अनवार-उल-हक काकड़ बने पाकिस्तान के अंतरिम प्रधानमंत्री
१४ अगस्त २०२३पाकिस्तानी संसद के उच्च सदन सेनेट के सदस्य अनवार-उल-काकड़ ने पाकिस्तान की कार्यवाहक सरकार का पदभार संभाल लिया है. वह बलूचिस्तान प्रांत से आते हैं. पाकिस्तान की संवैधानिक प्रक्रिया के मुताबिक देश में 90 दिनों के भीतर चुनाव होने चाहिए, जो काकड़ की अगुवाई में होंगे. देश की संसद पिछले हफ्ते भंग हुई थी.
काकड़ शहबाज शरीफ की जगह लेंगे, जिनकी सहमति से यह नियुक्ति हो रही है. अप्रैल 2022 में संसद में अविश्वास प्रस्ताव पास होने के बाद इमरान खान की विदाई होने पर शहबाज शरीफ ने पद संभाला था. पाकिस्तान में चुनाव होने से पहले कार्यवाहक सरकार का होना जरूरी है.
काकड़ के नाम का प्रस्ताव शहबाज शरीफ और विपक्ष के नेता राजा रियाज ने संयुक्त रूप से रखा.
कौन हैं अनवार-उल-हक काकड़
सोमवार को पद की शपथ लेने वाले काकड़ बलूचिस्तान प्रांत से 2018 में संसद पहुंचे. प्रधानमंत्री की भूमिका में आने के बाद उन्होने अपनी पार्टी बलूचिस्तान अवामी पार्टी के नेता और सेनेट से त्यागपत्र दे दिया. अपनी विदाई के मौके पर शहबाज शरीफ ने रविवार को कहा, "कार्यवाहक प्रधानमंत्री की क्षमताओं पर मुझे पूरा भरोसा है कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाएंगे."
काकड़ की शुरुआती जिम्मेदारियों में कैबिनेट सदस्यों का चुनाव है, ताकि देश चलाया जा सके और चुनावों की प्रक्रिया पूरी हो. हालांकि, देश के राजनीतिक और आर्थिक हालात देखते हुए जानकारों को लगता है कि चुनावों में देरी हो सकती है. इमरान खाने को जिस तरह सत्ता गंवानी पड़ी, उसने देश को बांटकर रख दिया है.
संकट में पाकिस्तान
इमरान खान की विदाई के बाद से ही पाकिस्तान जबरदस्त राजनीतिक उथल-पुथल झेल रहा है. खान को भ्रष्टाचार के मामले में तीन साल कैद की सजा सुनाई गई है और अगले पांच साल तक उनके चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी गई है. यही नहीं, उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को दबाने की भरपूर कोशिश की जा रही है. पार्टी समर्थकों और कार्यकर्ताओं को धर-दबोचा जा रहा है.
इमरान खान फिलहाल चुनाव तो नहीं लड़ सकेंगे, लेकिन माना जा रहा है कि उनकी पार्टी शहबाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग पार्टी को कड़ी टक्कर देगी. शरीफ को चुनौती देने की ताकत फिलहाल किसी में है, तो वह इमरान खान हैं, लेकिन उनका राजनीतिक भविष्य फिलहाल अधर में लग रहा है. हालांकि, वह कानूनी लड़ाई जारी रखने की बात कह चुके हैं.
वहीं पाकिस्तान राजनीतिक ही नहीं, आर्थिक मोर्चेपर भी बेहाल है. भ्रष्टाचार, कोविड महामारी और राष्ट्रीय आपदाओं ने अर्थव्यवस्था को पस्त कर रखा है. जुलाई में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 3 अरब डॉलर की राशि देकर देश की अर्थव्यवस्था में जान फूंकने की कोशिश की, लेकिन रास्ता अब भी लंबा और मुश्किलों भरा ही लग रहा है.
एसबी/वीएस (एएफपी)