कराची के चिड़ियाघर पर गंभीर आरोप
६ अप्रैल २०२३पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है. विदेशी कर्ज 115 अरब डॉलर से ज्यादा हो चुका है. महंगाई आसमान छू रही है और राहत के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. इस तंगी की मार सिर्फ इंसानों पर ही नहीं पड़ रही है.
पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची के चिड़ियाघर में भोजन की किल्लत महसूस की जा रही है. इससे जुड़ी रिपोर्टें सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं के बीच बहस में हो रही है.
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अंतरराष्ट्रीय पशु कल्याण संगठन, फोर पॉज की एक टीम पाकिस्तान में है. वह कराची जू में मधु और नूर जहां नाम की दो हथनियों की जांच कर रही है. स्थानीय अंग्रेजी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने पिछले हफ्ते अपनी रिपोर्ट में कहा कि चिड़ियाघर के जानवर कुपोषण का शिकार हैं. रिपोर्ट में पाकिस्तान में पशुओं की खराब हालत का जिक्र करते हुए अंत में लिखा था कि, "यह अस्वीकार्य है और इस पर फौरन ध्यान देना चाहिए."
चिड़ियाघर में संसाधनों की कमी
जब भारतीय उपमहाद्वीप, ब्रिटिश शासन के अधीन था, तब कराची में 43 एकड़ में फैला एक चिड़ियाघर बनाया गया. जू के 117 अलग अलग बाड़ों में फिलहाल 750 पशु पक्षी हैं. एनिमल रेक्स्यूअर टीपू शरीफ काम के सिलसिले में कई बार कराची जू जा चुके हैं. वे पशु पक्षियों के आवास के रूप में जू को "अंसतोषजनक" बताते हैं.
डीडब्ल्यू को पशु पक्षियों की मौजूदा स्थिति के बारे में बताते हुए शरीफ ने कहा, "वे कुपोषित है. मैनेजमेंट के पास उनका पेट भरने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं और जो खाना पशुओं को दिया जा रहा है, वह भी उम्दा क्वालिटी का नहीं है. वहां जिस तरह के जानवर हैं, उनके लिए पर्याप्त जगह भी नहीं है."
जैन मुस्तफा, प्रोटेक्शन ऑफ एनिमल राइट्स सोसाइटी के प्रेसीडेंट हैं. उनके मुताबिक यह कोई पहला मौका नहीं है जब जू प्रशासन को खाने की सप्लाई जुटाने में दिक्कत हो रही है. जैन कहते हैं, "पहले भी ऐसे हालात पैदा हो चुके हैं. जू का स्टाफ और वहां के कीपर बहुत अच्छे लोग हैं, लेकिन उनके पास संसाधन नहीं है और इसी से दिक्कत पैदा हो रही है."
खाली पड़े हैं स्टाफ के कई पद
कराची मेट्रोपॉलिटन कॉरपोरेशन (केएमसी) के वरिष्ठ अधिकारी महमूद बेग नहीं मानते कि चिड़ियाघर में जानवर भूखे हैं. हालांकि वह यह जरूरी स्वीकार करते हैं कि केएमसी बहुत बुरे वित्तीय संकट का सामना कर रहा है. फंड रिलीज नहीं हो पा रहा है. बेग कहते हैं, "प्रशासन पर 3 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान बकाया है और एनिमल फूड सप्लाई करने वाले भोजन की आपूर्ति बंद करने की धमकी दे रहे हैं."
बेग ने बताया कि केएमसी पर 10 अरब पाकिस्तानी रुपये की देनदारी भी है. सिंध सरकार से पैसा रिलीज ना होने और आय में कमी, इसके लिए जिम्मेदार है.
पैसे के साथ ही जू, स्टाफ की कमी भी झेल रहा है. चिड़ियाघर के एक कर्मचारी ने डीडब्ल्यू को बताया कि पशुओं को भोजन कराने, उनकी देखभाल करने और बाड़े साफ करने के लिए सिर्फ 14 कर्मचारी हैं. नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर इस कर्मचारी ने कहा, "जू ने 1997 से अतिरिक्त कर्मचारियों की भर्ती नहीं की है क्योंकि इस तरह की नियुक्त पर सिंध सरकार ने प्रतिबंध लगाया है."
कर्मचारी के मुताबिक कराची जू में कई साल से 93 पद खाली पड़े हैं. इनमें कीपर्स के 20, सिक्योरिटी गार्ड के 33, फाइनेंसरों के 37 और सफाई कर्मचारियों के चार पद हैं.
महानगर खुद वित्तीय संकट में
फैसल ईदी, ईदी फाउंडेशन की सोशल सर्विस के हेड हैं. उनके मुताबिक केएमसी की आर्थिक तंगी, चिड़ियाघर को भी अपनी चपेट में ले चुकी है. चिड़ियाघर, केएमसी के अधिकार क्षेत्र में आता है.
ईदी के मुताबिक, प्रशासन चाहे तो गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर इस समस्या का हल खोज सकता है, लेकिन फिलहाल वह इसमें दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. फैसल ईदी कहते हैं, "अतीत में हम हर दिन 15 से 20 किलोग्राम की दो बकरियां सप्लाई करते थे. लेकिन फिर किसी ने मीडिया को बता दिया कि ईदी फाउंडेशन शेरों को खिलाने के लिए चिड़ियाघर को बकरियां दे रहा है, तब से उन्होंने हमसे भोजन लेना बंद कर दिया, जो कि मुफ्त था."
ईदी कहते हैं कि शिपब्रेकिंग इंडस्ट्री भी हर साल कई टन मीट डंप करती है, "यह फ्रोजन मीट होता है और जानवरों की सेहत के लिए खराब नहीं है. जू भोजन जुटाने के लिए उनसे भी संपर्क कर सकता है."
प्रोटेक्शन ऑफ एनिमल राइट्स सोसाइटी के मुस्तफा मानते है कि अगर चिड़ियाघर का बजट बढ़ा दिया जाए तो कई परेशानी अपने आप हल हो जाएंगी. पशुओं को बचाने का काम करने वाले एनिमल रेस्क्यूअर शरीफ को लगता है कि चिड़ियाघरों को ही खत्म कर देना चाहिए क्योंकि वे पशुओं का प्राकृतिक आवास नहीं हैं.
इस बहस के बीच प्रशासन ने कराची चिड़ियाघर में कुपोषण की रिपोर्टों को खारिज किया है. प्रांत के मंत्री सैयद नसीर हुसैन शाह और जू डायरेक्टर खालिद हाशिमी के मुताबिक जानवर के लिए भोजन कम नहीं पड़ रहा है. हाशिमी ने डीडब्ल्यू से कहा कि भोजन की कमी या कुपोषण की रिपोर्टें "झूठा प्रोपेगंडा" हैं.
रिपोर्ट: एस खान (कराची)