मोरबी हादसा: मोदी के पहुंचने से पहले अस्पताल की मरम्मत
१ नवम्बर २०२२गुजरात के मोरबी में 30 अक्टूबर को हुए पुल हादसे में अब तक 134 लोगों की मौत हो गई और लापता लोगों की तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोरबी के दौरे पर पहुंचने वाले हैं और घटनास्थल का दौरा करेंगे. वे मोरबी के सिविल अस्पताल जाकर वहां भर्ती घायलों से भी मुलाकात करेंगे. लेकिन उनके दौरे से ठीक पहले मोरबी के अस्पताल की रंगाई पुताई कराई गई जिसकी आलोचना विपक्षी दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने की है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मोरबी के सिविल अस्पताल में सोमवार को सौ शव लाए गए थे और मोदी के दौरे के पहले अस्पताल में वाटर कूलर और नए बेड लाए गए.
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प्रधानमंत्री के दौरे से पहले अस्पताल की मरम्मत
एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि उसकी टीम रात को अस्पताल गई थी और पाया कि प्रधानमंत्री के दौरे के ठीक पहले आधी रात के बाद अस्पताल में मरम्मत का काम चल रहा था.
रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल की कुछ दीवारों और छत के कुछ हिस्सों को नए सिरे से रंगा गया था और नए वाटर कूलर लाए गए थे. दो वार्डों में बेडशीट, जहां पुल त्रासदी में घायल हुए लोगों में से लगभग 13 को भर्ती कराया गया था, को भी तेजी से बदल दिया गया. एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि देर रात कई लोगों को परिसर में झाडू लगाते देखा गया. दीवारों और छतों की भी मरम्मत की गई.
विपक्ष ने साधा निशाना
विपक्षी दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने रातोंरात अस्पताल के कायाकल्प पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस ने सोमवार को ट्वीट कर तंज कसा, "त्रासदी का इवेंट. कल पीएम मोदी मोरबी के सिविल अस्पताल जाएंगे. उससे पहले वहां रंगाई-पुताई का काम चल रहा है. चमचमाती टाइल्स लगाई जा रही हैं. पीएम मोदी की तस्वीर में कोई कमी न रहे, इसका सारा प्रबंध हो रहा है. इन्हें शर्म नहीं आती! इतने लोग मर गए और ये इवेंटबाजी में लगे हैं."
वहीं आम आदमी पार्टी ने इस मरम्मत कार्य को फोटोशूट की तैयारियां बताकर तंज कसा. आप ने ट्वीट में लिखा, "मोरबी सिविल अस्पताल का दृश्य...कल प्रधानमंत्री के फोटोशूट में कोई कमी ना रह जाए इसलिए अस्पताल की मरम्मत की जा रही है. अगर भाजपा ने 27 वर्षों में काम किया होता तो आधी रात को अस्पताल को चमकाने की जरूरत न पड़ती."
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के इस्तीफे मांग की है और कहा है कि राज्य में विधानसभा चुनाव करवाए जाएं. उन्होंने आरोप लगाया कि मोरबी पुल हादसा भ्रष्टाचार का नतीजा है.
मोरबी में ब्रिटिश काल का सस्पेंशन पुल मार्च से मरम्मत के काम के लिए बंद था. और जनता के लिए दोबारा खोले जाने के केवल चार दिन बाद रविवार को टूट गया. अधिकारियों के मुताबिक मरने वालों में कम से कम 47 बच्चे, कई महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं. कई लोग अपने परिजनों को ढूंढने के लिए उनकी तस्वीरें लेकर इधर उधर भटकते रहे. बताया जा रहा है कि छुट्टी के दिन होने की वजह से कई सौ लोग पुल प मौजूद थे.
क्यों मचती है भगदड़ और कैसे मरते हैं लोग?
पुलिस ने इस हादसे के बाद नौ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें ओरेवा कंपनी के मैनेजर, टिकट कलेक्टर, ब्रिज मरम्मत का काम करने वाले ठेकेदार और तीन सिक्युरिटी गार्ड शामिल हैं. मोरबी पुलिस ने गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है. मोरबी पुलिस के मुताबिक एफआईआर में आईपीसी की धारा 304, 308 और 114 लगाई गई है.
पुलिस की एफआईआर में पुल का संचालन करने वाली ओरेवा कंपनी का नाम नहीं है और न ही उसका मरम्मत करने वाली कंपनी का. आरोप लग रहे हैं कि पुल को फिटनेस सर्टिफिकेट के बिना खोल दिया गया था. वहीं मोरबी नगर पालिका पर भी लापरवाही के आरोप लग रहे हैं. नगर पालिका ने पुल खुलने के बाद उसकी जांच नहीं की थी.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट में मोरबी पुल ढहने की न्यायिक जांच की मांग को लेकर मंगलवार को एक जनहित याचिका दायर की गई. जनहित याचिका में राज्यों को "पुरानी और जोखिम भरी" संरचनाओं का सर्वेक्षण करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर 14 नवंबर को सुनवाई के लिए सहमत हो गया है.