चीन में एलजीबीटीक्यू खिलाड़ी होने का मतलब
२१ जनवरी २०२२ली यिंग 'स्टील रोजेज' टीम में वापस आ गई हैं. चीन की राष्ट्रीय महिला फुटबॉल टीम की पहली नेशनल महिला कोच शुई किंगशिया ने 29 साल की स्ट्राइकर यिंग को भारत में आयोजित हो रहे एएफसी विमेन्स एशियन कप के लिए टीम में शामिल किया है.
पहली नजर में यह कोई बड़ी बात नहीं है. यिंग ने 2018 के टूर्नामेंट में पांच मैचों में सात गोल किए थे और गोल्डन बूट भी जीता था. 2019 में फ्रांस में हुए वर्ल्ड कप में स्टील रोजेज ने जो इकलौता गोल किया था, वह यिंग ने ही किया था. ग्रुप स्टेज के उस मैच में चीन ने दक्षिण अफ्रीका को 1-0 से हराया था.
लेकिन, चीन की राष्ट्रीय टीम के लिए खेले 100 मैचों में 30 गोल करने के बावजूद यिंग को पिछले साल टोक्यो ओलंपिक से पहले टीम से बाहर कर दिया गया था. कयास लगाए गए कि शायद इसके पीछे उनका अपनी पूरी असली पहचान जाहिर करना हो सकता है.
ये भी पढ़िए: LGBTQ की ABCD
असली पहचान के साथ सामने आईं यिंग
ओलिंपिक के उद्घाटन समारोह से कुछ दिनों पहले यिंग ने एक पोस्ट लिखी थी, जो वायरल हो गई थी. इस पोस्ट में यिंग ने चीन के वीबो प्लेटफॉर्म पर इन्फ्लूएंसर चेन लीली के प्रति अपने प्रेम को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था. अपने रिश्ते की पहली सालगिरह पर उन्होंने लिखा था, "तुम मेरी सारी कोमलता की स्रोत हो और यह तुम्हारे लिए है".
इसके बाद चीन के चर्चित फुटबॉल पत्रकार और ब्लॉगर ने लिखा था, "यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि समलैंगिक भी महिला फुटबॉल टीम का हिस्सा हैं, लेकिन ली यिंग अपनी लैंगिकता और अपनी गर्लफ्रेंड को सार्वजनिक रूप से स्वीकारने की हिम्मत दिखाने वाली पहली खिलाड़ी हैं. मैं उनके इस साहस के लिए उन्हें बधाई देता हूं."
लेकिन यिंग को मिली सभी प्रतिक्रियाएं सकारात्मक नहीं थीं. कुछ तो बेहद होमोफोबिक यानी समलैंगिकों के प्रति घृणा और भय से भरी हुई थीं. यिंग के सोशल मीडिया पर उनका मेसेज पोस्ट करने के कुछ ही देर बाद यह गायब हो गया. क्या ऐसा किसी बाहरी दबाव में किया गया था?
'हां, मैं गे हूं'
चीन में जिन महिला और पुरुष खिलाड़ियों ने अपने समलैंगिक होने की बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार की है, उनकी संख्या इतनी कम है कि उन्हें उंगलियों पर गिना जा सकता है. ली यिंग के बाद पिछले साल सितंबर में वॉलीबॉल टीम की स्टार सुन वेनजिंग ने अपना समलैंगिक होना स्वीकार किया. हालांकि, वह दो साल पहले ही अपने खेल जीवन से संन्यास ले चुकी थीं.
2018 में प्रोफेशनल सर्फर शू जिंगसेन चीन के पहले पुरुष खिलाड़ी थे, जिन्होंने गे होना स्वीकार किया था. उन्होंने तब पैरिस में आयोजित होने जा रहे गे गेम्स में हिस्सा लेने की इच्छा जाहिर करते हुए वीबो पर अपनी समलैंगिकता का एलान किया था. शू ने लिखा था, "हां, मैं गे हूं. हमें अपना प्रेम चुनने और प्रेम किए जाने का अधिकार है. लिंग, उम्र और त्वचा का रंग कोई बेड़ियां नहीं हैं." इसके साथ उन्होंने इंद्रधनुषी झंडे के आगे सर्फबोर्ड पर अपनी तस्वीरें साझा की थीं.
इसके बाद शू ने पैरिस में हुए खेलों में शिरकत की थी. अगले गे गेम्स 2022 में हांग कांग में होने थे, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से इन्हें नवंबर 2023 तक के लिए आगे बढ़ा दिया गया है. ताइवान के गे खिलाड़ी पहले ही अपनी सुरक्षा का हवाला देते हुए इन खेलों में हिस्सा लेने से इनकार कर चुके हैं.
सोशल मीडिया अकाउंट ब्लॉक होना
2019 में ताइवान समलैंगिक शादियों को मान्यता देने वाला एशिया का पहला देश बन गया था, लेकिन चीन में इस पर प्रतिबंध है. यौन विविधता को सभी कम्युनिस्ट शासकों के दौर में बर्दाश्त किया जाता रहा है, लेकिन सिर्फ तभी तक, जब तक लोग अपनी लैंगिकता अपने तक सीमित रखें.
यौन विविधता को सार्वजनिक तौर पर जाहिर करने की किसी भी गतिविधि को विरोध का सामना करना ही पड़ता है. शंघाई प्राइड चीन के सबसे पुराने और बड़े एलजीबीटीक्यू आयोजनों में से एक था. इसमें साइकल से परेड निकाली जाती थी, लोग पैदल निकलते थे. पार्टियां और प्रदर्शनियां आयोजित की जाती थीं, लेकिन 2020 में इसे बंद कर दिया गया था.
इससे पहले भी ऐसे आयोजनों को सरकारी उत्पीड़न का सामना करना पड़ता रहा है. जुलाई 2021 में नागरिक मामलों के मंत्रालय ने सैकड़ों एलजीबीटीक्यू वेबसाइटों और सोशल मीडिया अकाउंट्स को बंद कर दिया था और हटा दिया था. इनमें से ज्यादातर यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले लोग थे.
सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' के संपादक हू शीजिन ने सरकार के फैसलों का बचाव करते हुए अपने ब्लॉग में लिखा, "इस मुद्दे पर चीन का पूरी दुनिया में सिरमौर बनना नामुमकिन है. कुछ मामलों में हमारा रूढ़िवादी होना अपरिहार्य है और उचित भी है."
सतर्क हो गया है एलजीबीटीक्यू समुदाय
प्रशासन का चाबुक देखते हुए एलजीबीटीक्यू समुदाय सावधान भी हो गया है. गुमनामी की शर्त पर चीन के एक एलजीबीटीक्यू ऐक्टिविस्ट डीडब्ल्यू से बातचीत में कहते हैं, "जब से प्रशासन ने कॉलेजों में एलजीबीटीक्यू अधिकारों का समर्थन करने वाले संगठनों पर डंडा चलाना शुरू किया है, तब से हम और ज्यादा सावधान हो गए हैं और एलजीबीटीक्यू से जुड़ा कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं कर रहे हैं."
वह कहते हैं, "निश्चित तौर पर सरकार ने एलजीबीटीक्यू संगठनों पर अपना रुख और नियंत्रण कड़ा कर लिया है, लेकिन समुदाय के सदस्य इवेंट आयोजित करने का कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेंगे. हम चीन के नए माहौल में खुद को ढाल रहे हैं. अब हम ज्यादा बुद्धिमानी से कदम उठा रहे हैं."
रिपोर्ट: श्टेफान नेस्टलर, विलियम यांग