आईएस खुद अपनी फैक्ट्रियों में बना रहा है हथियार
१६ दिसम्बर २०१६कॉन्फ्लिक्ट आर्मामेंट रिसर्च (सीएआर) मोसुल में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ शुरू की जाने वाली कार्रवाई में इराकी सेना के साथ था. इस दौरान सीएआर के विशेषज्ञों को हथियारों की ऐसी छह फैक्ट्रियों का मुआयना करने का मौका मिला, जिन्हें इस्लामिक स्टेट चलाया करता था. इसके अलावा इन विशेषज्ञों ने मैदान ए जंग से भागने वाले आईएस लड़ाकों के छोड़े गए हथियारों की भी पड़ताल की है. इस दौरान सामने आने वाले तथ्यों पर सीएआर ने एक रिपोर्ट जारी की है.
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इस सिलसिले में सीएआर के निदेशक जेम्स बेवन ने डीडब्लूय को बताया कि आईएस अपने बनाए हथियारों को पारंपरिक तरीके से इस्तेमाल करता है. आईएस के ज्यादातर कमांडर इराकी सेना के पूर्व कमांडर हैं या वे खुफिया एजेंसियों में काम कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि आईएस के तैयार हुए मोर्टार गोले संगठन के तोपखाने की जरूरतों को पूरा कर देते हैं और इन्हें बड़ी संख्या में इस्तेमाल भी किया जाता है.
सीएआर के निदेशक का कहना है कि आईएस अपनी जरूरत के मुताबिक इन फैक्ट्रियों में हथियार तैयार करता था और इनकी गुणवत्ता अच्छी खासी होती है. रमादी, फलूजा और तिकरित के मुकाबले मोसुल में हथियारों की फैक्ट्री उत्पादन के लिहाज से बहुत बड़ी है. इसकी एक वजह यह भी है कि मोसुल इस्लामिक स्टेट का आर्थिक केंद्र रहा है.
सीएआर की रिपोर्ट के मुताबिक आईएस के पास पर्याप्त संसाधन हैं जिनके जरिए वह रासायनिक हथियारों में इस्तेमाल होने वाली सामग्री भारी मात्रा में हासिल कर सकता है. जेम्स बेवन का कहना है कि बुनियादी तौर पर हथियारों में इस्तेमाल होने वाली सामग्री उसे तुर्की से मिलती है.
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लेकिन यह कैसे मुमकिन है कि एक लंबे समय तक यह नेटवर्क खुफिया एजेंसियों की आंखों में धूल झोंकता रहा? इस सवाल के जवाब में जेम्स बेवन कहते हैं, "तुर्की की सरकार को इसके बारे में जानकारी है और वह पोटेशियम नाइट्रेट जैसे पदार्थों की बिक्री की व्यवस्था पर शिकंजा कसने में लगी है, जो खेती-बाड़ी में भी काम आता है. लेकिन यह हकीकत है कि आईएस के पास दक्षिणी तुर्की में इस सामग्री को हासिल करने के स्रोत हैं. इसकी एक वजह यह भी है कि आईएस के नियंत्रण वाले इलाके की दक्षिणी तुर्की से मिलने वाली सीमाओं पर निगरानी न के बराबर है.”
मथियास फॉन हाइन/एके