दो धुरंधरों के पास ख्वाब जीने का आखिरी मौका
हर महान खिलाड़ी, अपने प्यारे खेल को अलविदा कहने से पहले कुछ सबसे बड़े खिताब जीतना चाहता है. क्या वर्ल्ड कप की गोल्डन ट्रॉफी पर मौजूदा दौर के बड़े फुटबॉलर का नाम दर्ज हो सकेगा?
लियोनेल मेसी
कई समीक्षक बहस को न्योता देते हुए ये दावा कर ही देते हैं कि फुटबॉल के इतिहास में लियोनेल मेसी सबसे बड़ा नाम हैं. उनके जैसा जादुई खिलाड़ी इस खेल ने पहले कभी नहीं देखा. प्रतिभा के मामले में उन्हें ब्राजील के पेले और अर्जेंटीना के माराडोना से भी आगे आंका जाता है. हालांकि 35 साल के मेसी का नाम सुनहरे अक्षरों में अभी तक वर्ल्ड कप की ट्रॉफी में दर्ज नहीं हो सका है.
मेसी का पांचवां वर्ल्ड कप
2006 में पहली बार लियोनेल मेसी ने अर्जेटीना की जर्सी पहनकर अपना पहला वर्ल्ड कप खेला. फिर 2010 का विश्व कप खेला. 2014 के फाइनल में जर्मनी ने 1-0 से हराकर मेसी और अर्जेंटीना का ख्वाब तोड़ दिया. 2018 में तो टीम क्वार्टर फाइनल तक भी नहीं पहुंच सकी. अब कतर में मेसी के पास अर्जेंटीना के लिए वर्ल्ड कप जीतने का आखिरी मौका है.
कतर आखिरी मौका क्यों
फुटबॉल में मजबूत कद काठी भी अहम भूमिका निभाती है. हालांकि 5 फुट 5 इंच की ऊंचाई और दुबली पतली काया वाले मेसी ने अपनी चपलता से सैकड़ों बार अकेले दूसरी टीमों को छकाया और हराया है. अहम मौकों पर गोल करने के बाद मेसी अपनी दोनों बाहें ऊपर कर आकाश को आभार जताती नजरों से निहारने लगते हैं. मेसी के मुताबिक बहुत मुमकिन है कि यह उनका आखिरी वर्ल्ड कप हो. अगले वर्ल्ड कप तक वह 39 साल के हो जाएंगे.
मसीहा के लिए मन्नत
2026 का वर्ल्ड कप तक मेसी 39 साल के हो चुके होंगे. गोलकीपिंग या डिफेंस करने वाले कुछ जिद्दी खिलाड़ियों को छोड़ दें तो 39 साल की उम्र अटैक करने वाले खिलाड़ी के लिए बहुत ज्यादा मानी जाती है. मेसी में ऐसी जिद के बजाय शालीनता और शर्मीलापन है. अलग अलग टीमों का सपोर्ट करने वाले कई फुटबॉलप्रेमी भी ये स्वीकार करते हैं कि वर्ल्ड कप की ट्रॉफी पर लियोनेल मेसी जैसे महान खिलाड़ी का नाम होना ही चाहिए.
क्रिस्टियानो रोनाल्डो
बीते दो दशकों में फुटबॉल जगत ने एक महान प्रतिस्पर्धा भी देखी है. ये प्रतिस्पर्धा थी प्रतिभाशाली मेसी और मेहनती रोनाल्डो के बीच. इनमें से बड़ा खिलाड़ी कौन है, इस पर कभी भी अंतहीन और बेनतीजा बहस की जा सकती है. अब पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो भी करियर के आखिरी पड़ाव पर हैं. गोलों और कई खिताबों की झड़ी लगा देने वाले रोनाल्डो और उनका देश पुर्तगाल आज तक एक भी वर्ल्ड कप ट्रॉफी नहीं चूम सके हैं.
CR7 का आखिरी वर्ल्ड कप
2006 में क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने पुर्तगाल के लिए पहला वर्ल्ड कप खेला. तब टीम सेमीफाइल से आगे नहीं जा सकी. उसके बाद रोनाल्डो ने तीन और वर्ल्ड कप खेले लेकिन हर बार टीम ग्रुप स्टेज को पार नहीं कर पाई. अब रोनाल्डो 37 साल के हैं. डेढ़ दशक तक अपनी प्रतिभा और बेजोड़ फिटनेस के दम पर पूरे 90 मिनट खेलने वाले रोनाल्डो को अब काफी देर तक बेंच भी बैठा दिया जाता है.
गुर्राते रोनाल्डो के लिए परफेक्ट मौका
हाल ही में अपने क्लब मैनचेस्टर यूनाइटेड की कड़ी आलोचना करने वाले रोनाल्डो इस वक्त कई आलोचकों को निशाने पर हैं, जो उन्हें स्वार्थी, जलनखोर और घमंडी बता रहे हैं. रोनाल्डो ऐसे शोर का जवाब अपने गोलों से देते आए हैं. अहम मैचों में भारी दबाव के बीच रोनाल्डो अकेले बिजली की तरह कड़कते प्रदर्शन करने के आदी है. इस लिहाज से देखें तो कतर में उनके पास कई आलोचकों पर मैदान से ही गुर्राने का मौका है.
नई बोतल में पुरानी शराब
रोनाल्डो की कप्तानी में पुर्तगाल ने 2016 में यूरोपीय देशों के बीच होने वाला सबसे बड़ा मुकाबला यूरो चैपियनशिप जीता. टीम के ज्यादातर खिलाड़ी उस जीत में शामिल रहे हैं. लेकिन सिर्फ ओल्ड फैशन वाले रक्षात्मक खेल के भरोसे पुर्तगाल की नैया पार लगना आसान नहीं है.
टीम कितना साथ देगी
फुटबॉल टीम स्पोर्ट्स है और इसमें अकेला खिलाड़ी टीम को बहुत दूर तक नहीं खींच सकता है. मेसी और रोनाल्डो के बीते वर्ल्ड कप इस बात के गवाह हैं. दोनों, साथी खिलाड़ियों के पास पर बहुत हद तक निर्भर रहते हैं, ऐसे में विपक्षी टीम के गोलपोस्ट के पास इन दोनों की जितनी ज्यादा बॉल मिलेगी, वर्ल्ड कप जीतने की ख्वाहिशें उतनी मजबूत होती जाएंगी.