भारत का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "कू" क्यों बंद हो गया
३ जुलाई २०२४भारत में ही बनाया गया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "कू" अब बंद होने जा रहा है. कू ने मेड इन इंडिया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनने की चाहत के साथ साल 2020 में अपनी शुरूआत की थी. उसकी आकांक्षा एक वैश्विक ब्रांड बनने की थी.
भारतीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कू के सह-संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण ने 3 जुलाई को लिंक्डइन पोस्ट में इसके बंद होने की घोषणा की. कू को कभी एक्स (पूर्व में ट्विटर) का प्रतिद्वंद्वी माना जाता था. इसे अमेरिकी निवेश कंपनी टाइगर ग्लोबल से फंडिंग भी मिली थी.
क्यों बंद हो रहा है कू
साल 2021 में कू पर कई केंद्रीय मंत्रियों ने अपना अकाउंट बनाया था और कई राज्य सरकारें और अन्य विभाग भी इस वेबसाइट की ओर आकर्षित हुए थे. करीब चार साल के संघर्ष के बाद आखिर कू को बंद करने का फैसला लिया गया. इससे पहले खबर आई थी कि कू को डेलीहंट अधिग्रहण करने वाला है लेकिन शायद बात नहीं बनी.
कू के सह-संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिड़वाटका ने लिंक्डइन पोस्ट में कहा है, "हमने कई बड़ी इंटरनेट कंपनियों, समूहों और मीडिया घरानों के साथ साझेदारी की संभावना तलाश की, लेकिन इन बातचीत से वह नतीजा नहीं निकला जो हम चाहते थे. उनमें से अधिकांश यूजर्स द्वारा तैयार की गई सामग्री और सोशल मीडिया कंपनी की जंगली प्रकृति से निपटना नहीं चाहते थे."
उन्होंने कहा, "उनमें से कुछ ने हस्ताक्षर करने के करीब ही प्राथमिकता बदल दी. हालांकि, हम ऐप को चालू रखना चाहते थे, लेकिन सोशल मीडिया ऐप को चालू रखने के लिए तकनीकी सेवाओं की लागत बहुत अधिक है."
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कंपनी का मुश्किल दौर
रिपोर्टों के मुताबिक कू में मुश्किल समय सितंबर 2022 में शुरू हुआ जब कंपनी ने पहली बार करीब 40 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला. फरवरी 2023 में सह-संस्थापक बिड़वाटका ने कर्मचारियों को चेतावनी दी कि और छंटनी होने वाली है. इसके तुरंत बाद उसी साल अप्रैल में कंपनी ने अपने कर्मचारियों में से 30 प्रतिशत की छंटनी कर दी.
2023 के अप्रैल में कू के मंथली एक्टिव यूजर्स (एमएयू) घटकर 31 लाख हो गए, जो उस साल गिरावट का लगातार तीसरा महीना था. इससे पहले जनवरी 2023 में कू के एमएयू लगभग 41 लाख थे, जो फरवरी में 35 लाख के करीब गिर गए और मार्च में फिर लगभग 32 लाख तक गिर गए.
जब ट्विटर और भारत सरकार के बीच रिश्ते बिगड़े थे तब कू के मंथली एक्टिव यूजर्स की संख्या 94 लाख के पार चली गई थी.
2020 में अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिड़वाटका द्वारा स्थापित यह 10 से अधिक भाषाओं में उपलब्ध पहली भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग साइट थी. ऐप का लोगो एक पीले रंग का पक्षी था और लॉन्च होने के बाद से इसे लगभग छह करोड़ बार डाउनलोड किया गया.
संस्थापकों ने दावा किया कि कू के पास लगभग 21 लाख दैनिक सक्रिय यूजर्स और लगभग एक करोड़ मासिक सक्रिय यूजर्स थे. उन्होंने यह भी दावा किया कि प्लेटफॉर्म पर विभिन्न क्षेत्रों की कुछ सबसे प्रतिष्ठित हस्तियों समेत 9,000 से अधिक वीआईपी हैं.
कू का सपना अधूरा रह गया
कू का अंतिम मूल्यांकन 27.4 करोड़ डॉलर था, जब इसने थ्री वन फोर कैपिटल समेत निवेशकों से 6.6 करोड़ डॉलर से अधिक जुटाए थे. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक 2023 से ही कू नई पूंजी जुटाने के लिए संघर्ष कर रहा था, जिसके बाद इसने कई प्लेटफॉर्म के साथ विलय की संभावना तलाशी, लेकिन कोई भी बातचीत सफल नहीं हुई.
लिंक्डइन पोस्ट में संस्थापकों ने कहा, "सोशल मीडिया संभवतः सबसे कठिन कंपनियों में से एक है, भले ही सभी संसाधन उपलब्ध हों, क्योंकि मुनाफे के बारे में सोचने से पहले आपको यूजर्स की संख्या महत्वपूर्ण पैमाने पर बढ़ाने की जरूरत होती है. इस सपने को साकार करने के लिए हमें पांच से छह साल की आक्रामक, दीर्घकालिक और धैर्यवान पूंजी की आवश्यकता थी."
उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से बाजार का मूड और फंडिंग में नरमी ने हम पर भारी असर डाला. कू आसानी के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल सकता था और भारत को एक वैश्विक ब्रांड दे सकता था जो वास्तव में भारत में बना था. यह सपना हमेशा बना रहेगा."