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अमीर देश जापान में गरीब बच्चे

जूलियान रायल, टोक्यो से
२३ दिसम्बर २०१६

जापान में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले युवाओं की लगातार बढ़ती तादाद चिंता का सबब बन रही है. गैर सरकारी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस समस्या से निपटने के लिए सरकार को ज्यादा कदम उठाने होंगे.

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Japan Klassenzimmer in Tokio
तस्वीर: Reuters/T. Hanai

जापान को दुनिया के सबसे अमीर देशों में गिना जाता है. इसलिए जब भी बात गरीबी की होती है तो आम तौर पर उसका जिक्र नहीं आता. लेकिन वहां भी गरीबी की समस्या है और बहुत से बच्चों को इसके दुष्परिणाम झेलने पड़ रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र की बाल संस्था यूनिसेफ ने अप्रैल में एक रिपोर्ट जारी की, जिससे जापान में बच्चों की गरीबी को लेकर एक गंभीर तस्वीर सामने आती है. रिपोर्ट कहती है कि जापान में सबसे गरीब परिवारों के बच्चों के लिए हालात अन्य किसी औद्योगिक देश के मुकाबले कहीं ज्यादा मुश्किल हैं. इस अध्ययन में सबसे गरीब परिवारों और मध्य वर्गीय परिवारों के बच्चों के बीच मौजूद अंतर को लेकर 41 देशों में सर्वे किया गया. इनमें असमानता के मामले में जापान आठवें नंबर पर था. जापान में हर छह बच्चों में से एक गरीब है.

देखिए कहां के बच्चे सबसे होशियार हैं

आर्थिक रूप से कमजोर ओकिनावा प्रीफेक्चर जैसे कुछ इलाकों में तो हालात खास तौर से खराब हैं. 2016 के शुरुआत में प्रीफेक्चर के अधिकारियों ने आंकड़े जारी किए जिनके मुताबिक 30 प्रतिशत बच्चे गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं. यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से 80 फीसदी ज्यादा है. सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. बाल गरीबी से निपटने के लिए 2014 में एक कानून लागू किया गया था और प्रधानमंत्री शिंजो आबे कई अवसरों पर कह चुके हैं कि वह इस समस्या से निपटने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

लेकिन गैर सरकारी संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि अभी तक सरकार की तरफ से जो भी कदम उठाए गए हैं वे पर्याप्त नहीं हैं क्योंकि बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा है. जापान एसोसिएशन ऑफ चाइल्ड पॉवरटी एंड एजुकेशन सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष यासुशी ओतो का कहना है, "आज जो गरीबी दर हम देख रहे हैं उससे पता चलता है कि जापान में पिछले 25 साल के दौरान बच्चों की जिंदगी कितनी मुश्किल हो गई है.”

उन्होंने डीडब्ल्यू के साथ बातचीत में कहा, "जापान का आर्थिक बुलबुला फूटने के बाद से ही गरीबी की दर बढ़ने के पीछे दो मुख्य कारण हैं. एक है शिक्षा और दूसरा बेरोजगारी.” ओतो के संगठन का अनुमान है कि जापान में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 17 साल से कम उम्र के लोगों की संख्या 35 लाख है. ये उन परिवारों के बच्चे हैं जिनकी सालाना आय 30 लाख येन यानी 25.5 हजार डॉलर से कम है.

बच्चों के हाथों में कलम नहीं, बंदूकें हैं

सरकार के आंकड़ों के अनुसार परिवार सिर्फ दो लाख बच्चों के लिए ही सरकार की तरफ से मिलने वाली कल्याण राशि हासिल कर रहे हैं. गैर सरकारी संगठन इतनी कम राशि लेने के कारणों को जटिल बताते हैं. सबसे बड़ी वजह यह है कि जापानी समाज में इस तरह रकम लेने को अच्छा नहीं माना जाता है. समझा जाता है कि बिना कुछ किए बैठे बैठे पैसा लेना ठीक नहीं है.

शिक्षा पर आने वाला खर्च भी हाल के सालों में बढ़ा है. इसका मतलब है कि गरीब परिवारों के बच्चों के पढ़ने की संभावनाएं कम हो रही हैं. हजारों बच्चे घर की आर्थिक तंगियों के कारण अपनी स्कूली शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाते. ओतो के मुताबिक ऐसे बच्चों के लिए खुद को गरीबी से निकालना मुश्किल होता है.

ओतो को सरकार पर बहुत कम भरोसा है. वह कहते हैं, "सच कहूं तो मुझे नहीं लगता कि बच्चों से जुड़ी नीति में आबे को कोई खास दिलचस्पी है. अभी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जो इन लोगों की मदद कर सके. हमारा संगठन इसके लिए प्रयास कर रहा है.”

एक गैर सरकारी संगठन तोशिमा कोदोमो वाकुवाकु की मुख्य निदेशक चिएको कुरीबायांशी कहती हैं, "मुझे लगता है कि सरकार को और कदम उठाने चाहिए. गरीबी को दूर करने के लिए उसकी मौजूदा नीतियां प्रभावी नहीं हैं. देश भर के लोगों को अब पता चल रहा है कि हां, ये समस्या है. इसलिए हम मिलकर इससे निपटने के प्रयास कर सकते हैं.”

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