कैसे जर्मनी को पछाड़ यूरोप का पावरहाउस बन रहा है इटली
४ अप्रैल २०२४कोरोना महामारी से पहले इटली सरकार हर साल घटते आर्थिक विकास और कमजोर कर्ज रैंकिंग के आंकड़े सामने रखती थी. लेकिन इस वक्त इटली यूरोपीय अर्थव्यवस्था का इंजन बनता दिख रहा है. आखिरी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था 0.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ी. इसी दौरान यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में विकास दर माइनस 0.3 फीसदी की दर से नीचे गिरी रही. इस मूलभूत आंकड़े के अलावा भी ऐसी कई संख्याएं हैं, जो इटली की अर्थव्यवस्था के दमकते रूप को सामने रख रही हैं.
जर्मनी के कॉमर्सबैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट योर्ग क्रैमर कहते हैं, "2019 से अब तक इटली की अर्थव्यवस्था 3.8 फीसदी बढ़ी है." यह रफ्तार "फ्रांसिसी अर्थव्यवस्था के मुकाबले दोगुनी और जर्मनी के मुकाबले पांच गुनी है." जर्मनी में हालात खासे दुश्वार लग रहे हैं. ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) का अनुमान है कि इस साल जर्मनी की विकास दर प्लस 0.3 फीसदी रहेगी. जर्मनी के बड़े एक्सपर्ट तो इसे 0.1 फीसदी बता रहे हैं. वहीं, ओईसीडी ने 2024 के लिए इटली की विकास दर 0.7 फीसदी आंकी है.
आशा भरे इस माहौल का असर इटली के शेयर बाजार में भी नजर आ रहा है. देश का FTSE MIB बेंचमार्क इंडेक्स, 40 कंपनियों से मिलकर बना है. बीते साल इसमें 28 फीसदी का उछाल देखा गया. इतनी तेजी यूरोप के और किसी शेयर बाजार में नहीं थी. अनुमान है कि इटैलियन शेयर बाजार का मूड इस साल भी खुशनुमा बना रहेगा.
भरोसा जुटाने में सफल होती इटली की सरकार
इटली में बीते एक दशक से राजनीतिक उठा-पटक लगी हुई थी. सरकारों का बनना-बिगड़ना और प्रधानमंत्रियों का आना-जाना, आम बात हो चुकी थी. लेकिन अक्टूबर 2022 में जॉर्जिया मेलोनी के पीएम बनने के बाद राजनीतिक अस्थिरता पर ब्रेक लगा है. हालांकि, शुरुआत में मेलोनी और उनकी दक्षिणपंथी पार्टी ब्रदर्स को लेकर कई चिताएं जताई जा रही थी. चुनाव अभियान के दौरान मेलोनी 'मेड इन इटली' का नारा दे रही थीं. वह और उनकी पार्टी आप्रवासियों के खिलाफ अभियान चला रही थी और यूक्रेन युद्ध के बावजूद पार्टी रूस से खुद को साफ तौर पर दूर नहीं कर पा रही थी.
चुनाव के बाद जर्मनी की साप्ताहिक पत्रिका स्टेर्न ने मेलोनी को "यूरोप की सबसे खतरनाक महिला" करार दिया. लेकिन आर्थिक नीतियों के लिहाज से देखें, तो मेलोनी अपने पूर्ववर्ती पीएम मारियो द्रागी के नक्शेकदम पर ही चल रही हैं. यह रास्ता इटली को आर्थिक सफलता दिला रहा है, इसकी गवाही बॉन्ड बाजार भी दे रहा है. जिस ब्याज पर देश को कर्ज मिलता है, वह मेलोनी के कार्यकाल से पहले की दर पर पहुंच चुका है.
इस साल की शुरुआत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मेलोनी ने इस आर्थिक चमक का श्रेय लेने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि अतीत की राजनीतिक अस्थिरता ने अर्थव्यवस्था को जकड़ा था. उनके नेतृत्व में इटली को राजनीतिक स्थिरता मिली है.
लेकिन इस विकास में मेलोनी की भागीदारी कितनी है? कॉमर्सबैंक के क्रैमर कहते हैं, "बहुत ज्यादा नहीं. इस मजबूत आर्थिक विकास को इटली की लचीली वित्तीय नीतियों से समझाया जा सकता है." इसका अर्थ है कि इटली का यह विकास नए कर्ज पर टिका है. कोविड-19 से पहले इटली पर जीडीपी का 1.5 फीसदी नया कर्ज था. 2023 की पहली छमाही में यह 8.3 परसेंट हो गया. देश पर चढ़ा कुल कर्ज भी बढ़ता जा रहा है. जनवरी में ईयू कमीशन ने अनुमान लगाया कि इटली पर जीडीपी का 140 फीसदी कर्ज चढ़ सकता है और यह वृद्धि 2025 में भी जारी रहेगी. कर्ज का यह अनुपात जर्मनी के मामले में 66 प्रतिशत और फ्रांस के मामले में 100 फीसदी है.
कंस्ट्रक्शन में भारी सब्सिडी का असर
अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए इटली की सरकार साल 2020 के अंत से घरों के रेनोवेशन के कई प्रोजेक्टों में आर्थिक मदद दे रही है. कुछ मामलों में यह सब्सिडी 50 फीसदी है और विशेष मामलों में इससे भी ज्यादा. ऊर्जा बचाने वाले पुर्ननिर्माण के मामलों में "सुपरबोनस 110" नाम की एक स्कीम सबसे ज्यादा लोकप्रिय है.
इस योजना के तहत अपने घर या अपार्टमेंट को ऊर्जा के लिहाज से ज्यादा किफायती बनाने वालों को पूरा खर्चा वापस मिलेगा और टैक्स रियायत स्कीम के तहत अतिरिक्त 10 फीसदी रिफंड भी दिया जाएगा. क्रैमर कहते हैं, "आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कंस्ट्रक्शन में निवेश आकाश चूम रहा है." जर्मन अर्थशास्त्री के मुताबिक, मजबूत विकास में इसकी हिस्सेदारी दो-तिहाई है.
यूरोपीय संघ से मिलता पैसा
हकीकत तो यह है कि धुर-दक्षिणपंथी पार्टी की सरकार ने वामपंथी फाइव स्टार अभियान की सुपरबोनस स्कीम को धीमा कर दिया है. 2023 में अधिकतम 70 फीसदी खर्च कवर किया गया, इस साल के लिए यह सीमा 65 फीसदी है.
इस अभियान का नकारात्मक पहलू यह है कि अगले कुछ बरसों में सरकार को टैक्स के जरिए बहुत कम राजस्व मिलेगा. रोम को उम्मीद है कि इस कटौती की भरपाई यूरोपीय संघ से मिलने वाले अरबों यूरो के पैकेजों से जाएगी. इटली, ईयू के कोविड रिकवरी फंड का सबसे बड़ा लाभार्थी है. 2026 तक इटली को करीब 200 अरब यूरो सब्सिडी और कर्ज के तौर पर मिलनी है. क्रैमर के मुताबिक, "इस दौरान इटली की सरकार को बहुत ही ज्यादा बजट घाटे को कम करना चाहिए." ऐसे सुधार न करने पर आर्थिक विकास का इतालवी गुब्बारा फूट सकता है.