सूर्य के वातावरण में पहली बार नासा का यान
१५ दिसम्बर २०२१नासा ने इस प्रोब को सूरज का अध्ययन करने के लिए 2018 में लॉन्च किया था. लॉन्चिंग के बाद इसने सूर्य के वातावरण में प्रवेश किया है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों ने मंगलवार को कहा कि नासा का यह अंतरिक्ष यान पहले से कहीं ज्यादा सूरज के करीब चला गया है, जो कोरोना के नाम से जाने जाने वाले वातावरण में प्रवेश कर रहा है.
पृथ्वी से 15 करोड़ किलोमीटर की यात्रा के बाद मंगलवार को अमेरिकी भूभौतिकीय संघ की बैठक में इसके सूर्य की बाहरी परत के साथ पहले सफल संपर्क की घोषणा की गई.
यह कोरोना संपर्क महत्वपूर्ण क्यों है?
पार्कर सोलर प्रोब अप्रैल में सूर्य के साथ अपनी आठवीं बेहद करीबी संपर्क के दौरान कोरोना में पांच घंटे तक रहा. इसके बाद वैज्ञानिकों को डेटा प्राप्त करने और उपलब्धि की पुष्टि करने के लिए इसका विश्लेषण करने में कई महीने लग गए.
नासा के विज्ञान मिशन बोर्ड के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर थॉमस जुर्बुखेन ने एक बयान में कहा, "तथ्य यह है कि पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य को छुआ है, यह सौर विज्ञान के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है और एक असाधारण उपलब्धि है." पार्कर को 2018 में पृथ्वी से लॉन्च किया गया था और यह सूर्य के केंद्र के 13 मिलियन किलोमीटर के भीतर पहुंच गया.
यह सौर वातावरण में से कम से कम तीन बार पार हो गया जहां तापमान 1999726.85 डिग्री सेल्सियम तक पहुंच जाता है. इसकी गति 100 किलोमीटर प्रति सेकंड रही. पार्कर सोलर प्रोब सबसे तेज गति से उड़ने वाला स्पेसक्राफ्ट है.
हम सूर्य से क्या सीख सकते हैं?
वैज्ञानिकों को सौर तूफानों और फ्येलर्स के बारे में और अधिक खोज करने की उम्मीद है जो पृथ्वी पर जीवन में हस्तक्षेप करते हैं. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के प्रोजेक्ट वैज्ञानिक नूर राउफी ने कहा कि यह कमाल "आकर्षक रूप से रोमांचक" था. उन्होंने बताया कि कोरोना अपेक्षा से अधिक धूल भरा था.
सूर्य के पास एक ठोस सतह नहीं होने के कारण कोरोना अपने इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र और इसके द्वारा बनाई गई सौर हवा वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण रुचि का विषय है. नासा का कहना है कि 2025 तक इस प्रोब को सूरज के 4.3 मिलियन मील की दूरी तक पहुंचाने की योजना है. इसकी मदद से वैज्ञानिक सूरज से निकलने वाली किरणों और उनसे पैदा होने वाली सौर आंधी पर शोध करना चाहते हैं.
एए/वीके (एपी, ईएफई)