पिघलते ग्लेशियर: पहाड़ के इन गांवों को भविष्य की चिंता
दुनिया भर में डेढ़ करोड़ लोगों पर ग्लेशियर झीलों में बाढ़ का खतरा मंडर रहा है, जिनमें से 20 लाख लोग पाकिस्तान में रहते हैं. पाकिस्तान के काराकोरम पहाड़ों के पास रहने वाले लोग पिघलते ग्लेशियर को लेकर चिंतिंत हैं.
तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर
काराकोरम पहाड़ों के पास स्थित हसनाबाद गांव में करीब 200 लोग रहते हैं. पिघलते ग्लेशियर के कारण गांव के आसपास झीलें बन रही हैं और ये झीलें वहां रहने वाले समुदायों के लिए खतरा पैदा कर रही हैं.
भविष्य की लड़ाई
51 साल के तारिक जमील ने शिस्पर ग्लेशियर के पास सेंसर और कैमरे लगाए हैं जिनकी मदद से वो बर्फ में होने वाली हलचल पर नजर रखते हैं. जमील काराकोरम पहाड़ों में हुंजा घाटी के हसनाबाद गांव में समुदाय आधारित आपदा जोखिम प्रबंधन केंद्र के अध्यक्ष हैं.
अचानक बाढ़ आने का खतरा
जब झीलें भर जाती हैं तो वे फट जाती हैं, जिससे घातक बाढ़ आती है और भारी तबाही मचती है. बाढ़ के कारण पुल और इमारतें बह जाती हैं. उत्तरी पाकिस्तान में मिलने वाली हिंदुकुश पर्वत श्रृंखला, काराकोरम और हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं में उपजाऊ भूमि भी बाढ़ के कारण बर्बाद हो जाती है.
गांववालों की भूमिका अहम
तारिक जमील कहते हैं कि सभी सेंसर लगने के बाद गांव के प्रतिनिधि अपने मोबाइल फोन के जरिए डाटा पर नजर रख सकेंगे. जमील ने कहा, "स्थानीय ज्ञान बहुत जरूरी है. हम यहां के मुख्य पर्यवेक्षक हैं. हमने बहुत सी चीजें देखी हैं."
खतरे में हिमालय के ग्लेशियर
इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक सदी के अंत तक हिंदुकुश ग्लेशियर अपना 75 फीसदी हिस्सा खो सकते हैं, यानी ग्लेशियर पिघल जाएंगे. रिपोर्ट में इसका कारण ग्लोबल वार्मिंग को बताया गया.
खतरे की घंटी
पाकिस्तान में करीब 7,000 ग्लेशियर हैं और ध्रुवीय इलाकों को छोड़ दें तो यह पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हैं. जलवायु परिवर्तन बहुत तेजी से इन ग्लेशियरों को निगलता जा रहा है. ग्लेशियर की बर्फ पिघलने से यह बड़ी झीलों में जमा हो रहा है और इसे संभाल पाना उनकी क्षमता से बाहर है. यही वजह है कि पानी किनारों को तोड़ कर नीचे के इलाकों के लिए भयानक बाढ़ की शक्ल ले लेता है.
क्या होती है ग्लेशियल झील
ग्लेशियर बर्फ के बड़े बड़े टुकड़े होते हैं जो अक्सर नदियों के उद्गम स्थल पर होते हैं. इन्हें हिमनदी या बर्फ की नदी भी कहा जाता है, लेकिन ये बनते हैं जमीन पर. इनका आकार बदलता रहता है और इनकी बर्फ भी पिघलती रहती है. ग्लेशियर बनते समय जमीन को काट कर उसमें गड्ढे बन जाते हैं और पिघलती हुई बर्फ जब इन गड्ढों में गिरती है तो उससे ग्लेशियल झीलें बनती हैं.