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समाज

अफ्रीका में लाखों बच्चे शिक्षा के लिए टीवी पर निर्भर

१६ सितम्बर २०२०

अफ्रीकी देशों में लाखों बच्चे टीवी के जरिए पढ़ाई करना सीख रहे हैं. कुछ ऐसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जिससे बच्चे बिना इंटरनेट के स्कूली शिक्षा पाने की कोशिश में लगे हुए हैं. लेकिन यह कार्यक्रम उनके लिए पर्याप्त नहीं है.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/UNICEF/Dicko

अफ्रीकी देश केन्या की राजधानी नैरोबी में पांच साल का मिगुएल मुनेन अपने माता-पिता के बीच बैठकर टीवी पर कार्टून कैरेक्टर देखकर मछली (फिश) का उच्चारण सीख रहा है. मुनेन के शिक्षकों और सहपाठियों की जगह टेलीविजन ने ले ली है. सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को काबू में रखने के लिए मार्च में ही स्कूलों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया था. स्कूल कम से कम अब जनवरी तक बंद रहेंगे.

कई बच्चों के पास ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प नहीं है. यूएन की एजेंसी यूनिसेफ का कहना है कि उप-सहारा अफ्रीका के देश के कम से कम आधे स्कूली छात्रों के पास इंटरनेट नहीं है. मुनेन के जैसे लाखों बच्चे टीवी पर कार्टून देख पढ़ना सीख रहे हैं. तंजानिया का गैर-लाभकारी संगठन उबोंगो अफ्रीकी देशों के टीवी और रेडियो नेटवर्क को निशुल्क सामग्री देता है. मुनेन की मां सेलेस्टीन वंजिरु ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "अन्य कार्यक्रम सिर्फ मजे के लिए हैं लेकिन उबोंगो बच्चों की मदद कर रहा है. मेरा बेटा अब अलग-अलग रंग और आकार की पहचान कर सकता है. अंग्रेजी में भी और स्वाहिली में भी."

मार्च महीने में उबोंगो ने 9 देशों में कार्यक्रम का प्रसारण किया और यह कार्यक्रम 1.2 करोड़ घरों तक पहुंचा. उबोंगा का स्वाहिली में मतलब होता है "दिमाग". उबोंगो के संचार प्रमुख ईमान लिपुंबा कहते हैं कि अगस्त के महीने तक कार्यक्रम 20 देशों के 1.7 करोड़ घरों तक पहुंच चुका है. लिपुंबा कहते हैं, "कोविड-19 महामारी ने हमें तेजी से बढ़ने के लिए मजबूर किया है."

साल 2014 में कलाकारों, इनोवेटर्स और शिक्षकों ने तंजानिया में उबोंगो की स्थापना की थी. इसको अभी तक 40 लाख अमेरिकी डॉलर की मदद मिल चुकी है और इसने यूट्यूब से सात लाख अमेरिकी डॉलर भी कमाए हैं. मुनेन की तरह अन्य बच्चों के लिए फिलहाल उबोंगो के कार्यक्रम ही सीखने का जरिया हैं. केन्या के शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि कोविड-19 के मामले जब काफी हद तक कम हो जाएंगे तभी स्कूल दोबारा खोले जा सकते हैं.

मुनेन के पिता पैट्रिक निएगा कहते हैं, "घर पर आपके साथ हमेशा बच्चे रहते हैं, अगर इस तरह के कार्यक्रम होते हैं यह काफी मददगार साबित हो सकते हैं." लेकिन टीवी पूरी तरह से पढ़ाई की जगह नहीं ले सकता है. निएगा कहते हैं, "स्कूल में बच्चे जाते हैं, अपने दोस्तों और शिक्षकों के साथ मिलते हैं और वहां सीखते हैं लेकिन टीवी का कार्यक्रम अलग होता है. हमें उम्मीद है कि स्कूल जल्द खुलेंगे."

एए/सीके (रॉयटर्स)

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