरेनियम के संवर्द्धन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. ताजा घटनाक्रम के बाद ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने कहा कि उन्हें ईरान के फैसले पर गंभीर संदेह हैं, जो जॉइंट कॉम्प्रहेंसिव प्लान ऑफ ऐक्शन का उल्लंघन करता है.
अमेरिका और यूरोप नाराज
ये तीनों देश ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु संधि की मध्यस्थता कर रहे हैं. तीनों देशों ने ब्रिटिश विदश मंत्रालय की ओर से जारी एक संयुक्त बयान में कहा, "ईरान की यूरेनियम धातु शोध और अनुसंधान व उत्पादन की कोई विश्वसनीय नागरिक जरूरतें नहीं हैं. यह परमाणु हथियार बनाने की दिशा में एक अहम कदम है. ताजा कदमों के जरिए ईरान विएना वार्ता के सफल परिणाम को खतरे में डाल रहा है जबकि पिछले छह दौर की बातचीत में प्रगति हुई है.”
तीनों देशों ने ईरान से विएना में बातचीत के लिए लौटने का आग्रह किया. यह बातचीत बीती 20 जून को स्थगित कर दी गई थी और अब तक नए दौर के लिए तारीखें तय नहीं हुई हैं. अमेरिका ने कहा है कि वह बातचीत शुरू करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं करना चाहता लेकिन ईरान की गतिविधियों का उसके बातचीत में लौटने के फैसले पर असर पड़ सकता है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि ईरान का शर्तों को उल्लंघन करते रहना चिंताजनक है और यह एक और दुर्भाग्यपूर्ण कदम है जो ईरान को पीछे ले जाता है.
देखिएः बढ़ रहे हैं परमाणु हथियार
उधर, आईएईए में रूस के दूत मिखाएल उल्यानोव ने कहा कि ईरान और अमेरिका दोनों ही समझौते की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ट्रंप सरकार ने ईरान पर जो प्रतिबंध लगाए थे, उन्हें जारी रखने का बाइडेन सरकार का फैसला भी संधि का उल्लंघन है. एक ट्वीट में उल्यानोव ने कहा, "इस दुष्चक्र से निकलने का एकमात्र तरीका विएना वार्ता की बिना देर किए शुरुआत और JCPOA की पुनर्स्थापना है.”
वीके/सीके (रॉयटर्स)