ट्रंप के दूसरे कार्यकाल को लेकर जर्मनी में चिंताएं
२० जनवरी २०२५डॉनल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ठीक पहले लीक हुए अमेरिका में जर्मनी के राजदूत के एक गोपनीय कूटनीतिक संदेश ने जाहिर कर दिया है कि ट्रंप को लेकर जर्मनी में कितनी बेचैनी है. जर्मनी के नेतृत्व को ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से कई तरह की चिंताएं हैं, खासकर नाटो, व्यापार, जलवायु परिवर्तन और यूरोप की सुरक्षा को लेकर. जर्मनी, जो यूरोपीय संघ और नाटो का अहम सदस्य है, ट्रंप के दूसरे कार्यकाल से जुड़ी अनिश्चितताओं का सामना करने के लिए तैयार हो रहा है.
हाल ही में जर्मनी के अमेरिकी दूत, आंद्रेयास मिषाएलिस का एक गोपनीय केबल लीक हुआ, जिसमें उन्होंने ट्रंप की "प्रतिशोध की योजनाओं" का जिक्र किया. मिषाएलिस ने लिखा कि ट्रंप राष्ट्रपति पद को अधिक से अधिक शक्तिशाली बनाना चाहते हैं, जिससे अमेरिकी लोकतंत्र कमजोर हो सकता है. यह केबल जर्मनी के प्रमुख अखबार बिल्ड में प्रकाशित हुआ.
जर्मनी की विदेश मंत्री, अनालेना बेयरबॉक से जब इस लीक के बारे में सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इसे स्वीकार किया और कहा, "दूतावास रिपोर्ट लिखते हैं, यह उनका काम है... और अमेरिकी राष्ट्रपति ने पहले ही घोषणा की है कि वह क्या करने जा रहे हैं, और हमें इसके लिए तैयारी करनी होगी." जर्मनी की सरकार ट्रंप के दूसरे कार्यकाल को लेकर परेशान है और उसे लेकर रणनीति तैयार कर रही है.
चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने ट्रंप के कार्यकाल की शुरुआत से पहले कहा कि यूरोप को वैश्विक मामलों में अपनी स्वतंत्रता बनाए रखनी होगी. शॉल्त्स ने कहा कि नाटो और अमेरिका जर्मनी के महत्वपूर्ण साझीदार बने रहेंगे, लेकिन यूरोप को केवल अमेरिकी रक्षा गारंटी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए.
उन्होंने कहा, "यूरोप को एकजुट और मजबूत रहना होगा, खासकर जब वैश्विक स्थिति अनिश्चित हो."
व्यापार और पर्यावरण पर चिंताएं
व्यापार के मामले में जर्मनी को ट्रंप के "अमेरिका फर्स्ट" नीति से चिंता है. ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में यूरोपीय उत्पादों पर शुल्क लगाए थे, खासकर जर्मन स्टील और एल्युमीनियम पर. अब फिर से व्यापार विवादों का खतरा है. विदेश मंत्री बेयरबॉक ने कहा, "जर्मनी मुक्त व्यापार और खुले बाजारों के लिए प्रतिबद्ध है. हमें जहां भी संरक्षणवादी रुझान देखने को मिलेंगे, उनके खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे, लेकिन हमें ट्रंप के कारण व्यापार संबंधों में फिर से तनाव का सामना करना पड़ सकता है."
जलवायु परिवर्तन को लेकर भी जर्मनी चिंतित है. ट्रंप ने पहले अपने पहले कार्यकाल में पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को बाहर कर लिया था, जो जर्मनी के लिए एक बड़ा झटका था. बेयरबॉक ने इस पर कहा, "हम जलवायु परिवर्तन से लड़ने के प्रयास जारी रखेंगे, चाहे अमेरिका साथ दे या नहीं, लेकिन ट्रंप के कारण पेरिस समझौते से अमेरिका का बाहर होना वैश्विक जलवायु सहयोग के लिए एक बड़ा नुकसान था."
सुरक्षा के मामले में जर्मनी को ट्रंप की विदेश नीति पर भी चिंता है. पहले कार्यकाल में ट्रंप ने रूस के साथ रिश्ते मजबूत करने की कोशिश की और उत्तर कोरिया के साथ बातचीत की, जो जर्मनी के लिए चिंताजनक था. अब ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर ये सब फिर से हो सकता है. जर्मनी को डर है कि ट्रंप रूस पर से प्रतिबंध हटा सकते हैं, जो यूक्रेन में चल रहे युद्ध के लिए खतरनाक हो सकता है.
जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने इस बारे में कहा, "हम अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक अहम मोड़ पर हैं. यूरोप को अमेरिका के साथ अपने रिश्ते बनाए रखते हुए, ट्रंप के वैश्विक सहयोग से जुड़े रुखों से निपटना होगा."
तैयारी कर रहा है जर्मनी
इसी तरह, जर्मनी को ट्रंप की सख्त आप्रवासन नीतियों को लेकर भी चिंता है. ट्रंप के पहले कार्यकाल में मुस्लिम बहुल देशों के खिलाफ यात्रा प्रतिबंध और सख्त आप्रवासन नीतियों को लेकर जर्मनी ने आलोचना की थी. बेयरबॉक ने कहा, "जर्मनी दुनिया में नियमों और बहुपक्षीय समझौतों पर आधारित व्यवस्था की रक्षा करने के लिए तैयार है." अगर ट्रंप का यह रुख फिर से जारी रहता है, तो यह अमेरिका-जर्मनी संबंधों को और जटिल बना सकता है.
इसके अलावा, जर्मनी को ट्रंप के टेक्नोलॉजी से जुड़े फैसलों पर भी चिंता है. ट्रंप ने टेक कंपनियों के लिए नियमों को आसान किया था, जिसे जर्मनी ने अनैतिक मानते हुए आलोचना की थी. जर्मनी की सरकार को डर है कि ट्रंप का यह रवैया तकनीकी सुरक्षा और उपभोक्ता सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है.
जर्मनी ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के लिए तैयार है, लेकिन उसे लेकर कई सवाल और चिंताएं बनी हुई हैं. शॉल्त्स ने कहा, "हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अगर ट्रंप हमारे हितों का उल्लंघन करते हैं, तो हम अपनी रक्षा करें."
वीके/एनआर (रॉयटर्स, डीपीए)