म्यांमार ने चार लोकतंत्र समर्थकों को फांसी पर लटकाया
२५ जुलाई २०२२म्यांमार के सरकारी अखबार मिरर डेली के मुताबिक चारों को फांसी की सजा कानूनी प्रक्रिया के तहत दी गई. अखबार ने यह भी लिखा कि इन चारों को आतंकवाद के तहत हिंसक और अमानवीय हत्याएं करने के लिए सजा दी गई. म्यांमार में 2021 में सेना ने लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट कर सत्ता हथिया ली. तब से सैन्य सरकार पर लोकतंत्र समर्थकों का दमन करने के आरोप लगते हैं.
म्यांमार के बाहर से चल रहे निर्वासित नागरिक प्रशासन ने मृत्युदंड की आलोचना करते हुए कहा है, "दंड देने के लिए मौत के घाट उतारना, इस तरह भय फैलाकर जनता पर राज करने की कोशिश हो रही है." निर्वासन में चल रही सरकार नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट के मानवाधिकार मंत्री ऑन्ग म्यो मिन ने चारों लोगों के हिंसा में शामिल होने के आरोपों को भी खारिज किया.
लोकतंत्र की अहम आवाजें खामोश
जिन लोगों को मृत्युदंड दिया गया उनमें तख्तापलट से पहले सत्ताधारी पार्टी एनएलडी के प्रमुख नेता फ्यो जेया थाव भी हैं. थाव, आंग सान सू ची के करीबी थे. लोकतंत्र समर्थक जनांदोलन का हिस्सा रहे थाव पर "विस्फोटक रखने, धमाके करने और आतंकवाद की वित्तीय मदद करने" का इल्जाम लगाया गया था. जनवरी 2022 में बंद कमरे में लगी एक अदालत ने 41 साल के थाव को दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई.
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समाचार एजेंसी एएफपी से बात करते हुए थाव की पत्नी थाजिन नयुंत आंग ने कहा कि उन्हें मृत्युदंड की सजा तामील करने के फैसले के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. थाजिन ने कहा, "मैं अब भी खुद इसकी पुष्टि करने में लगी हूं."
सैन्य सरकार ने 1988 के आंदोलन के एक और अहम चेहरे क्याव मिन यू को मौत के घाट उतारा है. 53 साल के लोकतंत्र समर्थक क्याव मिन यू, म्यांमार में जिम के नाम से भी जाने जाते थे. उन्हें शहरी इलाकों में गुरिल्ला युद्ध छेड़ने की कोशिश कर रहे संगठन मून लाइन का हेड करार दिया गया. सैन्य सरकार ने उन पर सोशल मीडिया के जरिए लोगों को भड़काने का आरोप भी लगाया.
इन दोनों के साथ ही हला म्यो आंग और आंग थुरा जाव को भी मौत की सजा दी गई. इन दोनों पर मार्च 2021 में एक महिला की हत्या करने का आरोप था. मारी गई महिला को सेना का जासूस बताया जा रहा था.
म्यांमार की कड़ी आलोचना
मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच की कार्यकारी एशिया निदेशक एलन पीयर्सन ने मौत की सजा दिए जाने को बड़ा अन्याय और राजनीति से प्रेरित सैन्य ट्रायल करार दिया है. पीयर्सन ने कहा, "जुंटा की बर्बरता और मानव जीवन के प्रति क्रूरता का लक्ष्य तख्तापलट विरोधी आंदोलन को डराना है."
मानवाधिकारों के लिए यूएन द्वारा नियुक्त किए गए एक स्वतंत्र एक्सपर्ट थोमस एंड्र्यू्ज ने मृत्युदंड की कड़ी आलोचना करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सख्त जवाबी कार्रवाई की मांग की है. एंड्र्यूज ने कहा, "इन लोगों पर सैन्य ट्राइब्यूनल ने मुकदमा चलाया, उन्हें दोषी करार देते हुए मौत की सजा दी, इस दौरान एक बार भी उन्हें अपील करने और शायद कानूनी मशविरा लेने का मौका भी नहीं दिया गया, यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन है."
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म्यांमार की सैन्य सरकार के इस फैसले से पड़ोसी देश भी खासे नाराज हैं. जून में कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन ने म्यामांर के जुंटा को पत्र लिखकर मृत्युदंड टालने की मांग की थी. हुन सेन इस वक्त दक्षिणपूर्वी एशिया के देशों के संगठन आसियान के अध्यक्ष भी हैं. आसियान के मानवाधिकार संसदीय दल के प्रमुख और मलेशिया के सांसद चार्ल्स सैंटियागो ने फांसी की सजा दिए जाने के बाद कहा, "1988 से 2011 तक राज करने वाले पूर्व सैन्य सरकार ने भी राजनीतिक बंदियों को मौत की सजा देने की हिम्मत नहीं की."
सैन्य सरकार का पक्ष
म्यांमार की सेना का कहना है कि चारों लोग आतंकवादी गतिविधियों और हत्याओं में शामिल थे. महीने भर पहले एक टेलीविजन चैनल से सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल जाव मिन तुन ने कहा कि, "उन्होंने कम से कम 50 लोगों को मारा था." सेना के प्रवक्ता के मुताबिक भविष्य में इन घटनाओं को रोकने के लिए ही चारों को मृत्युदंड की सजा दी गई है. म्यांमार के कानून के मुताबिक हर मृत्युदंड पर आखिरी फैसला सरकार प्रमुख को करना होता है.
माना जाता है कि म्यांमार में इससे पहले 1976 में फांसी की सजा दी गई थी. तब भी सैन्य तानाशाह ने विन के नेतृत्व में लोकतंत्र समर्थक छात्र नेता सलाई तिन माउंग ऊ को फांसी दी गई.
गैर सरकारी संगठन, असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स के मुताबिक, 2021 के तख्तापलट के बाद से अब तक म्यांमार में सैन्य कार्रवाई में 2,114 आम नागरिक मारे जा चुके हैं. अब तक 115 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है.
ओएसजे/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)