गत्ते के घरों में गुजरती सर्द रातें
ईरान में हाल के सालों में बेघर लोगों की संख्या में बहुत इजाफा हुआ है. मानवाधिकार समूह इन हालात के लिए राष्ट्रपति हसन रोहानी की आलोचना करते हैं. उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान सामाजिक न्याय का वादा किया था.
क्षमता से ज्यादा
दिसंबर की एक रात में लगभग 750 लोग तेहरान में बेघर लोगों के लिए बने एक रैन बसेरे में जा पहुंचे, ताकि ठंड से बच सकें. अब तक कभी इतने लोग 'खावारान' नाम के रैन बसेरे में नहीं पहुंचे थे. एक रात में वहां ज्यादा से ज्यादा 400 लोग आया करते थे.
गर्म ठिकाना
खावारा के हॉल को 600 लोगों के लिए बनाया गया है. लेकिन सर्दियों की रात में यहां पहुंचने वाले लोगों की संख्या 1,100 तक जा पहुंची है. यहां पर मजदूरों को भी रखा जाता है और उन्हें खाने और सोने की जगह की जाती है. ईरान में लोगों के बेघर होने की वजह बेरोजगारी, ड्रग की समस्या और गरीबी है.
गत्ते के घर
बहुत से लोग ठंड से बचने के लिए अपने लिए ऐसे ठिकाने भी बना लेते हैं. गत्ते के बने इन घरों को 'कार्टनखाब' कहते हैं. दिसंबर में एक व्यक्ति निर्माणाधीन एक इमारत में मृत अवस्था मिला. ईरान के शहरों में इस तरह के कार्टनखाब में रहने वाले कई लोगों की मौतें हुई हैं.
बच्चों के घर
यह तस्वीर पिछले साल अगस्त में सोशल मीडिया पर आई थी. ईरान के सामाजिक कार्यकर्ताओं और मीडिया ने इस तस्वीर को फिर से प्रकाशित कर सरकार से इन बच्चों के लिए कदम उठाने को कहा. इसके बाद अधिकारियों ने 12 महिलाओं और छह बच्चों को रैन बसेरे में जगह दिलाई.
गंभीर हालात
सरकार की तरफ से बेघर लोगों के लिए खास योजना शुरू किए जाने के चंद दिनों बाद खबरें आईं कि लोगों को खाली कब्रों में रखा जा रहा है. 'शहरवंद' अखबार ने खबर दी कि नसीराबाद शहर में 50 महिला, पुरुष और बच्चों ने इस तरह की खुली कब्रों में रात गुजारी.
रुहानी जिम्मेदार
अधिकारियों ने बेघर लोगों को जबरदस्ती कब्रिस्तान से हटाया. विपक्ष इस मुद्दे पर ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी को आड़े हाथ ले रहा है. उन पर अपने चुनावी वादे पूरे ना करने के आरोप लग रहे हैं. रुहानी ने कहा था कि वह गरीबी को दूर करेंगे और सामाजिक न्याय के लिए काम करेंगे.
गर्भावस्था का मुद्दा
सरकार के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल सर्दियों में बेघर महिलाओं में तीन प्रतिशत गर्भवती थीं. ड्रग्स लेने वाली बहुत सी बेघर महिलाएं स्वास्थ्य केंद्रों पर नहीं जाती हैं क्योंकि उन्हें अपने खिलाफ कार्रवाई होने का डर रहता है. रिपोर्टों के मुताबिक कुछ महिलाएं तो अपने बच्चे बेच भी देती हैं.
नसबंदी नहीं समाधान
तेहरान शहर प्रशासन की एक सदस्य मासूमेह अबाद ने हाल में कहा था कि इन हालात में बेचे जाने वाले बच्चों की संख्या बहुत कम है. इसलिए नसबंदी से ईरान में बेघर लोगों की समस्या हल नहीं होगी.
बेघर लोगों के लिए
ईरान में गैर सरकारी संगठन दशकों से बेघर लोगों के लिए काम कर रहे हैं. 'तुलु बिनेशान्हा' इन्हीं में से एक है जो 2006 से सक्रिय है. यह संगठन हजारों बेघर ईरानी लोगों को खाना और सामाजिक सेवाएं मुहैया करा रहा है. (रिपोर्ट: कीवानदोख्त गहारी/एके)